गंगा माता

💐शीर्षक : गंगा माता

हे जगत पावनी निर्मल गंगा माता ,
जो भी पतित जन तेरे दर पर आता l
जन्म भर का पाप उसका उतर जाता,
अद्भुत शांति वह प्राणी निश्चित ही पाता  l

तेरे निर्मल जल में अद्भुत शक्ति है माता ,
तुम विष्णुपदी,शिव से भी है तेरा नाता l
शिव ने अपनी जटाओं में तुझको बांधा,
शिव के सिवा तेरा वेग कोई संभाल न पाता  l

तुम हिमालय से लेकर आती हो माता,
जड़ी बूटियों का सत सारा वह खजाना l
तेरी किनारों पर विकसित हुई सभ्यता,
उपजाऊ मिट्टी तेरा जल बहाकर लाता l

पतित पावनी,पाप नाशिनी गंगा माता,
तेरे स्पर्श से जन का तन मन पावन होता  l
जानवी,मंदाकिनी,भागीरथी,अलकनंदा,
है तेरे अनेकों नाम तुझ में अद्भुत क्षमता  l

तेरा शीतल जल,प्राणि का संताप मिटाता,
जिंदा क्या मुर्दा भी तेरे जल से तर जाता l
तेरे जलसे शिव का अभिषेक जो करता,
हर कामना होती पूर्ण मनवांछित फल पाता l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
09/11/2022

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