मधुर शरद पूर्णिमा की रात

💐शीर्षक : मधुर शरद पूर्णिमा की रात

उतरी चांद की धवल चांदनी इस मधुमास l
मिलनें इस चांद से सागर से उठे ज्वार l
इस मधुर रात की मैं करूं क्या बात  l
इसी रात मेरे श्याम ने सुंदर रचाया रास l
लो आई वही मधुर शरद पूर्णिमा की रात l


गोप गोपियों के मन के खिल उठे जज्बात l
मनमोहन से मिलन की जगी दबी वो प्यास l
निर्मल पावन हुआ आज पुनः यह आकाश l
सबके ही चंचल नैन श्याम को रहे तलाश l
लो आई........... रात  l



मोहन फिर से आएंगे लिए बासुरी हाथ l
छन छन पायल बाजेगी राधा होंगी साथ l
प्रेम रंग में रंग जाएंगे धरती और आकाश l
राधा कृष्ण नाचेंगे गोप गोपियों के साथ l
लो आई........... रात  l


वृक्ष लगाओ धरती के वन औषधियों पर,
जब उतरेगी शरद पूर्णिमा की पूर्ण किरण l
नवयौवना धरा खिल उठेगी पी अमृत रस l
तारों भरी किरणों की चुनर ओढ़ लजाएगी l
लो आई........... रात  l

अमृत बरसेगा आज शरद पूर्णिमा की रात l
ऊर्जावान बनेंगी औषधियां कर अमृतपान
नीलगगन में सजी आज तारों की बारात l
आत्मा परमात्मा के मधुर मिलन की रात l
लो आई........... रात  l


भीग रही शरद की मधुर किरणों में आज l
संग अपने प्रियतम के लिए हाथ में हाथ l
नैनों में प्रेम की गहराई होठों पर मुस्कान l
कृष्णा मैं तुम्हारी बांसुरी तुम मेरे प्राण तान l
लो आई........... रात  l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
09/10/2022

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