वेध उत्सव प्रतिवेदन श्रंखला 4

🎯 प्रतिवेदन

25/5/2021

NEP पर विशेष चर्चा.

 प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी

 प्रशिक्षक आदरणीय श्री दीपक पुरोहित सर जी

 मंच संचालन आदरणीय श्रीमती मीरा चंद्राकर जी

 कल के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए आज पुनः क्रिटिकल थिंकिंग से आज की चर्चा की शुरुआत की गई.  क्रिटिकल थिंकिंग के अंतर्गत लॉजिकल थिंकिंग पर प्रश्न का उत्तर देते हुए चर्चा की शुरुआत.  किसी भी मुद्दे पर पूर्ण जानकारी रखना और उसके प्लस पॉइंट एवं माइनस पॉइंट को ध्यान में रखकर अर्थात उस विषय के सकारात्मक और नकारात्मक स्वरूप को देख पाने की क्षमता एवं सोच समझकर तर्कपूर्ण चिंतन करते हुए उसे सही रूप देना ही लॉजिकल थिंकिंग हैं.  लॉजिकल थिंकिंग को स्पष्ट करने के लिए वर्तमान  काल के प्रासंगिक मुद्दे पर बात की गई.
 लेकिन की पर्याप्त आपूर्ति क्यों नहीं हो पा रही है इसके क्या कारण है क्या अपने देश में वैक्सीन उपलब्ध कराना सरकार का नैतिक कर्तव्य नहीं है. दूसरे देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाने से पहले अपने देश के बारे में सोचना सरकार का कर्तव्य नहीं था.  ऐसे सवालों के जवाब व्यक्ति  विशेष पर निर्भर करते हैं. और इसका आधार होता है स्वयं को सामने रखकर किसी समस्या को देख पाने की क्षमता. इसे हम व्यक्तिगत नजरिया कह सकते हैं. यह जरूरी नहीं कि सभी व्यक्ति का जवाब सही हो. हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है और उसका नजरिया उसकी आवश्यकताओं से प्रभावित होती हैं. ऐसी स्थिति परिस्थिति में हमें चैन से ऊपर उठकर सोचने समझने और तर्कपूर्ण भी चिंतन करने की आवश्यकता होती हैं. जैसे कि इसी मुद्दे को अगर हम एक छोटे से देश भूटान जो कि काफी गरीब माना जाता है उसके नजरिए से देखें तो स्थिति  कुछ अलग होगी. भूटान वैक्सीन खरीदने की स्थिति में नहीं थे और उन्हें एक्टिंग की नितांत आवश्यकता थी ऐसे समय में भारत द्वारा उन्हें वैक्सीन उपलब्ध करवाया जाना उनके लिए डूबते को तिनके का सहारा साबित हुई.  और यह फैसला उस समय लिया जब भारत के लोगों में वैक्सीनेशन एवं व्यक्ति के प्रति काफी नकारात्मक रवैया देखने को मिल रहा था कहने का तात्पर्य है कि काफी ब्राह्मण की स्थितियां यहां पर थी. तो उस समय के हिसाब से वैक्सीन का सही इस्तेमाल हुआ साथ ही इससे देशों के बीच सौहार्द्र की भावना और सहयोग की भावना का एक सकारात्मक पक्ष का निर्माण हुआ. अब चुकी सभी लोग वैक्सीनेशन के लिए अवेयर हो चुके हैं यहां तो सरकार यहां पूर्व प्राथमिकता के साथ वैक्सीनेशन के लिए कटिबद्ध नजर आती है.
 इस मुद्दे पर हम क्रिटिकल,लॉजिकल थिंकिंग का बहुत अच्छा उदाहरण देखने को मिलता है.

 क्रिटिकल थिंकिंग के पांच भागों की बात की गई जों क्रिटिकल थिंकिंग के आधार हैं.
👉 विषय या समस्या का पूर्व ज्ञान.
👉 वैचारिक स्वतंत्रता
👉 किसी भी तथ्य के सही और गलत पक्ष को देख पाने का दृष्टिकोण.
👉 स्तरीय चिंतन अर्थात इस स्तर पर चिंतन कर पाते हैं 
👉 दृष्टिकोण अर्थात देखने व समझने  का नजरिया.
 क्रिटिकल थिंकिंग के लिए उस विषय का पूरा ज्ञान एवं पूर्व ज्ञान होना अति आवश्यक पहलू है.


NEP के प्रमुख भाग
👉 स्कूली शिक्षा

 स्कूली शिक्षा व्यवस्था को 3 से 18 वर्ष के सभी बच्चों के लिए पाठ्यचर्या और शिक्षण शास्त्र के आधार पर डिजाइन किया गया है. जिसे की 5+3+3+4 के रूप में परिभाषित किया गया है.

👉 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा(ECCE) :-इस व्यवस्था में पांच जो है वह 3 वर्ष पूर्व प्राथमिक अर्थात बाल वाटिका के साथ प्राथमिक स्तर के 2 कक्षाओं को सम्मिलित किया गया है. इससे पूर्व बाल वाटिका या आंगनबाड़ी केंद्रों की शिक्षा अनौपचारिक माना जाता रहा है. अब इसे औपचारिक रूप से प्राथमिक के दो कक्षा के साथ मिलाकर  देखने समझने और कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. इस अवस्था में 3 वर्ष के बच्चों को शामिल कर प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की एक मजबूत बुनियाद को भी शामिल किया जा रहा है जिसे की ईसीसीई अर्थात अर्ली चाइल्डहुड केयर एजुकेशन कहां गया है. 3 से 6 वर्ष के बच्चों को औपचारिक शिक्षा  से जोड़ने के पीछे सिद्धांत यह है कि मनोविज्ञान एवं मस्तिष्क विज्ञान  के अनुसार 3 से 6 वर्ष के बच्चों में मस्तिष्क का 80 से 85% विकास हो चुका होता है. इस दौरान मस्तिष्क के न्यूरॉन्स का विकास तेज गति से होता है एवं इस स्तर पर संज्ञानात्मक भाषाई व गणिती अवधारणाओं को समझने के  विकास की गति अत्यंत तीव्र होती हैं. अतः यह महत्वपूर्ण स्तर होता है जब बच्चों को विभिन्न अवधारणाओं को सीखने समझने और उसे अनुभव करके सीखने के अवसर दिए जाए तो उनका सर्वांगीण विकास बहुत अच्छे से होता है. अतः 3 से 6 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक बच्चों के साथ मिलाकर औपचारिक शिक्षा दी जाने की प्रावधान कीया गया है.3,6 वर्ष की उम्र में बच्चों को सीखने के समुचित सुखद वातावरण उपलब्ध हो इसके लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण पक्ष है.


ECCE के मुख्य पहलू या पक्ष

👉 1.  भाषाई कौशल का विकास
👉 2. गणितीय कौशल का विकास
👉 3. आनंद पूर्ण सीखने का वातावरण प्रदान करना.

 हमारे सामने एक प्रश्न आया कि क्या हम वर्तमान में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आनंददाई वातावरण( सीखने के अवसर) उपलब्ध करा पा रहे हैं? जवाब आया नहीं.
 सीखने का आनंददाई वातावरण बच्चों को नहीं मिल पाने के कारण ही बच्चे विभिन्न अवधारणाओं को नहीं समझ पाते हैं. इससे अवधारणाओं को सीखने में बाधा उत्पन्न होती है और धारण आत्मक विकास बाधित होता है. अतः हमें बच्चों को अधिक से अधिक सीखने के आनंददाई वातावरण उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है. बच्चा जब हमारे पास स्कूल में आता है तो उसके पास लगभग 12 से 13000 शब्दों का विशाल शब्द भंडार होता है. और यह वह शब्द होते हैं जिनमें से अधिकतर का अर्थ बच्चों को पता होते हैं. जो उनके पूर्व ज्ञान से संबंधित होते हैं.  हमें बच्चों के इस पूर्व ज्ञान का उपयोग उन्हें नई अवधारणाओं को समझने आत्मसात करने के लिए सीखने के पर्याप्त अवसर देखकर पोस्ट करना होगा ताकि वे इन के माध्यम से और नहीं अवधारणाओं को समझें और उसे पुष्ट करें.

ECCE के मुख्य पहलू या पक्ष

👉 1.  भाषाई कौशल का विकास
👉 2. गणितीय कौशल का विकास
👉 3. आनंद पूर्ण सीखने का वातावरण प्रदान करना.

 हमारे सामने एक प्रश्न आया कि क्या हम वर्तमान में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आनंददाई वातावरण( सीखने के अवसर) उपलब्ध करा पा रहे हैं? जवाब आया नहीं.
 सीखने का आनंददाई वातावरण बच्चों को नहीं मिल पाने के कारण ही बच्चे विभिन्न अवधारणाओं को नहीं समझ पाते हैं. इससे अवधारणाओं को सीखने में बाधा उत्पन्न होती है और धारण आत्मक विकास बाधित होता है. अतः हमें बच्चों को अधिक से अधिक सीखने के आनंददाई वातावरण उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है. बच्चा जब हमारे पास स्कूल में आता है तो उसके पास लगभग 12 से 13000 शब्दों का विशाल शब्द भंडार होता है. और यह वह शब्द होते हैं जिनमें से अधिकतर का अर्थ बच्चों को पता होते हैं. जो उनके पूर्व ज्ञान से संबंधित होते हैं.  हमें बच्चों के इस पूर्व ज्ञान का उपयोग उन्हें नई अवधारणाओं को समझने आत्मसात करने के लिए सीखने के पर्याप्त अवसर देखकर पोस्ट करना होगा ताकि वे इन के माध्यम से और नहीं अवधारणाओं को समझें और उसे पुष्ट करें.

 महिला बाल विकास विभाग स्वास्थ्य विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के  समन्वय से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है. पता है इन तीनों को साथ मिलकर काम करना है  एवं बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है. बच्चों को आनंददाई वातावरण प्रदान करना है बच्चों के आनंद की सुरक्षा की बात की गई है.  बच्चों के आनंद की सुरक्षा का तात्पर्य है कि बच्चों को अपने खुद के नियम व और धारणाएं बनाने के पर्याप्त आनंददाई अवसर भयमुक्त अवसर प्रदान किए जाएं.


 
 महिला बाल विकास विभाग स्वास्थ्य विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के  समन्वय से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है. पता है इन तीनों को साथ मिलकर काम करना है  एवं बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है. बच्चों को आनंददाई वातावरण प्रदान करना है बच्चों के आनंद की सुरक्षा की बात की गई है.  बच्चों के आनंद की सुरक्षा का तात्पर्य है कि बच्चों को अपने खुद के नियम व और धारणाएं बनाने के पर्याप्त आनंददाई अवसर भयमुक्त अवसर प्रदान किए जाएं.


 लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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