मकड़ी का झूला

🕷️कहानी
शीर्षक - मकड़ी का झूला

बहुत समय पहले की बात है l पहले मकड़िया चीटियों की तरह चलती थी l उनको जाले बनाना नहीं आता था l जब मकड़ी आप पक्षियों को पेड़ों की टहनियों, पत्तियों,शाखाओं में झूलते देखती थी l बंदरों को पेड़ों पर इस पेड़ से उस पेड़ पर झूलते देती थी l तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था l उनका भी मन करता था कि,काश वह सभी पक्षियों और बंदरों की तरह झूला झूलने का आनंद ले पाती l

एक दिन सभी मकड़ियों ने सभा बुलाई l सब ने यह तय किया कि वे ब्रह्मा जी की तपस्या करेंगी l उन्हें प्रसन्न करके उन सबकी यह इच्छा पूरी करने का निवेदन करेंगी l सभी नन्हीं नन्हीं मकड़ियों ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या शुरू की   l पेड़ों की शाखाओं पर एक टांग पर खड़ी होकर तपस्या करनी शुरू की l इस तपस्या के दौरान कई मकड़िया पेड़ों की शाखाओं से गिरकर मर गई l पर बाकी मकड़ियों ने अपनी तपस्या जारी रखी l मकड़ियों के हाथ पांव तपस्या की वजह से सूखकर पतले - पतले हो गए l

आखिरकार ब्रह्मा जी को उन सब पर दया आ गई l ब्रह्मा जी ने जब उनसे वरदान मांगने को कहा तो मकड़ियों ने अपनी इच्छा ब्रह्मा जी को बताइ l ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया कि अब से कोई मकड़ी कभी गिरकर नहीं मरेगी l उन्होंने कहा अब से तुम सब अपने हाथों से अपनी पसंद का झूला बना पाओगी l तुम्हारे बनाए झूले बहुत सुंदर और मजबूत होंगे l तुम सब झूला झूलने का आनंद ले पाओगी l

ब्रह्मा जी के वरदान से उस दिन के बाद से मकड़िया  अपने लिए सुंदर-सुंदर झूले बुनने लगी l अब मकड़िया अपने बनाए झूले का खूब आनंद लेती हैं l मकड़ियों के इन झूलों को हम मकड़ियों के जाले के रूप में जानते हैं l


अंशिका कश्यप

शिशु भारती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बीजातराई,
विकासखंड मुंगेली
जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़ )

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