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Showing posts from July, 2022

वेध उत्सव प्रतिवेदन श्रंखला 3

🎯प्रतिवेदन 24/5/2021 NEP पर विशेष चर्चा  प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी  प्रशिक्षक आदरणीय श्री दिनेश पुरोहित सर जी  मंच संचालन आदरणीय शकुंतला देवांगन  मैम जी  कल की चर्चा जो की NEP पर थी. आज  आदरणीय दीपेश पुरोहित सर जी के द्वारा उस चर्चा को आगे बढ़ाया गया. जिसमें कि क्रिटिकल थिंकिंग और क्रिएटिव थिंकिंग पर चर्चा की गई. 👉 क्रिटिकल थिंकिंग:- क्रिटिकल थिंकिंग को हम तार्किक सोच भी कह सकते हैं.  समस्या आने पर डिसीजन लेना तथा डिसीजन लेने की प्रक्रिया में आने वाले प्रश्नों व तर्कों द्वारा उचित निर्णय लेना ही क्रिटिकल थिंकिंग है. जब हमारे पास विषम परिस्थिति होती है या फिर कोई समस्या आता है तो उस समय उस समस्या पर अपनी समझ बनाना वह उसके विषय में चिंतन की प्रक्रिया को तर्कों द्वारा संतुष्ट करते हुए, निर्णय लेना ही क्रिटिकल थिंकिंग  है. NEP 2020 मैं यह माना गया है कि बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग का विकास करना है. अगर बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग का विकास बेहतर होगा तभी वे 21वी सदी के कौशल को प्राप्त करने में सक्षम होंगे. अतः हमें अपने बच्चों मे...

वेध उत्सव प्रतिवेदन श्रंखला 4

🎯 प्रतिवेदन 25/5/2021 NEP पर विशेष चर्चा.  प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी  प्रशिक्षक आदरणीय श्री दीपक पुरोहित सर जी  मंच संचालन आदरणीय श्रीमती मीरा चंद्राकर जी  कल के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए आज पुनः क्रिटिकल थिंकिंग से आज की चर्चा की शुरुआत की गई.  क्रिटिकल थिंकिंग के अंतर्गत लॉजिकल थिंकिंग पर प्रश्न का उत्तर देते हुए चर्चा की शुरुआत.  किसी भी मुद्दे पर पूर्ण जानकारी रखना और उसके प्लस पॉइंट एवं माइनस पॉइंट को ध्यान में रखकर अर्थात उस विषय के सकारात्मक और नकारात्मक स्वरूप को देख पाने की क्षमता एवं सोच समझकर तर्कपूर्ण चिंतन करते हुए उसे सही रूप देना ही लॉजिकल थिंकिंग हैं.  लॉजिकल थिंकिंग को स्पष्ट करने के लिए वर्तमान  काल के प्रासंगिक मुद्दे पर बात की गई.  लेकिन की पर्याप्त आपूर्ति क्यों नहीं हो पा रही है इसके क्या कारण है क्या अपने देश में वैक्सीन उपलब्ध कराना सरकार का नैतिक कर्तव्य नहीं है. दूसरे देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाने से पहले अपने देश के बारे में सोचना सरकार का कर्तव्य नहीं था.  ऐसे सवालों के जवाब व्यक्...

वेध उत्सव प्रतिवेदन श्रंखला 5

🎯 प्रतिवेदन 26/5/2021 NEP 2020  पर विशेष चर्चा.  प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी  प्रशिक्षक आदरणीय श्री दीपक पुरोहित सर जी  मंच संचालन आदरणीय उर्मिला एक्का मैम जी.  ईसीसीई पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आज बताया गया कि ईसीसीई को लागू करने के लिए इसे 4 हिस्सों में वर्गीकृत किया गया है. 👉 1. आंगनबाड़ी  केंद्र जो पहले से ही अकेले चल रहे हैं. 👉 2. आंगनबाड़ी  केंद्र जो प्राथमिक शाला प्रांगण  में संचालित हो रहे हैं. 👉 3. प्री प्राइमरी साला जो प्राथमिक शाला के साथ संचालित हो रहे हैं जैसे कि प्राइवेट स्कूलों में. 👉 4. अकेले संचालित हो रहे प्री प्राइमरी स्कूल.  ECCE के प्रावधान के तहत अब प्रीस्कूल शासकीय स्कूलों के साथ आएंगे. इससे पहले प्राइवेट स्कूलों में ही प्री प्राइमरी स्कूलों का संचालन होता रहा है.  जिसे कि अब शासकीय स्तर पर शासकीय स्कूलों के साथ प्री प्राइमरी और प्राइमरी स्तर को एक ही प्रांगण में संचालित करने का प्रावधान किया गया है.  इस प्रकार के संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त बुनियादी सुविधाओं के साथ सीखने के ...

मैं व्यथित हूं

शीर्षक - मैं व्यथित हूं.......  👉 पीड़ा में तड़पते हुए अपनों को, टूट कर बिखरते हुए सारे सपनों को,  देख कर मैं व्यथित हूं........... 👉निस्तब्ध,स्तंभित की वेदनाओ  को, साथ ही लोगों की असंवेदनाओं को, देखकर मैं व्यथित हूं............. 👉पर पीड़ा में अवसर तक रहे लोगों को,सांसो की कालाबाजारी करते सौदेबाजों को, देख कर मैं व्यथित हूं................ 👉उन्होंने देखा था  लाशों पर चढ़कर आजादी आई थी,  हम देख रहे  आज लाशों पर गरमाई तुच्छ राजनीति को,  देख कर मैं व्यथित हूं................. 👉 अब तो जिंदगी और मौत पर भी आरक्षण का दांव चल रहा,  हमारी ही आस्तीन में जाने कब से  फरेबी  सांप पल रहा,  देख कर मैं व्यथित हूं............... 👉 कोई तरस रहा हवा को तो कोई तरस रहा दवा को,  पर क्या फर्क पड़े देश के लापरवाहो को,गद्दारों को, देख कर मैं व्यथित हूं............... 👉लोग पढ़ लिखकर परंपराओं संस्कारों से दूर हो गए,  सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे भद्राणि पश्यंतु के भाव अब लुप्त  हो गए,  देख कर मैं व्यथित हूं.............. 👉कहां गई वो रिश...

(बाल कविता )ठंडी हवा

बाल कविता बच्चों के भावो को व्यक्त करती बाल कविता  🎉ठंडी हवा चलती है चलती है🎉 कपड़ों को सुखाती है सुखाती है.  धूल को उड़ाती है उड़ाती है. ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉  पत्तों को हिलाती है हिलाती है.  फसलों को लहराती है लहराती है.  ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉  खुशबू को फैलाती है फैलाती है.  बदबू को  भी लाती ले जाती है.  ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉  बगिया को में महकाती है महकाती है.  कांटो को उलझाती है उलझाती है.  ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉 पेड़ो को भी हिलाती है हिलाती है. फलों को भी गिराती है गिरती है. ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉 गर्मियों में राहत देती है देती है. सर्दियों में ठीठुराती है ठिठुराती है. ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉 मेरे गालों को छू जाती जाती है. मेरे बालो को उड़ाती है उड़ाती है. ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉 मुझे बहुत  अच्छी लगती है लगती है. जब पसीने को सुखाती है सुखाती है. ठंडी हवा चलती है चलती है.🎉 29/05/2021स्वरचित कविता  लोकेश्वरी कश्यप शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

उमड़ घूमड़ के आए बादल

💭☁️🌨️⛅️⛈️🌩️☁️🌨️🌧️ उमड़ घूमड़ के आए बादल रिमझिम रिमझिम जल बरसाए बादल उमड़ घूमड़ के आए बादल  रिमझिम रिमझिम जल बरसे देखकर रिमझिम फुहारों को  मेरा मन बड़ा तरसे l  जैसे बादलों को देखकर मोर का मन हर्ष  जब देखे मोर काले काले बादल को  मोर का अंग अंग नाचने को फड़के पीपी की आवाज करें पपिया भी  बोले  तड़प भरी जिया के राज वह सब खोलें आओ सखी सहेली हम सब मिलकर  रिमझिम रिमझिम बारिश का आनंद ले  उमड़ -घूमड़ के आए बादल रिमझिम रिमझिम जल बरसे धम धम धम धम बादल गरजे  तड़ तड़ तड़ तड़ बिजली चमके  सुनकर इनकी आवाजों को  डर के मारे बच्चे छुप जाएं टिप टिप टिप टिप पानी जब बरसे मोहरी से  छप छप छप छप पानी में खेलने मेरा मन तरसे हवा चले तब सर सर सररररररऱ  पानी बरसे तब झर झर झरररररररर बिजली तब चमके चम चम चमममम  बादल गरजे गढ़ गढ़ गढ़ गढ़ढ़ढ़ढ़ढ़  अंशिका कश्यप 

शक

शक! यानी कि संदेह l यह लाइलाज बीमारी है l

पिता

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💐पिता 💐  हर पिता होता है अपने बच्चों के लिए आदर्श l  क्योंकि वह करता है अपने बच्चों के लिए संघर्ष  l करता है कठिन परिश्रम वह दिन रात l  बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है उसे दिन रात l अपने अरमानों को भूल बच्चों की ख्वाहिश करते पूरी l  अपनी खुद की चाहत छोड़ देते हैं अधूरी  l  बच्चों की मुस्कुराहट देख मुस्कुरा लेते हैं वे l  अपना दर्द बच्चों से कितनी सफाई से छुपा लेते हैं वे l  बच्चों की जरूरतें पूरी करते अपनी जरूरत भूल जाते हैं l  वही बच्चे अपनी जरूरत पूरी करने उनसे दूर चले जाते हैं l  पिता वह इमारत हैं जो जर्जर होकर भी बच्चों को सुरक्षा देते हैं l  सारी मुश्किलें खुद सह लेते किसी पर आंच नहीं आने देते हैं l  गर्मी धूप बरसात सबकी मार अकेले सहते रहते हैं l अमीर गरीब जैसे भी हो बच्चों के लिए आदर्श पिता होते हैं l  पिता तो बस प्यार और सम्मान के लायक होते हैं l अपनी सेवा से जीत लो मन सेवा के हकदार होते हैं l  पितृ ऋण है भारी ऋण इसे चुका ना पाओगे  l  जन्म दिया हमें धरा पर लाए यह हमारे जनक हैं...

हरी भरी वसुंधरा का उपहार

💐हरीभरी वसुंधरा का उपहार जब देने से सुख मिलता था,सबको मिलता था परमानंद  l जब लेने में सुख मिलने लगा,तब से खो गया आनंद l देने की शिक्षा पाई जिनसे,आज उन्हें ही भुला दिया l अपने ही हाथों से हमने,अपने ही जड़ को जला दिया l धरती के आभूषण को हमनें,कभी नहीं सम्मान दिया l जिनसे जीवन चलता आया,उनका ही क्यों अपमान किया ? सिलेंडरों में बंद हवा की,छीना झपटी अब क्यों कर रहे? अब स्वास स्वास दुश्वार हुई,हर पल तिल तिल मर रहे  l वृक्ष अगर ना काटे होते,दो-चार ही सही लगाए होते l आज ना यू जीवन बेबस होता,क्रंदन के अश्रु ना गिरते l नहीं हुई देर अभी भी,अब तो संभलो कुछ करो सुधार  l खुशहाल वसुंधरा करें,दे बच्चों को हरी भरी वसुधा का उपहार l स्वस्थ सुखी समृद्ध होगा जीवन,जब हरियाली से समृद्ध होगी धरा  l शीतल मंद सुगंधित बहेगी हवा,स्वस्थ,शांत सबका तन मन होगा  l पंछी चहकेंगे डाली पर,वृक्ष फल फूल संग मुस्कुायगा l झूला डाले इनकी छाया तले,बच्चों का बचपन खिल खिलाएगा l हरियाली होगी जब भरपूर,बादल खींचे चले आएंगे  l नहीं रहेगा किसान उदास,खेत खलिहान लहलहाएंगे l जब करेंगे प्रकृति का श्रृंगार,मिले...

जल संरक्षण

विषय - जल संरक्षण 1.  जब शुद्ध, संरक्षित  होगा जल l  तब सुरक्षित होगा आने वाला कल l 2.  साफ,सुरक्षित रखो हवा,पानी को l  दस साल बढ़ाओ अपनी जवानी को  l 3.  साफ बर्तन में सदा पियो साफ पानी l  स्वस्थ रहने का ये नुस्खा बताएं नानी  l 4. जल के हर बूंद को करना है संरक्षित  l आने वाला कल हमारा तब होगा सुरक्षित l 5.  जल को कभी व्यर्थ नहीं बहाना l  वर्ना कल पड़ेगा सबको पछताना  l 6. जल संरक्षण का सब मिलकर करो उपाय l शासन भी इसके लिए कई योजना चलाय l 7.  बूंद-बूंद पानी को भी बचाना है l  जल संकट को दूर भगाना है l 8.  बूंद -बूंद पानी का भी समझो मोल  l  जल की हर बूंद होवे है अनमोल l 9.  जो बचाएगा जितना जल  l  उतना ही सुरक्षित होगा उसका कल  l 10. जल ही जीवन है, इसकी महिमा निराली है l  जिस धरा पर जल नहीं वह जीवन से खाली है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 03/06/2022

पर्यावरण संरक्षण

🙏🏻पर्यावरण संरक्षण अगर जीवन खुशहाल बनाना है l  पर्यावरण संरक्षण को अपनाना है l  पर्यावरण को करके संरक्षित  l  बनाएंगे सबका जीवन सुरक्षित l  जब पर्यावरण में हरियाली छाएगी  l  तब पूरे समाज में खुशहाली आएगी  l जल,जंगल, जमीन  को सुरक्षित करने का करो जतन l वर्ना निश्चित है पर्यावरण के साथ जीवन का पतन l साफा व सुरक्षित जो रखते हैं  पर्यावरण को  l उनके प्रयास से जीवन मिलता कई लोगों को l  जब वृक्षों पर पंछियों के झुंड चहकते हैं l तब पर्यावरण में फूल खिलते व महकते हैं l  जीवन को खुशहाल बनाना है l  पर्यावरण को निश्चित ही बचाना है  l  शुद्ध हवा, पानी को हमें नहीं तरसना है l  पर्यावरण संरक्षण के लिए कमर कसना है l  जल,जमीन,जंगल वसुंधरा का गहना है l  इनकी सुरक्षा हेतु सदा तत्पर रहना है  l  जहां साफ सुरक्षित होता है पर्यावरण  l  वहाँ सुरक्षित रहता हर प्राणी का जीवन  l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 03/06/2022

2 जून की रोटी

🙏🏻2 जून की रोटी भूखे पेट की सिसकियाँ आँखों से बरसती हैं l यहाँ 2 जून की रोटी को जिंदगी तरसती है l जेठ की दुपहरी में नंगे पाँव ग़रीबी चलती है l फिर भी दो बूंद जिंदगी की बेमोल मिलती है l महंगाई की मार गरीब की कमर तोड़ती है l घुटती जिंदगी जीने की आस भी छोड़ती है l होठों तक आकर भी मुस्कान लुटती है l बंद बोतलों में साहब यहाँ पानी बिकती है l बंजर प्यासी धरती हरियाली को तरसती हैl ठूँठ की चिड़िया जल बिन मछली सी तड़पती है l प्रदूषण की दवागनी जिंदगीया निगलती है l अनु अब तो हवा भी बंद डिब्बो में बिकती है l छोटी छोटी कोठरियों में जिंदगी सिमटती है l अपनों के प्यार के लिए बूढ़ी आँखें तरसती है l जेठ की दुपहरी में दो निवाले जुटाने जिस्में तपती है l गरीबी से उबरने में तमाम उम्र कटती है l उस दुकान का पता दे जहाँ खुशिया बिकती है l वो फनकार कहाँ है जो फटे अरमान सिलती है l छूटती,घुटती जिन्दगियाँ हर पल सिसकती है l झूलसता बचपन को मासूमियत को तरसती है l  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 02/06/2022

दुश्मन

🙏🏻दुश्मन दुश्मन तो कोई नहीं इस जहाँ में अपना l बस कुछ लोगो से मेंरे विचार नहीं मिलते हैं l तोड़ा तो बहुत मेरी उम्मीदों को बेरुखी ने l जिद्दी हैं हर बार एक नई उम्मीद लगा लेते हैं l नाहक क्यों परेशान रहें चार दिन की जिंदगी में l दुश्मनी में क्या रखा, हम दोस्ती का मजा लेते हैं l इस शहर में रस्मो रिवाज,हालात अलग से हैं अनु l अजीब दस्तूर जमाने का मुस्कुराने की सजा देते हैं  l अहम् किस बात का करूं शून्य सा अस्तित्व मेरा l जो भी मिले प्यार से हम उसको गले लगा लेते हैं l गमगीन सी सूरत में क्यों फिरे महफिल में अनु l मुफ्त में मिलती मुस्कुराहट होठों में सजा लेते हैं  l कोई फन हममे कहाँ हम कोई फनकार नहीं l यूं ही बेख्याली में  कुछ गीत गुनगुना लेते हैं l किसी नें कभी अश्क बहाते हमें देखा नहीं l दिल का दर्द अनु मुस्कुरा कर  छुपा लेते हैं l हमसे दुश्मनी रखें कोई, ऐसा हमनें सुना नहीं l हुनर है हममें दुश्मनों को भी दोस्त बना लेते हैं l   बे तकल्लुफ से यूं देखा ना करो हमें अनु l हम नैनो के बाण से घायल कर सजा देते हैं  l लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 02/06/20...

सफर

🙏🏻सफर सफर जारी रहे तो कारवाँ बन ही जायेगा l कौन कितनी दूर साथ चलेगा ये वक्त बताएगा  l  जिंदगी के सफर में कई पड़ाव भी आएंगे  l  कहीं कांटे तो कहीं राहों में फूल मुस्कुराएगा  l किसने कहा चलना है तुझे बस पलकों की छांव में  l ये जिंदगी का सफर है अनु पैरों में छाला पड़ जाएगा l रुकना नहीं तुझे जिंदगी के सफर में किसी मोड़ पर l बस चलते जाना यह सफर तुझे मंजिल तक पहुंचाएगा l अनु हौसले मजबूत रखना जिंदगी के सफर में l यह सफर वक्त बेवक्त तेरे हौसले आजमाएगा l है कठिन पर पीठ दिखाना नहीं कभी किसी सूरत में l आएगा तूफान तेरे हौसलों से टूट के बिखर जाएगा l सफर बस चलते रहने का ही नाम नहीं है अनु l जरा सा सुस्ता लोगे तो सफर का थकान मिट जायेगा l कई लोग मिलेंगे कई लोग बिछडेंगे जिंदगी के सफर में l किसी मुकाम पे एक प्यारा हमसफर भी मिल जायेगा l तन्हा सफर किसी का कटता नहीं है इस जहां में  l  कई दोस्त भी बनेंगे तेरे,कोई दुश्मन भी मिल जाएगा  l चेहरे पर सदा एक प्यारी सी निश्छल मुस्कान सजाये रखना l कर यकीन निश्चित ही खुशनुमा होगा अनु तेरा यह सफ़र l  लोकेश्वरी कश्यप ...

दिल का दर्द

🙏🏻गजल दिल का दर्द छुपाये बैठें हैं जाने कब से दिल ही में l दिल का दर्द ही तो है बताएं तो किसे बताएं  l कहने को अपना कोई भी नहीं इस भीड़ में l मोहब्बत ही तो है जताए तो किससे जताएं  l वफ़ा का मोल नहीं,बेवफाई का बाजार गर्म है दुनिया में  l बेवफाई के दौर में वफा निभाए भी तो किससे निभाए l उनके इंतजार में पलके बिछाए बैठे थे सूनी राहों में l सब्र का बांध टूटने को है दिल को कब तक सब्र दिलाए l दिल को किसी और की आरजू नहीं शिवा उनके l वो नहीं किस्मत में तेरी दिल को कैसे समझाएं  l  मुद्दतों से घर किए बैठे हैं वो मेरे दिल में l  मुमकिन अब कहां के दिल उनको भूल जाए l मोहब्बत के सितम से कोई बचा नहीं आज तक l दिल का दर्द ही तो है भला इससे कौन बच पाए l दो घड़ी के लिए पहलू में आकर जो वे बैठे l पता ही ना चला वक्त कैसे पल में गुजर गए  l चिलमन की ओट से उनकी नजरों से तीर चलते रहे l दिल घायल होता रहा, हम निगाहों से मय पीते गये l  उनकी डोली जब उठी है नजरों के सामने से l  दिल छलनी होता गया, अश्क दरिया से बहते गए l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 01/06/2022

कर्ज चुकाना है

🙏🏻शीर्षक - कर्ज चुकाना है आ गया समय,अब कुछ कर दिखाना है l कर्मवीर के चरणों तले, झुकता जमाना है l अनमोल है यह जीवन, व्यर्थ नहीं गवाना हैl मात पिता की सेवा कर, सेवा का कर्ज चुकाना है l ऋण है जो मातृभूमि का,वह कर्ज चुकाना है l आये जो अब तूफान तो,हँस कर टकराना है l रोना छोड़ अब हर हाल में हमें मुस्काना है l जो भी कर्ज है जिनका, वह कर्ज चुकाना है l  ज्ञान विज्ञान से अंधविश्वास को दूर भगाना है l आधुनिकता की भेंट चढ़ते संस्कारों को बचाना है l भटक गये है जो अपने,उन्हें सही राह पे लाना है l अधूरे है जो सपने,उनको पूरा कर दिखलाना है l बेसुध है जो नशे में, उन्हें होश में लाना है l टूट रहे है जो रिश्ते,उनको दिल से बचाना है l बिछड़े हुए अपनों को,फिर से गले लगाना है l निरस होती जिंदगी, प्रेम के रंगों से सजाना है l अपने अधिकारों के लिए,आवाज उठाना है l जवाबदेही से अपने सभी कर्तव्यों को निभाना है l समस्याये जो आये तो धैर्य से सुलझाना है l रुकना नहीं हौसलों की उड़ान भरते जाना है  l लोकेश्वरी कश्यप  मुंगेली, छत्तीसगढ़ 28/05/2022

जोड़ी राधेश्याम की

🙏🏻जोड़ी राधे श्याम की,जग में है अनुपम l  कीर्ति जाके प्रेम की, देखे रहा संसार l  बड़े मनुहार प्रेम से, बिंदि देत  भाल l है खुश राधा रानी ,कृष्ण करे सिंगार  l  स्वर्ण की सुंदर मुरली, राधा पकड़े हाथ l  प्रेम समाता ना मन में , जब दोनों हो साथ l मोर पंख ऐसे सोहे ,चितेरे का कलम l  देखे जो प्रेम इनका , मिटे सारी जलन l  खोए हैं एक दूजे में, मुखड़े पर मुस्कान  l  रोमांचित तन मन है, देखे नित अपलक l  श्याम मूरत मोहिनी, गले बैजंती माल l  मोर पंख की लेखनी, कमल नाल सा हाथ l  रह गए चित्र लिखे से,बैठ जमुना तीर l  नैनो से नैना मिले, मन में खिले कमल  l  शोभा राधेश्याम की, देख रही लोकेश l  मन में प्रेम समाए ना, नयन से बहे धार l  लीला यह है श्याम की, देख हुई निहाल  l  मंत्रमुग्ध है दोनों ही, अद्भुत है रोमांच l  लोकेश्वरी कश्यप,जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

वन है तो हम हैं

🙏🏻वन है तो हम हैं  सुन लो बड़ो की बात,उनकी बात में दम है  l  करो संरक्षण वनों का, वन है तो हम हैं  l शुद्ध वायु देते, देते हमको अनेकों फल हैं  l इनसे ही आकर्षित होकर आते काले धन हैं  l अनेक वन्यजीवों का एकमात्र ये ही घर है l लगातार कटाई से, कम हो रहे सारे वन हैं l  वनों से ही लोगों का जीवन सुखमय हैं l जहाँ वन कम है वहाँ जीवन दुखमय है l जंगल, नदी, पहाड़ धरती का आभूषण है l वन धरती स्वच्छ रखते कम करते प्रदूषण हैं l  वनो में ही तो औषधियों के भंडार हैं l  हरे-भरे वन करते धरती का श्रृंगार हैं l  वन्य जीवों का यहां बसता पूरा परिवार है l  जंगलों में पल्लवित होता उनका संसार है l सुरक्षित रहे जंगल तो मंगल ही मंगल है l यहां शेर तोते मोर हीरन भालू और बंदर है l वनों की कटाई से संकट में प्राणी का जीवन हैं l भोजन पानी की तलाश में आते गांव में जीव हैं l  उजड़ रहे जंगल,हो रहा चहुँ ओर अमंगल है l लालच में अंधा मानव,बुला रहा अपना संकट है l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 04/06/2022

घमंड

💐शीर्षक - घमंड  किसी को रूप का घमंड है l किसी को पैसे का घमंड है l  किसी को पद का घमंड है  l  बाबूजी यह घमंड सर चढ़कर बोलता है  l  घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l  किसी को आन का घमंड है  l  किसी को शान का घमंड है  l  किसी को दान का घमंड है  l  बाबू जी किसी को मान का घमंड है l  घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l  घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l  किसी को स्वाभिमान का घमंड है  l  किसी को खानदान का घमंड है  l किसी को ऊँची उड़ान का घमंड है l बाबू जी किसी को खुले आसमान का घमंड है l  घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l  माँ -बाप को बच्चों का घमंड है l  बच्चों को माँ -बाप का घमंड है l  किसी को रिश्तो का घमंड है  l  बाबूजी किसी को रिश्तेदारों का घमंड है  l  घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l  रूप बुढ़ापे में ढल जाता है  l  धन कभी यहां तो कभी वहाँ चला जाता है  l  रिश्ते टूट जाते हैं, रिश्तेदार खो जाते हैं l  बाबूजी समय सबका घमंड ...