अमीरी गरीबी

💐विधा - दोहा

*शीर्षक - अमीरी -गरीबी*

जगह -जगह बोलबाला, अमीरी व गरीबी l
गरीबी फाके मरती, अमीरी नाज करे l


गरीबी भूखे मारे , अमीर घमंड करे l
खाली बर्तन खनके है, गरीबों के घर में l


कहीं चूल्हा ना जलता, कहीं कुत्ते पले हैं l
खाने के लाले पड़े, कहीं खाना सड़ते l


दाने को लाल तरसे, भूखे प्यासे मरे l
अन्न मोल समझे वही, जो गरीबी भोगे l


अमीर ना जाने भूख, क्या होत भूख प्यास l
सुख दुख का होय एक जड़,अमीरी व गरीबी l



लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
12/10/2022

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