घर आए सियाराम

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शीर्षक : घर आए सियाराम


कथा तुमको एक सुनाते है l
वचन की कीमत दिखाते है l

वचन पालन पर यह जग टिका l
महान ही वचन पर मर मिटा l

पालन करने पिता की  आज्ञा l
वन गमन हँस स्वीकार किया l

प्राणनाथ मैं भी संग चलूंगी l
जो न गई तो मर जाउंगी l

जिद्द पे अड़ ही गई सीता  l
हाथ जोड़ खड़े छोटे भ्राता l

वन पर्वत और नदी नाले l
वन में रहे संत रखवाले l

लाखों दनुजों को है मारा l
संत जनो का जीवन तारा l

दुख की निष्ठुर बेला आई l
हरन  हो गई सीता माई l

धरती रावण भय से काँपे l
कठिन व्रत धर लक्ष्मण जागे l

रावण दम्भी अकड़ा खड़ा है l
घमासान तब युद्ध हुआ है l

लक्ष्मण मेंघनाथ को मारे है l
राम कुम्भकर्ण संहारे है l

रावण मरकर 4जीवित होता है l
देख घोर अचरज होता है l

रावण से सब ही डरते है l
राम सभी का दुख हरते है l

राम नें रावण को हराया है l
रावण नें सभी को सताया है l

चौदह बरस की अवधि पूरी l
अब सहन नही होती दूरी l

आई मंगलमय बेला है l
नगर बीच रेलमपेला है l

घर आए राम लखन सीता l
राम लखन नें जग को जीता l

घड़ी मंगलमय परम पुनिता l
राम का नाम है अति सुभिता l

घर-घर बाजन लगे बधावे l
स्वर्ण थाल आरती सजावे l

अमावस्या घोर निशा काली l
तम भगाती दीप की थाली l

दीप की पंक्तियाँ जल रही l
जगमग सब दिशाएं कर रही l

लाखों दीप जब साथ जलता l
तम दुम दबाकर भाग जाता l

दीपक जब झिलमिल जलते है l
इसे ही हम दीपावली कहते है l

सबकी शुभ होवे दीपावली l
खुशी भरें यह रात निराली l

लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
25/10/2022

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