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Showing posts from April, 2023

गुनगुनी धूप

🙏🏻शीर्षक - गुनगुनी धूप सर्दियों में सब को राहत देती, प्यारी लगती गुनगुनी धूप l चाहत रहती सबकी बस यही, मिलती रहे दिन भर गुनगुनी धूप l कड़ाके की ठंड में जब, सिकुड़ने और ठिठुरने लगता l सबका सारा तन - मन तब, बड़ी मधुर लगती गुनगुनी धूप l तरह-तरह के फल व सब्जियां, पौष्टिकता और स्वाद से भरपूर  l खेत -खलीहानो में जब पड़ती, सूरज की झीनी गुनगुनी धुन  l स्वेटर,कंबल या फिर रजाई, चाहे कितने भी ओढ़ लों भाई l इन सबपे भारी पड़ जाती है, नई नवेली सी गुनगुनी धूप l सबको अपने पास बुलाती, काम - धाम छोड़कर बैठाती l परमाआनंद का एहसास दिलाती, ईश्वर का वरदान गुनगुनी धूप l शांत मन से तुम बैठ जाओ, तन - मन पर स्पर्श पाओ l प्रकृति मुस्काये ऊर्जा संचार पाये , जब जीवो पर पड़े गुनगुनी धूप l लोकेश्वरी कश्यप 21/04/2023

कुर्सी

🙏🏻शीर्षक - कुर्सी कुर्सी पाछे भागती, देखो ये संसार l देख इशारे नाचती, तज आचार विचार l तज आचार विचार, कुर्सी मोह में  फंसते l पड़ती इसकी मार,रोने लगते हँसते l इसकी कृपा महान,धनवान बनाती कुर्सी l दया करो भगवान, हमें भी दिला दो कुर्सी l लोकेश्वरी कश्यप 21/04/2023

वृद्ध अवस्था (हाइकु )

🙏🏻हाइकु विषय - वृद्ध अवस्था वृद्ध अवस्था लगता सबको बोझ अंत अवस्था झुकी कमर लगे हड्डी का ढांचा मन मसोस देख तमाशा हो जाते है पराये सभी अपने दिन अवस्था बन जाती है कब हीन अवस्था तरसे नैन अपनों की खातिर बरसे नैन कौन देखता मुड़कर उनको वृद्ध जनों को लोकेश्वरी कश्यप 20/04/2023

मेरा कुत्ता ( बाल कविता )

🙏🏻बालगीत शीर्षक - मेरा कुत्ता मेरा कुत्ता बड़ा प्यारा है l सारे जग से न्यारा है l मेरे साथ  खेलता है l साथ घूमने जाता है l नाम उसका लालू है l दिखता जैसे भालू है l चौकन्ना सदा रहता है l लालू बड़ा ही चालू है l उसके घने बाल है l सुंदर उसकी चाल है l बड़े करतब दिखाता है l हर करतब कमाल है l मेरा कुत्ता तो राजा है l कुत्तो का शहजादा है l रखवाली घर की करता है l चोरो को काट भगाता है l लालू रोज नहाता है l खाना ताजा खाता है l अंजानो पर भौकता है l उनकी बैंड बजाता है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 07/04/2023

फूल

फूल फागुन में फूले है पलाश, लगे जैसे हो जंगल की आग  l गर्मियों में गुलमोहर फूले, दहके जैसे लाल लाल अंगार l मदार फूले है हर मौसम में, करते इससे देवी का श्रृंगार l सदाबहार फूले सदा सुहागन, इसकी करूं क्या कितनी बात l धतूरे और आंक के फूल से, सदा प्रसन्न रहते भोलेनाथ l पीले - पीले फूल कनेर के, करे भोले का सुंदर श्रृंगार l फुल प्रतीक है उल्लास का, जीवन में सुगंध भरी मिठास का  l इनको देख कर  खिल जाते हैं, मुरझाया मुखड़ा उदास का l फूल खुशियां और सुगंध देकर, चुपके से झड़ जाते हैं  l इनकी कुर्बानी से ही तो भैया, स्वादिष्ट फल हमें मिल पाते हैं  l फूलों से हम सब प्रेरणा लें, जीवन में सदा मुस्कुराने का l भरें सबके जीवन में हर्ष उल्लास, प्रेम सुगंध दे अलविदा होने का l लोकेश्वरी कश्यप 27/04/2023

हनुमत (दोहा )

💐दोहा शीर्षक - हनुमत हनुमत धरते ध्यान हैं, मन मंदिर में राम l रखते सेवा ज्ञान है,हर साँस बसे राम l हनुमत गर कुछ चाहते, बस राम का साथ l उनको सब कुछ मानते, अटूट इनका साथ l कर दानव का खातमा,राम भजन ही काम l करीब फटके पाप ना,राम चरण ही धाम l

मेरा कुत्ता (बालगीत )

💐बालगीत शीर्षक - मेरा कुत्ता मेरा कुत्ता बड़ा प्यारा है l सारे जग से न्यारा है l मेरे साथ  खेलता है l साथ घूमने जाता है l नाम उसका लालू है l दिखता जैसे भालू है l चौकन्ना सदा रहता है l लालू बड़ा ही चालू है l उसके घने बाल है l सुंदर उसकी चाल है l बड़े करतब दिखाता है l हर करतब कमाल है l मेरा कुत्ता तो राजा है l कुत्तो का शहजादा है l रखवाली घर की करता है l चोरो को काट भगाता है l लालू रोज नहाता है l खाना ताजा खाता है l अंजानो पर भौकता है l उनकी बैंड बजाता है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 07/04/2023

किताब

💐बालगीत शीर्षक - किताब  कुछ छोटी,कुछ बड़ी, कुछ मोटी, कुछ पतली l तरह -तरह की किताबें रंगीन चित्रों से सजी l मूझे अच्छी लगती है l कहानियों वाली किताब l राजा, रानी, परियो वाली l रंग - बिरंगी सुंदर किताब l मूझे अच्छी लगती है l गीतों वाली किताब l ढेर सारे गीतों से भरी l तरानो से सजी किताब l मूझे अच्छी लगती है l पहेलियों वाली किताब l मजेदार पहेलियाँ हो जिनमें l दीमाग बढ़ाने वाली किताब l मूझे अच्छी लगती है l चित्रों से भरी किताब l प्यारे  चित्र हो जिनमें, बोलती चित्र किताब l मूझे अच्छी लगती है l अच्छी शिक्षा वाली किताब l हमें अच्छी आदतें सिखाती l संस्कारो वाली किताब l आओ संगी इनसे करें दोस्ती l हमारे बढ़िया साथी किताब l सही,गलत में फर्क बताने वाली l ज्ञान से भरी रहती किताब l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 07/04/2023

काजल

🙏🏻विषय - काजल काजल वाले दो नयन,तरसाते दिन - रैन l सुंदर कोमल दो अधर, करत है मधुर बैन l करत है मधुर बैन, बजावे सुमधुर मुरली l छीने सबका चैन,जब भी बंसी अधर लीl राधिका ऊपर डार, श्याम कालिंदी का जल l हँसता है दिल खोल,हँसे नैन का काजल l काजल आँजे श्याम को,मात यशोदा रोज l कहती नटखट लाल को,बढ़ता मुख का ओज l बढ़ता मुख का ओज, नहीं लगती बुरी नजर l मनाओ लल्ला मौज ,इससे होत नहीं असर l उड़ते काले बाल,लगते घनेरे बादल l माखन लिपटे गाल,नयनों में सजे काजल l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 07/04/2023

रामनवमी

💐शीर्षक - राम नवमी अवतरे धरा पर राम,हरने महि का भार l मंगल तिथि चैत्र नवमी,अति शुभकर था वार l अति शुभकर था वार,दशरथ भये पुर्णकाम l सब जाते मन हार, श्याम सलोने श्री राम l भक्ति से जो रिझाते, भवसागर वह जन तरे l मर्यादा सिखाने, भगवान स्वयं अवतरे l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 01/04/2023

बसंतोत्सव

💐हाइकु 1. बसंतोत्सव मिलकर बनाये खुशी से गाये 2. माता शारदा मनाये सभी मिल भर उल्लास 3. आम बौराये भीनी भीनी खुशबु मस्ताये सभी 4. कोयल कूके पपीहा बोले पीहू भौंरे भी गूंजे 5. पलास फूले चले बसंती हवा मन हर्षाये लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 05/04/2023

नवसंवत्सर की छटा निराली

💐शीर्षक - नवसंवत्सर की छटा निराली नए वर्ष की मिले सबको बधाई, प्रकृति का रूप निखर आई l नव संवत्सर की छटा निराली, हर तरफ खुशियां ही खुशियां छाई  l पतझड़ के पेड़ों पर नव पल्लव आई, हरियाली देखो चहुँ ओर पड़े दिखाई l नव संवत्सर की छटा निराली, लता,वृक्षों पर सुंदर तरुणाई छाई l आम्र वृक्ष लद गये हैं बौरों से, बाग गुंजारीत हो गए भौरों से l नव संवत्सर की छटा निराली, वर - वधू भी सज रहें हैं मौरों से l बागों में यूँ बिखरकर बहारें आई, ज्यों नव मधुबाला में यौवन छाई l नव संवत्सर की छटा निराली, पेड़ों से लिपटी लता देख बाला शर्माई l सर्दियों की शुरू हो रही विदाई, शबनम की बुँदे भी कम पड़ती दिखाई l नव संवत्सर की छटा निराली, गर्मियों की होने जा रही अगुआई l नौ दिन नौ रात के लिए जगदम्बा आई, भक्तों ने जगराते की खूब धूम मचाई l नव संवत्सर की छटा निराली, माँ के जयकारे की गूंज हर तरफ पड़े सुनाई l हर तरफ ही मंगलमय बेला छाई, आपस में मिलके रहें सब छोड़े लड़ाई l नव संवत्सर की छटा निराली, एकता में ही है जन, देश, धर्म की भलाई l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 03/04/2023

दुल्हन

💐शीर्षक - दुल्हन हाथों मेहंदी लगा, रचा महावर पांव l सजनी मिलन को आतुर, साजन खोजे दांव l बैठी दुल्हन सजा सेज,पिया का इंतजार l आते ही प्रियतम के, खत्म ये इंतजार l बैठी दुल्हन पलक झुका,नयनों में भर लाज l उपमा जाती न बरनी, फीकी है मुमताज l होंठ पर लाली बिखरी, नयन कजरा समाय l चितवन गजब की निखरी , साजन  रही लुभाय l सूरत ऐसी मोहनी, नजरें न हटा पाय l बाण चलाये भीलनी, कौन भला बच पाय l माथे बौर झूल रही, गर्दन पहने हार l हाथ कंगन खनक रही,सुंदर यह सिंगार l जूड़े महके मोगरा, रातरानी शर्माय l पोखर महके पोखरा, चाँदनी भी लजाय l सुंदर अति यह कामनी,कंचन काया नार l लगती जैसी दामनी, दोधारी तलवार l जोड़ा लाली सोहती, बागों छाय बहार l दुनियाँ सारी मोहती, बनी यह कंठ हार l सखी लाल जोड़ा पहन,दिखती लालम लाल l तोहार सिंगार बहन,रूप निखरा कमाल l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 02/04/2023