दिल का दर्द

🙏🏻गजल
दिल का दर्द

छुपाये बैठें हैं जाने कब से दिल ही में l
दिल का दर्द ही तो है बताएं तो किसे बताएं  l


कहने को अपना कोई भी नहीं इस भीड़ में l
मोहब्बत ही तो है जताए तो किससे जताएं  l

वफ़ा का मोल नहीं,बेवफाई का बाजार गर्म है दुनिया में  l
बेवफाई के दौर में वफा निभाए भी तो किससे निभाए l


उनके इंतजार में पलके बिछाए बैठे थे सूनी राहों में l
सब्र का बांध टूटने को है दिल को कब तक सब्र दिलाए l


दिल को किसी और की आरजू नहीं शिवा उनके l
वो नहीं किस्मत में तेरी दिल को कैसे समझाएं  l


 मुद्दतों से घर किए बैठे हैं वो मेरे दिल में l
 मुमकिन अब कहां के दिल उनको भूल जाए l

मोहब्बत के सितम से कोई बचा नहीं आज तक l
दिल का दर्द ही तो है भला इससे कौन बच पाए l


दो घड़ी के लिए पहलू में आकर जो वे बैठे l
पता ही ना चला वक्त कैसे पल में गुजर गए  l

चिलमन की ओट से उनकी नजरों से तीर चलते रहे l
दिल घायल होता रहा, हम निगाहों से मय पीते गये l


 उनकी डोली जब उठी है नजरों के सामने से l
 दिल छलनी होता गया, अश्क दरिया से बहते गए l




लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
01/06/2022

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