राम की शक्ति पूजा
💐शीर्षक- राम की शक्ति पूजा
हुआ जब राम रावण युद्ध,थी कांटे की टक्कर l
दोनों तरफ के वीर योद्धा भरते थे हुंकार डटकर l
भयानक दानव जी उठते थे फिर - फिर मरकर l
दौड़ते खींझकर वानर भालू दांत किटकिटाकर l
राम -रावण का युद्ध लंबा यूं खींचते देखकर l
होने लगे विचलित देवता डरे सहमे हार कर l
जामवंत से पूछा राम ने कुछ उपाय हंसकर l
हमें बड़ाई देने को कर रहें ये लीला लीलाधर l
हाथ जोड़ जमवंत नें कहा रघुवर से झुककर l
माता शक्ति की आराधना कीजे हाथ जोड़कर l
हुए युद्ध में विचलित वानर भालू सारे बैठे हारकर l
तन-मन में शक्ति संचार कीजिए शक्ति पूजा कर l
हुए प्रसन्न राम जामवंत की युक्ति सुनकर l
शक्ति पूजा हेतु तब प्रसन्न मन राम हुए तत्पर l
एक सौ आठ पुष्प राम कमल के लाये सुन्दर l
माता शक्ति को करने लगे कमल पुष्प अर्पण l
लेने राम की परीक्षा माता नें एक पुष्प किया कम l
बीच में पूजा छोड़ उठ नहीं सकते थे राम -लखन l
मुश्किल घड़ी आन पड़ी कैसे निकाले इसका हल l
याद आया कुछ राम को निकला समस्या का हल l
माताएं बुलाती राम को प्रेम से लेकर नाम अनुपम l
कभी कहती राजीव लोचन तो कभी कमलनयन l
पूरी करने शक्ति की पूजा दृंध प्रतिज्ञ थे श्री राम l
कमल नेत्र अर्पित करने लगे जब हँसकर श्री राम l
रोक लिया माता शक्ति नें राम को मुस्कुराकर l
माता की परीक्षा में पास हुए मर्यादा पुरुषोत्तम l
पुलकित हुए राम विजय श्री का आशीष पाकर l
बुराई पर अच्छाई की जीत हुई रावण मार कर l
भक्तों कभी खाली जाति नहीं शक्ति की आराधना l
पूर्ण करती है माता शुद्ध हृदय भक्तों की कामना l
माता शक्ति को याद करना जब हो दुष्टों से सामना l
पूरी ऊर्जा,शक्ति से लड़ना कभी हार नहीं मानना l
राम ने की शक्ति की पूजा पूर्ण हुई उनकी कामना l
परास्त हुआ दुष्ट रावण जब हुआ श्रीराम से सामना l
बुराई पर अच्छाई की विजय होती बात गांठ बांधना l
असत्य की छोड़ सत्य राह पर ही हमको अब है चलना l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
06/10/2022
हुआ जब राम रावण युद्ध,थी कांटे की टक्कर l
दोनों तरफ के वीर योद्धा भरते थे हुंकार डटकर l
भयानक दानव जी उठते थे फिर - फिर मरकर l
दौड़ते खींझकर वानर भालू दांत किटकिटाकर l
राम -रावण का युद्ध लंबा यूं खींचते देखकर l
होने लगे विचलित देवता डरे सहमे हार कर l
जामवंत से पूछा राम ने कुछ उपाय हंसकर l
हमें बड़ाई देने को कर रहें ये लीला लीलाधर l
हाथ जोड़ जमवंत नें कहा रघुवर से झुककर l
माता शक्ति की आराधना कीजे हाथ जोड़कर l
हुए युद्ध में विचलित वानर भालू सारे बैठे हारकर l
तन-मन में शक्ति संचार कीजिए शक्ति पूजा कर l
हुए प्रसन्न राम जामवंत की युक्ति सुनकर l
शक्ति पूजा हेतु तब प्रसन्न मन राम हुए तत्पर l
एक सौ आठ पुष्प राम कमल के लाये सुन्दर l
माता शक्ति को करने लगे कमल पुष्प अर्पण l
लेने राम की परीक्षा माता नें एक पुष्प किया कम l
बीच में पूजा छोड़ उठ नहीं सकते थे राम -लखन l
मुश्किल घड़ी आन पड़ी कैसे निकाले इसका हल l
याद आया कुछ राम को निकला समस्या का हल l
माताएं बुलाती राम को प्रेम से लेकर नाम अनुपम l
कभी कहती राजीव लोचन तो कभी कमलनयन l
पूरी करने शक्ति की पूजा दृंध प्रतिज्ञ थे श्री राम l
कमल नेत्र अर्पित करने लगे जब हँसकर श्री राम l
रोक लिया माता शक्ति नें राम को मुस्कुराकर l
माता की परीक्षा में पास हुए मर्यादा पुरुषोत्तम l
पुलकित हुए राम विजय श्री का आशीष पाकर l
बुराई पर अच्छाई की जीत हुई रावण मार कर l
भक्तों कभी खाली जाति नहीं शक्ति की आराधना l
पूर्ण करती है माता शुद्ध हृदय भक्तों की कामना l
माता शक्ति को याद करना जब हो दुष्टों से सामना l
पूरी ऊर्जा,शक्ति से लड़ना कभी हार नहीं मानना l
राम ने की शक्ति की पूजा पूर्ण हुई उनकी कामना l
परास्त हुआ दुष्ट रावण जब हुआ श्रीराम से सामना l
बुराई पर अच्छाई की विजय होती बात गांठ बांधना l
असत्य की छोड़ सत्य राह पर ही हमको अब है चलना l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
06/10/2022
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