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Showing posts from February, 2022

तकदीर का लिखा

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तकदीर का लिखा  आज तक भविष्य कौन देख पाया है l इसका तो बस अंदाज लगाया जाता हैl  गीता में भी श्री कृष्ण ने यही तो कहा है  l तुझे बस अपना कर्म करते चला जाना है l  कर्मा फल की चिंता मुझ पर छोड़ जाना है  l  कर्म अनुसार ही मिलेगा तकदीर में जो लिखा है l   कर्महीन कहे, बेवजह मेहनत क्यों करें? मिलेगा ही  तकदीर में जो लिखा है l कर्मवीर अपने कर्म और मेहनत से, अपनी किस्मत स्वयं लिखते  है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 25/02/2022

मेरे कृष्णा

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मेरे कृष्णा  एक हवा के झोंके से ताश का महल बिखर जाता है l  जब टूटता है दिल कहां किसी को नजर आता है  l  दिल के अरमान सारे आंसुओं में बह जाता है  l  कृष्णा तेरी दर्शनों की आस में उम्र निकला जाता है l  कितने अरमानों से सपनों का महल सजाया है l  इसके एक एक कोने को प्रेमसुगंध से महकाया है l विरह में निकले लड़ियों की मोतियों से  इसे चमकाया है l तेरा प्रेम कृष्णा मेरे रोम- रोम में समाया है l मीत मेरे तुमसे दुरी अब एक पल सहा नहीं जाता है l कृष्णा तेरा विरह इस पिंजर को जलाता है l अब आ भी जाओ कृष्णा, तुमने बहुत सताया है l  तेरे दर्शनों की आस में मैंने पलकों को बिछाया है l  तुम मुझसे दूर क्या हुए मोहन अधूरी हो गई मेरी जिंदगी  l टूट रहा है अरमानों का महल, बिखर रहे है मेरे सपने l  तुम ही आस हो तुम ही सांस हो तुम हो मेरी जिंदगी l कान्हा मेरे टूटने से पहले मूझे अंक में भर ले अपने l तु ही बता तेरे बगैर मेरा जीना भी क्या जीना है l तुम्हारे आने से पतझड़ में भी बहार आ जाता है l तेरे विरह से हर सपना ताश के पत्तों सा बिखर जाता है l तेरे दर्शन से कृष्णा मुरझाया मुखड़ा मेरा खिल जाता है l लोकेश्वरी कश

कातर आँखें

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 लघुकथा शीर्षक : कातर  आँखें गिरीश के पिता नहीं थे l ममता से शादी के बाद गिरीश को अपने ससुर जी से बेहद लगाव हो गया l गिरीश जब भी ससुर जी से मिलते उनको अपने पिता सा मान सम्मान देते l उसे लगता था ईश्वर नें एक पिता को उनसे दूर कर दिया पर एक और पिता उनको दिया l ससुर दामाद की जोड़ी को देखकर लोगो के सीने में साँप लोटते थे l दोनों को अलग करने की कोई कसर रिश्तेदारों नें नहीं छोडी थी l उसके ससुर जी को भी दामाद के रूप में एक बेटा मिल गया था l दोनों एक दूसरे की सलाह के बगैर कुछ ना करते l समय का चक्र बदलते देर नहीं लगती l समय नें करवट बदली l अचानक उनके ससुर जी लकवा के शिकार हो गये l वे हताश हो गये l गिरीश का काम धाम में मन ना लगता l उसने ससुर जी की जी जान से सेवा की l उसके ससुर जी को भी उसके और पत्नी के अलावा और किसी से कोई उम्मीद नहीं रही lउनके साथ छोड़ जाने मात्र की कल्पना से गिरीश का दिल बैठ सा जाता l 2 साल की कठिन सेवा सुश्रुशा के बावजूद वे और साथ ना निभा सके l उनके जाने से गिरीश टूट सा गया l मानो ईश्वर नें उसके पिता का साया उसके सर से एक बार फिर उससे छीन लिया था l ससुर जी के जाने के

दहेज प्रथा

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😔शीर्षक : दहेज प्रथा प्रथा नहीं ये, ये है कुप्रथा l जिसने बेटियों को सर्प बनके डसा l दहेज लोभियो का पाप है l समाज पर कलंक और अभिशाप है l दहेज कन्या भ्रूण हत्या का मूल है l बहु - बेटी को प्रताड़ित करता शूल है l जब तक यह कुप्रथा बंद नहीं होगी l विवाहिताओं को लगाई आग मंद नहीं होगी l बंद करो असुरों अपना यह गन्दा खेल l सुधर जाओ नहीं तो जाना पड़ेगा जेल l बच्चों की दहेज के नाम पे बोली लगाते हो l बेटे की कीमत लेकर बेटियों को जलाते हो l अपने नीच करम पे कुछ तो शर्म करो l ना मिले कुआँ तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो l  रिश्तो का मान करो मर्यादा ना तार-तार करो l दहेज की भेंट ना चढ़ाओ बेटियों को इनका सम्मान करो l भस्मासूर है यह दहेज का दानव यह मत भूलो l आज से इसी क्षण से इसका मिलकर बहिष्कार करो l अब ना सहेंगी बेटियाँ दहेज की मार l दुर्गा बनके करेंगी लोभियो के लोभ का संहार l सुन्दर अनमोल रिश्तों को यह कलुषित करता है l मर्यादाओ को तोड़ दिलों में जहर यह भरता है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 26/02/2022

स्कूली शिक्षा आज और कल में अंतर

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⏳️   शीर्षक : स्कूली शिक्षा आज व कल में अंतर  परिवर्तन प्रकृति का नियम है  l विकास का आधार भी परिवर्तन ही है l समय के अनुसार प्रत्येक चीज में प्रत्येक कार्य में कुछ ना कुछ परिवर्तन अवश्य होता है l शिक्षा के क्षेत्र में भी हमें परिवर्तन देखने को मिलते हैं lप्राचीन समय और अभी के समय में बहुत ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन हो गए हैं l शिक्षा व्यक्ति व समाज के विकास का आधार माना जाता है l शिक्षा व्यक्ति को सभ्य, जागरूक, समझदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है l इसके माध्यम से हमारा बौद्धिक,तार्किक और रचनात्मक विकास ज्यादा तीव्र गति से संभव हो पाता है l शिक्षा का मतलब केवल  किताबें पढ़ना लिखना ही नहीं होता है l इसका अर्थ इससे कहीं अधिक और उच्च है l शिक्षा वह है जो हमें संस्कारी, सभ्य,सुसंस्कृत, विवेकी,समझदार, सही गलत में फर्क कर सकने के योग्य, व्यवहार कुशल, विनम्र, सकारात्मकता से परिपूर्ण ऊर्जावान, ज्ञानवान और सभी का आदर और सम्मान करना सिखाती है l  हमारे देश में शिक्षा का पौराणिक,ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व शुरू से रहा है l उस समय की आश्रम पद्धति पर आधारित थी l जहां

मिलकर हम खेले खेल खिलौने

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🎉शीर्षक - मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l खेल -खेल में हम सीखेंगे चीजें और बातें नये नये l कुछ खिलौने मै बनाऊ, कुछ तुम भी बनाना l कुछ मै तुम्हें सिखाऊ, कुछ तुम मूझे सिखाना l आओ साथी हम सब मिलकर खेले खेल खिलौने l हरे, पिले, नीले, लाल, गुलाबी जाने कितने रंगों के l रंग - बिरंगे ए खिलौने हमको लगते है सबसे प्यारे l आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l राजा, मुन्नी, कमला, गीता, मोहन आओ सारे साथी l अपनी पसंद के ले लो इनमें से हिरण, भालू, हाथी l आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l

खेल / खिलौने

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🐈🐘खेल /खिलौने  खेल और खिलौने दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैंl खिलौनों की उपयोगिता तभी है,जब उसे खेला जाए l हम खिलौने बनाते व खरीदते ही इसीलिए हैं,ताकि बच्चे उन्हें खेले और  उससे खेल कर आनंद का अनुभव करें l जब बच्चे खेलते हैं तो हमें भी आनंद का अनुभव होता हैl लेकिन क्या बच्चे खिलौने से खेलते हुए मात्र आनंद का अनुभव ही करते हैं या इससे अधिक कुछ और इसका महत्व है? जी हां! बिल्कुल सही सोचा आप सब ने  l खिलौनों का महत्व केवल आनंद तक ही सीमित नहीं है l खिलौने बच्चों के मात्र खेलने के लिए नहीं होते हैं वरन बच्चे खिलौनों से खेलते समय आनंद का अनुभव करते हैं और साथ ही साथ बहुत सारी चीजें व अवधारणाएं भी सीखते रहते हैं l खेल के माध्यम से बच्चे बहुत सारी चीजों को जोड़ते हैं, तोड़ते हैं, अलग करते हैं,मिलाते हैं इस प्रकार से है यह जाने की कोशिश करते हैं कि यह चीज आखिर बनी कैसी हैं ? खेल खेलते समय बच्चे बहुत सारी गणितीय अवधारणाएं भी सीखते हैं  l जैसे बहुत सारे खिलौने रखे हुए हैं तो कौन सा खिलौना बड़ा है, कौन सा खिलौना छोटा है l खिलौनों  के माध्यम बच्चे छोटा-बड़ा, हल्का -भारी , मोटा -पतला, कम -ज्य

आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने

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💐शीर्षक - आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l खेल -खेल में हम सीखेंगे चीजें और बातें नये नये l कुछ खिलौने मै बनाऊ, कुछ तुम भी बनाना l कुछ मै तुम्हें सिखाऊ, कुछ तुम मूझे सिखाना l आओ साथी हम सब मिलकर खेले खेल खिलौने l हरे, पिले, नीले, लाल, गुलाबी जाने कितने रंगों के l रंग - बिरंगे ए खिलौने हमको लगते है सबसे प्यारे l आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l राजा, मुन्नी, कमला, गीता, मोहन आओ सारे साथी l अपनी पसंद के ले लो इनमें से हिरण, भालू, हाथी l आओ साथी मिलकर हम सब खेले खेल खिलौने l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

मंदिर

शीर्षक  -  मंदिर  मंदिर जाते मस्जिद जाते और जाते हो गुरुद्वारे l अपने देव माता पिता को तुम छोड़ जाते हो किसके सहारे  l  निराकार उस ब्रह्म की करते हो तुम सुबह शाम पूजा  l असल देव मात-पिता ,इनके लिए रखो ना तुम भाव कोई दूजा l माता-पिता का जो दिल दुखाओगे प्रसन्न होगा ना कोई देव l जिस भाव से तुम देखोगे इनको, मिलेगा तुम्हें हर वह देव l माँ हमारी,सखी,अन्नपूर्णा,सरस्वती,लक्ष्मी,दुर्गा वक्त पड़े तो बन जाती है काली l सेवा से माँ को तृप्त करो,इनका आशीष कभी ना जाए खाली l पिता हमारे पसीना बहा,सुरक्षा और साधन देते होते हैं हमारे हीरो l  चौथे पन में इनकी लाठी बनो तुम, इनके अरमानों को ना तोड़ो l घर और परिवार हमारा सबसे न्यारा, सुंदर मनभावन मंदिर l  माता-पिता है इस मंदिर के देव,कर लो इनकी सच्चे मन से भक्ति और पूजा  l  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 11/02/2022