नवसंवत्सर की छटा निराली

💐शीर्षक - नवसंवत्सर की छटा निराली



नए वर्ष की मिले सबको बधाई,
प्रकृति का रूप निखर आई l
नव संवत्सर की छटा निराली,
हर तरफ खुशियां ही खुशियां छाई  l


पतझड़ के पेड़ों पर नव पल्लव आई,
हरियाली देखो चहुँ ओर पड़े दिखाई l
नव संवत्सर की छटा निराली,
लता,वृक्षों पर सुंदर तरुणाई छाई l

आम्र वृक्ष लद गये हैं बौरों से,
बाग गुंजारीत हो गए भौरों से l
नव संवत्सर की छटा निराली,
वर - वधू भी सज रहें हैं मौरों से l


बागों में यूँ बिखरकर बहारें आई,
ज्यों नव मधुबाला में यौवन छाई l
नव संवत्सर की छटा निराली,
पेड़ों से लिपटी लता देख बाला शर्माई l


सर्दियों की शुरू हो रही विदाई,
शबनम की बुँदे भी कम पड़ती दिखाई l
नव संवत्सर की छटा निराली,
गर्मियों की होने जा रही अगुआई l


नौ दिन नौ रात के लिए जगदम्बा आई,
भक्तों ने जगराते की खूब धूम मचाई l
नव संवत्सर की छटा निराली,
माँ के जयकारे की गूंज हर तरफ पड़े सुनाई l

हर तरफ ही मंगलमय बेला छाई,
आपस में मिलके रहें सब छोड़े लड़ाई l
नव संवत्सर की छटा निराली,
एकता में ही है जन, देश, धर्म की भलाई l



लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
03/04/2023

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