चलते चलते राह में
🙏🏻शीर्षक : चलते - चलते राह में
कृष्णा चलते चलते राह में,
दूर बहुत निकल आये है l
हर तरफ अंधेरों के साये है l
अपनी ही परछाईया डराती है l
कृष्णा चलते चलते राह में,
डरते है हम कहीं खो जाये ना l
जो तुम ना मिले हमको तो,
सच में कहीं जान निकल जाये ना l
कृष्णा चलते चलते राह में,
कई बार निराशाओं नें घेरा है l
डर भी डर के इक दिन भाग गई,
जब देखा मेरे दिल में तेरा बसेरा है l
कृष्णा चलते चलते प्रेम राह में,
इक दिन तुमको पा ही लूंगी l
इस कदर तुझमे डूबना है मोहन,
खुद को भूलकर तुझमे समा जाउंगी l
कृष्णा चलते चलते राह में,
नजरों के आगे लाख नजारे बदले l
दिन बदले रात बदले सुबहो शाम बदले,
एक मैं ना बदली एक तुमको ना बदले l
कृष्णा चलते चलते राह में,
हजारों लोग मिले और बिछड़े l
कोई तुझसा ना मिला कान्हा कभी,
नैनों के आगे से गुजरे लाख मुखड़े l
कृष्णा चलते चलते राह में,
कान्हा दूर बहुत निकल आई हूँ l
अब देर ना कर आके मिल,
इक तेरे लिए सब छोड़ आई हूँ l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
10/10/2022
कृष्णा चलते चलते राह में,
दूर बहुत निकल आये है l
हर तरफ अंधेरों के साये है l
अपनी ही परछाईया डराती है l
कृष्णा चलते चलते राह में,
डरते है हम कहीं खो जाये ना l
जो तुम ना मिले हमको तो,
सच में कहीं जान निकल जाये ना l
कृष्णा चलते चलते राह में,
कई बार निराशाओं नें घेरा है l
डर भी डर के इक दिन भाग गई,
जब देखा मेरे दिल में तेरा बसेरा है l
कृष्णा चलते चलते प्रेम राह में,
इक दिन तुमको पा ही लूंगी l
इस कदर तुझमे डूबना है मोहन,
खुद को भूलकर तुझमे समा जाउंगी l
कृष्णा चलते चलते राह में,
नजरों के आगे लाख नजारे बदले l
दिन बदले रात बदले सुबहो शाम बदले,
एक मैं ना बदली एक तुमको ना बदले l
कृष्णा चलते चलते राह में,
हजारों लोग मिले और बिछड़े l
कोई तुझसा ना मिला कान्हा कभी,
नैनों के आगे से गुजरे लाख मुखड़े l
कृष्णा चलते चलते राह में,
कान्हा दूर बहुत निकल आई हूँ l
अब देर ना कर आके मिल,
इक तेरे लिए सब छोड़ आई हूँ l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
10/10/2022
Comments
Post a Comment