दुल्हन

💐शीर्षक - दुल्हन

हाथों मेहंदी लगा, रचा महावर पांव l
सजनी मिलन को आतुर, साजन खोजे दांव l

बैठी दुल्हन सजा सेज,पिया का इंतजार l
आते ही प्रियतम के, खत्म ये इंतजार l

बैठी दुल्हन पलक झुका,नयनों में भर लाज l
उपमा जाती न बरनी, फीकी है मुमताज l

होंठ पर लाली बिखरी, नयन कजरा समाय l
चितवन गजब की निखरी , साजन  रही लुभाय l

सूरत ऐसी मोहनी, नजरें न हटा पाय l
बाण चलाये भीलनी, कौन भला बच पाय l

माथे बौर झूल रही, गर्दन पहने हार l
हाथ कंगन खनक रही,सुंदर यह सिंगार l

जूड़े महके मोगरा, रातरानी शर्माय l
पोखर महके पोखरा, चाँदनी भी लजाय l

सुंदर अति यह कामनी,कंचन काया नार l
लगती जैसी दामनी, दोधारी तलवार l

जोड़ा लाली सोहती, बागों छाय बहार l
दुनियाँ सारी मोहती, बनी यह कंठ हार l

सखी लाल जोड़ा पहन,दिखती लालम लाल l
तोहार सिंगार बहन,रूप निखरा कमाल l

लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
02/04/2023

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