हरी भरी वसुंधरा का उपहार

💐हरीभरी वसुंधरा का उपहार

जब देने से सुख मिलता था,सबको मिलता था परमानंद  l
जब लेने में सुख मिलने लगा,तब से खो गया आनंद l


देने की शिक्षा पाई जिनसे,आज उन्हें ही भुला दिया l
अपने ही हाथों से हमने,अपने ही जड़ को जला दिया l

धरती के आभूषण को हमनें,कभी नहीं सम्मान दिया l
जिनसे जीवन चलता आया,उनका ही क्यों अपमान किया ?


सिलेंडरों में बंद हवा की,छीना झपटी अब क्यों कर रहे?
अब स्वास स्वास दुश्वार हुई,हर पल तिल तिल मर रहे  l


वृक्ष अगर ना काटे होते,दो-चार ही सही लगाए होते l
आज ना यू जीवन बेबस होता,क्रंदन के अश्रु ना गिरते l


नहीं हुई देर अभी भी,अब तो संभलो कुछ करो सुधार  l
खुशहाल वसुंधरा करें,दे बच्चों को हरी भरी वसुधा का उपहार l


स्वस्थ सुखी समृद्ध होगा जीवन,जब हरियाली से समृद्ध होगी धरा  l
शीतल मंद सुगंधित बहेगी हवा,स्वस्थ,शांत सबका तन मन होगा  l


पंछी चहकेंगे डाली पर,वृक्ष फल फूल संग मुस्कुायगा l
झूला डाले इनकी छाया तले,बच्चों का बचपन खिल खिलाएगा l


हरियाली होगी जब भरपूर,बादल खींचे चले आएंगे  l
नहीं रहेगा किसान उदास,खेत खलिहान लहलहाएंगे l


जब करेंगे प्रकृति का श्रृंगार,मिले स्वच्छ वातावरण उपहार l
पेड़ बचाओ वृक्ष लगाओ,करे धरनी को फिर खुशहाल  l




 लोकेश्वरी कश्यप
 मुंगेली, छत्तीसगढ़
03/06/2022

Comments

Popular posts from this blog

स्कूली शिक्षा आज और कल में अंतर

तकदीर का लिखा

प्रतिवेदन श्रंखला (2)