मंदिर
शीर्षक - मंदिर
मंदिर जाते मस्जिद जाते और जाते हो गुरुद्वारे l
अपने देव माता पिता को तुम छोड़ जाते हो किसके सहारे l
निराकार उस ब्रह्म की करते हो तुम सुबह शाम पूजा l
असल देव मात-पिता ,इनके लिए रखो ना तुम भाव कोई दूजा l
माता-पिता का जो दिल दुखाओगे प्रसन्न होगा ना कोई देव l
जिस भाव से तुम देखोगे इनको, मिलेगा तुम्हें हर वह देव l
माँ हमारी,सखी,अन्नपूर्णा,सरस्वती,लक्ष्मी,दुर्गा वक्त पड़े तो बन जाती है काली l
सेवा से माँ को तृप्त करो,इनका आशीष कभी ना जाए खाली l
पिता हमारे पसीना बहा,सुरक्षा और साधन देते होते हैं हमारे हीरो l
चौथे पन में इनकी लाठी बनो तुम, इनके अरमानों को ना तोड़ो l
घर और परिवार हमारा सबसे न्यारा, सुंदर मनभावन मंदिर l
माता-पिता है इस मंदिर के देव,कर लो इनकी सच्चे मन से भक्ति और पूजा l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
11/02/2022
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