घमंड

💐शीर्षक - घमंड

 किसी को रूप का घमंड है l
किसी को पैसे का घमंड है l
 किसी को पद का घमंड है  l
 बाबूजी यह घमंड सर चढ़कर बोलता है  l
 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l


 किसी को आन का घमंड है  l
 किसी को शान का घमंड है  l
 किसी को दान का घमंड है  l
 बाबू जी किसी को मान का घमंड है l
 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l
 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l

 किसी को स्वाभिमान का घमंड है  l
 किसी को खानदान का घमंड है  l
किसी को ऊँची उड़ान का घमंड है l
बाबू जी किसी को खुले आसमान का घमंड है l
 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l

 माँ -बाप को बच्चों का घमंड है l
 बच्चों को माँ -बाप का घमंड है l
 किसी को रिश्तो का घमंड है  l
 बाबूजी किसी को रिश्तेदारों का घमंड है  l
 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l


 रूप बुढ़ापे में ढल जाता है  l
 धन कभी यहां तो कभी वहाँ चला जाता है  l
 रिश्ते टूट जाते हैं, रिश्तेदार खो जाते हैं l
 बाबूजी समय सबका घमंड तोड़ देता है l
 लेकिन घमंड अपनी ही भाषा बोलता हैl

 मानता कोई नहीं, पर सब जानते हैं  l
 घमंड किसी का सदा दिन रहता नहीं है l
घमंड का सर एक दिन झुक ही जाता है l
 बाबूजी फिर भी सब चढ़ते घमंड में चूर है  l
 क्योंकि घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l


 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
23/04/2022

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