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Showing posts from October, 2022

पायल

💐शीर्षक : पायल कान्हा के पैरों की पायल,करती है गोपियों के मन को घायल l गजब कृष्णा की मनमोहक मुस्कान, कौन नहीं इसका कायल l नटखट कान्हा छुप छुप जाए, मैया बेचारी उसको ढूंढ ना पाए  l मैया नें सोचा तब यह उपाय, कान्हा को सुंदर पहना दी पायल  l शरारत करके कान्हा छुप ना पाए, पता झट बताये उसकी पायल l जहाँ भी जाए छम- छम बजती, कभी चुप नहीं रहती बैरन पायल  l गोपियां आढ़ में झट छुप जाए, कन्हैया की आहट जब बताएं पायल l साथियों को कृष्णा जब माखन खिलाएं, तब ना बजती  यह पायल l जब कन्हैया माखन का भोग लगाएं,तब बजे चंचल बैरन पायल  l कृष्णा कहीं भी आए - जाए , छन- छन खुश हो छनके पायल  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 16/10/2022

मन मंदिर छवि छाए रही

🙏🏻शीर्षक :  मनमंदिर छवि छाए रही मेरे हिय पीर भरी है , विरह वेदना जला रही l कैसे  तुझे  बताऊं मैं, तेरी  यादें  सता रही l श्याम तुम तो नहीं आये,तेरी यादें  रुला रही l पवन तेरे मधुर वेणु, की धुन यहाँ तक ला रही l गले शोभित वैजयंती, मोरपँख लहराए रही l पंकज नयन चितचोर हैं, सबका चित्त चुराए रही l  जो तेरा दरस मिले हैं, अधर मुस्कान छाए  रही l तुझे छोड़ किसे भजुँ कृष्ण,मन मंदिर छवि छाए  रहीl दीवानी वन -वन भटके,कृष्ण कृष्ण जाप कर रही l कृष्णा प्रेम हुआ जबसे,नाम की माला जप रही l मिलन की आस हिय में लिए,तप के ताप में जल रही l बैरागी  मन जोगन हो,तन मन की सुध भुला रही  l मुझको खुद में मिला लो न, दूध में पानी मिल रही l मुझमें मैं न बस तुम दिखो,पुष्प में सुगंध बस रही l आत्मा परमात्मा एक हों,जैसे रविकिरण एक रही l दो नहीं मिलके होंए एक,जल से जीवन मिली रही l अभी न आए  कब आओगे ,नयन भी अब पथरा रही  l नदी तीर नैया मेरी, आ हिचकोले  खाए रही  l तुम बन जाओ माझी जी, भंवर नाव डुबाय रही l हृदय प्रेम दीप जला के,आरती तेरी गा रही l कब आओगे मोह...

रंगी दुनियाँ सारी जी

💐विधाता छंद शीर्षक :  रंगी  दुनियाँ सारी जी गगरी ले गोपियाँ चली, पायल छनके पांव जी l लहराये नागन वेणी,कमर बाँध करधनिया जी l नैनो में आँजे काजल, होठों पर धर मुस्कान जी  l बलखाती कमर पर रखे,गागर छलके जल धार जी l जाने क्या बातें करें , हंसती खिलखिलाती  जी l जब वें गीत गुनगुनाती, भौरों को भी लजती जी l पुष्प वाटिका जब जाती, तितलियाँ भी शर्माती जी l अपनी चंचल अदाओं से, मदन मान घटाती जी l इतनी सी माखन खातिर,मोहन को घुमाती  जी l जाके  रुख देखे दुनियाँ,कान्हा नाच नचाती जी l जाके दरस जोगी तरसे,उनको लाड लड़ाती जी l जब देखा मुख सृष्टि समाई,यशोदा बड़ी घबराई जी l खूब रंग गुलाल उड़ेंगे, देखो  होली आई जी l सजे धजे व छैल छबिले, कान्हा की टोली  आइ जी l राधा उड़ाती गुलाल,श्याम भरे पिचकारी जी l राधे श्याम के प्रेम में, रंगी दुनियाँ सारी जी l   लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 11/10/2022

तारे (बाल कविता )

💐बालगीत तारे आसमान में कितने सारे, देखो तारे प्यारे प्यारे l चाँद  है अपना दूल्हा राजा, बाराती बनें सारे तारे l कुछ छोटे तो कुछ बड़े, सारी रात टिमटिमाते तारे l भोर होते ही छिप जाते, रात हुई तो फिर आते तारे l जाने कितनी दूर से आते, जाने कितनी दूर रहते तारे l कहीं गुच्छो में कहीं दूर दूर, आसमान में बिखरे रहते तारे l झिलमिल झिलमिल करते, आकाश में जड़े चाँद सितारे l गिनते गिनते हम थक जाते, कभी गिन नहीं पाते सारे तारे l किसने कहाँ से लाया इनको? गगन में क्यों चिपकाये तारे l ऐ नन्हें मुन्हे प्यारे प्यारे तारे, मुझको प्यारे लगते ऐ तारे l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 11/10/2022

अमीरी गरीबी

💐विधा - दोहा *शीर्षक - अमीरी -गरीबी* जगह -जगह बोलबाला, अमीरी व गरीबी l गरीबी फाके मरती, अमीरी नाज करे l गरीबी भूखे मारे , अमीर घमंड करे l खाली बर्तन खनके है, गरीबों के घर में l कहीं चूल्हा ना जलता, कहीं कुत्ते पले हैं l खाने के लाले पड़े, कहीं खाना सड़ते l दाने को लाल तरसे, भूखे प्यासे मरे l अन्न मोल समझे वही, जो गरीबी भोगे l अमीर ना जाने भूख, क्या होत भूख प्यास l सुख दुख का होय एक जड़,अमीरी व गरीबी l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 12/10/2022

चलते - चलते राह में

💐शीर्षक : चलते - चलते राह में कृष्णा चलते चलते राह में, दूर बहुत निकल आये है l हर तरफ अंधेरों के साये है l अपनी ही परछाईया डराती है l कृष्णा चलते चलते राह में, डरते है हम कहीं खो जाये ना l जो तुम ना मिले हमको तो, सच में कहीं जान निकल जाये ना l कृष्णा चलते चलते राह में, कई बार निराशाओं नें घेरा है l डर भी डर के इक दिन भाग गई, जब देखा मेरे दिल में तेरा बसेरा है l कृष्णा चलते चलते प्रेम राह में, इक दिन तुमको पा ही लूंगी l इस कदर तुझमे डूबना है मोहन, खुद को भूलकर तुझमे समा जाउंगी l कृष्णा चलते चलते राह में, नजरों के आगे लाख नजारे बदले l दिन बदले रात बदले सुबहो शाम बदले, एक मैं ना बदली एक तुमको ना बदले l कृष्णा चलते चलते राह में, हजारों लोग मिले और बिछड़े l कोई तुझसा ना मिला कान्हा कभी, नैनों के आगे से गुजरे लाख मुखड़े l कृष्णा चलते चलते राह में, कान्हा दूर बहुत निकल आई हूँ l अब देर ना कर आके मिल, इक तेरे लिए सब छोड़ आई हूँ l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 10/10/2022

सिनेमा

💐 सिनेमा सिनेमा अर्थात फिल्मों को हमेशा से समाज का प्रतिबिंब माना जाता रहा है  l फिल्मों में वही दिखाया जाता था l जो समाज में घटित होता था l अगर हम यह कहे कि फिल्म  हमारे समाज को दिशा देने का कर्तव्य निभाते रहे हैं l तो इसमें कोई गलत होगा l लोग फिल्में देखकर उनसे प्रेरित भी होते हैं l उनके पात्रों से प्रभावित होते हैं और खुद को उन से जोड़कर देखते हैं l ऐसे में फिल्म निर्माण करने वालों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे सामाजिक,आदर्श आत्मक,सांस्कृतिक व सौहार्दता को बढ़ाने वाली फिल्में बनाएं ताकि समाज को सही दिशा मिलती रहे  l पहले इसी तरह की फिल्में बनती थी l पहले की फिल्में आदर्शवादी एवं सकारात्मक नजरिया को लेकर बनाई जाती थी l पारिवारिक, धार्मिक, सामाजिक, और संस्कृति रीति-रिवाजों को पोषित करने वाली फिल्में बनती थी l इन फिल्मों में कहीं न कहीं गलत कह रहे ट के व्यक्तित को  अपनी गलतियों को समझने व सुधारने का अवसर भी दिया जाता था l जिससे कि वह व्यक्ति अपनी गलतियों को समझें और उनमें सुधार कर सके l ऐसी फिल्मों से प्रेरित होकर लोग अपनी गलतियों को सुधारते थे वह सही व्यवहार भी अप...

मधुर शरद पूर्णिमा की रात

💐शीर्षक : मधुर शरद पूर्णिमा की रात उतरी चांद की धवल चांदनी इस मधुमास l मिलनें इस चांद से सागर से उठे ज्वार l इस मधुर रात की मैं करूं क्या बात  l इसी रात मेरे श्याम ने सुंदर रचाया रास l लो आई वही मधुर शरद पूर्णिमा की रात l गोप गोपियों के मन के खिल उठे जज्बात l मनमोहन से मिलन की जगी दबी वो प्यास l निर्मल पावन हुआ आज पुनः यह आकाश l सबके ही चंचल नैन श्याम को रहे तलाश l लो आई........... रात  l मोहन फिर से आएंगे लिए बासुरी हाथ l छन छन पायल बाजेगी राधा होंगी साथ l प्रेम रंग में रंग जाएंगे धरती और आकाश l राधा कृष्ण नाचेंगे गोप गोपियों के साथ l लो आई........... रात  l वृक्ष लगाओ धरती के वन औषधियों पर, जब उतरेगी शरद पूर्णिमा की पूर्ण किरण l नवयौवना धरा खिल उठेगी पी अमृत रस l तारों भरी किरणों की चुनर ओढ़ लजाएगी l लो आई........... रात  l अमृत बरसेगा आज शरद पूर्णिमा की रात l ऊर्जावान बनेंगी औषधियां कर अमृतपान नीलगगन में सजी आज तारों की बारात l आत्मा परमात्मा के मधुर मिलन की रात l लो आई........... रात  l भीग रही शरद की मधुर किरणों में आज l संग अपने प्रियतम के लिए हाथ में हाथ...

मुंशी प्रेमचंद

💐शीर्षक : मुंशी प्रेमचंद  गागर में सागर भरने वाले, जनमानस के हृदय को छूने वाले, अनुपम भावाभिव्यक्ति करने वाले, मुंशी प्रेम जी को शत शत नमन l भावों का यथार्थ  चित्रण करने वाले, समसामयिक काल को दर्शाने वाले, हर पात्र के अंतर्मन को जानने वाले, मुंशी प्रेमचंद जी को शत शत नमन  l जनमानस की कहानियां रचने वाले , जन-जन की व्यथा कथा कहने वाले, चरित्रो के अंतर्मन द्वंद को बताने वाले, मुंशी प्रेमचंद जी को शत शत नमन  l पत्थर दिल को भी पिघलाने वाले, भावों में जन को बहा ले जाने वाले, समाज को वस्तुस्थिति समझाने वाले, मुंशी प्रेमचंद्र जी को शत शत नमन l अनगिनत उपन्यासों की रचना करने वाले, अंतर्मन को छूती कहानियां रचने वाले, भावहिनो के  अंतर मन उद्वेलित करने वाले, मुंशी प्रेमचंद जी को शत शत नमन  l जिनकी हर लेखनी आज के परिपेक्ष में भी, उतनी ही सटीक यथार्थ भाव लिए मिलती, ऐसे महान कालिजई कलम के जादूगर , मुंशी प्रेमचंद जी को मेरा शत-शत नमन  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 07/10/2022

अकल ठिकाने आ गई ( बाल कहानी)

💐कहानी अकल ठिकाने आ गई एक समय की बात है l एक जंगल में संजू नाम का हिरण रहता था l  वह बहुत घमंडी था l उसी जंगल में एक शेर भी रहता था l शेर बहुत दयालु था l वह सबकी मदद किया करता था l अपनी जनता की सुरक्षा और खुशहाली का हमेशा ध्यान रखता था l इधर संजू सभी के काम बिगाड़ने में लगा रहता था और सब को परेशान किया करता था l 1 दिन घूमते हैं संजू की मुलाकात शेर से हुई l संजू ने डिंग मारते हुए कहा शेर राजा मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं l यकीन नहीं है तो मुझसे प्रतियोगिता कर के देख लो l मैं जीत गया तो राजा मैं बनूंगा l शेर ने उसे सबक सिखाने की सोच ली l शेर ने कहा कि तुम शिकार करके बताओ l संजू ने कहा कि नहीं यह तो गलत है l क्योंकि तुम मांसाहारी जी हो इसलिए तुम शिकार कर सकते हो लेकिन मैं शाकाहारी जी हूं तो मैं शिकार नहीं करता मैं हरी सब्जियां घास खाता हूं l प्रतियोगिता तो ऐसी रखो जो हम दोनों ही कर सके  l शेर ने कहा ठीक है चलो हम दोनों कुश्ती करते हैं जो जीतेगा राजा वही होगा l संजू मान गया  l वह ताल ठोक कर शेर को ललकारने लगा आ जाओ मैदान में अभी मजा चखाता हूं l शेरनी संजू को एक पंजा मारा स...

राम की शक्ति पूजा

💐शीर्षक- राम की शक्ति पूजा हुआ जब राम रावण युद्ध,थी कांटे की टक्कर l दोनों तरफ के वीर योद्धा भरते थे हुंकार डटकर l भयानक दानव जी उठते थे फिर - फिर मरकर l दौड़ते खींझकर वानर भालू दांत किटकिटाकर l राम -रावण का युद्ध लंबा यूं खींचते देखकर l होने लगे विचलित देवता डरे सहमे हार कर l जामवंत से पूछा राम ने कुछ उपाय हंसकर l हमें बड़ाई देने को कर रहें ये लीला लीलाधर  l हाथ जोड़ जमवंत नें कहा रघुवर से झुककर l माता शक्ति की आराधना कीजे हाथ जोड़कर l हुए युद्ध में विचलित वानर भालू सारे बैठे हारकर l तन-मन में शक्ति संचार कीजिए शक्ति पूजा कर l हुए प्रसन्न राम जामवंत की युक्ति सुनकर l शक्ति पूजा हेतु तब प्रसन्न मन राम हुए तत्पर l एक सौ आठ पुष्प राम कमल के लाये सुन्दर l माता शक्ति को करने लगे कमल पुष्प अर्पण l लेने राम की परीक्षा माता नें एक पुष्प किया कम l बीच में पूजा छोड़ उठ नहीं सकते थे राम -लखन l मुश्किल घड़ी आन पड़ी कैसे निकाले इसका हल l याद आया कुछ राम को निकला समस्या का हल l माताएं बुलाती राम को प्रेम से लेकर नाम अनुपम l कभी कहती राजीव लोचन तो कभी कमलनयन l पूरी करने शक्ति की पूजा दृंध...