स्कूली शिक्षा आज और कल में अंतर
⏳️ शीर्षक : स्कूली शिक्षा आज व कल में अंतर
परिवर्तन प्रकृति का नियम है l विकास का आधार भी परिवर्तन ही है l समय के अनुसार प्रत्येक चीज में प्रत्येक कार्य में कुछ ना कुछ परिवर्तन अवश्य होता है l शिक्षा के क्षेत्र में भी हमें परिवर्तन देखने को मिलते हैं lप्राचीन समय और अभी के समय में बहुत ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन हो गए हैं l
शिक्षा व्यक्ति व समाज के विकास का आधार माना जाता है l शिक्षा व्यक्ति को सभ्य, जागरूक, समझदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है l इसके माध्यम से हमारा बौद्धिक,तार्किक और रचनात्मक विकास ज्यादा तीव्र गति से संभव हो पाता है l शिक्षा का मतलब केवल किताबें पढ़ना लिखना ही नहीं होता है l इसका अर्थ इससे कहीं अधिक और उच्च है l शिक्षा वह है जो हमें संस्कारी, सभ्य,सुसंस्कृत, विवेकी,समझदार, सही गलत में फर्क कर सकने के योग्य, व्यवहार कुशल, विनम्र, सकारात्मकता से परिपूर्ण ऊर्जावान, ज्ञानवान और सभी का आदर और सम्मान करना सिखाती है l
हमारे देश में शिक्षा का पौराणिक,ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व शुरू से रहा है l उस समय की आश्रम पद्धति पर आधारित थी l जहां बच्चे बाल्यकाल से ही शिक्षा ग्रहण करने हेतु माता-पिता से दूर गुरु के सानिध्य में रहते थे l और लगभग 18 विषयों की शिक्षा एक साथ ही प्राप्त करते थे l गुरु ही शिष्य के लिए मार्गदर्शन का एकमात्र आधार हुआ करते थे l गुरु शिष्य को इस प्रकार से शिक्षा देते थे l जिससे कि शिष्य स्वयं अनुभव के माध्यम से सीखते थे l गुरु ना सिर्फ शिष्यों को व्याख्यान के माध्यम से शिक्षा देते थे वरन उन्हें प्रत्येक कार्य को करने की स्वतंत्रता और मार्गदर्शन दिया करते थे l शिष्यों को शिक्षा के दौरान चिकित्सा,आयुर्वेद, जड़ी बूटी, अस्त्र शस्त्र, निर्माण व उपयोग, व्यवहार, पढ़ना,लिखना, अध्यात्म, साम, दाम, दंड,भेद नीति, कला, संगीत, नृत्य , सवारी, सुरक्षा,आत्मरक्षा इत्यादि समस्त प्रकार की शिक्षा दी जाती थी l गुरु व शिष्य के मध्य एक प्रगाढ़ प्रेम, आत्मीयता, स्नेह व सम्मान होता था l अतः गुरु बच्चों (शिष्यों ) के लिए सर्वोपरि होते थे l
वर्तमान समय में शिक्षा पद्धति में शिक्षा में बहुत परिवर्तन हुए हैं l शिक्षा में नित नए प्रयोग हो रहे हैं l शिक्षा के पीछे धन भी काफी खर्च किया जा रहा है l किंतु आधुनिकतम शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का अर्थ बदल गया है l पहले जहां शिक्षा का अर्थ सबक या अनुभव होता था l जो शिक्षार्थीयों द्वारा गुरु या शिक्षक के मार्गदर्शन में स्वयं अनुभव करके प्राप्त किया जाता था l किंतु आज के इस आधुनिक दमदार में शिक्षा का अर्थ मात्र किताबी ज्ञान तक ही सीमित रह गया है l शिक्षा ना तो आप किसी के व्यवहार में नजर आती है ना ही गुणों में, और ना ही अनुभव का विषय रह गया है l आधुनिकतम दौर में शिक्षा नें एक व्यवसाय का रूप ले लिया है l जहां कुछ लोग सीखने जाते हैं और कुछ लोग सिखाने के लिए l शिक्षा में नाव अभाव रहा है ना वह सम्मान रहा ना उसकी गरिमा रही l आज के इस दौर में शिक्षा का उद्देश्य केवल जीविकोपार्जन के लिए व्यक्ति को तैयार करना है l आधुनिकतम दौर में शिक्षा के लिए, तरह-तरह के साधन और संसाधन जुटाए जाते हैं किंतु यह सभी साधन और संसाधन मात्र और मात्र सांत्वना देते नजर आते हैं l शिक्षा और संस्कार तो एक साथ अब कहीं कहीं किसी किसी में ही नजर आता है l
अब जब से मोबाइल और नेट का प्रचार प्रसार बड़ा है l तब से गूगल गुरु जी जैसे बहुत सारे संसाधन बच्चों के पास उपलब्ध है जो उनके प्रश्नों का त्वरित जवाब उनके सामने प्रस्तुत कर देता है इन जवाबों में ना तो बच्चे की कोई सहभागिता होती है और न ही उसकी कोई अनुभव होते हैं यह मात्र केवल औपचारिक रटंत विद्या देती है l
आदि काल से लेकर प्राचीन काल तक हमारे देश में शिक्षा का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ l अगर उस दौर को हम शिक्षा का गुरु शिष्य परंपरा का सर्वोच्च स्वर्णिम काल कहे तो यह गलत ना होगा l हमारा देश उस दौर में इसी वजह से विश्व गुरु के रूप में जाना जाता रहा l यहां की शिक्षा पद्धति इतनी बेहतरीन थी, कि विश्व के अलग-अलग देशों से लोग हमारे यहां शिक्षा प्राप्त करने आते रहे हैं l किन्तु जब हमारे देश में आक्रांताओं का आक्रमण होना प्रारंभ हुआ l तब उन्होंने हमारे देश की महानतम गुरु शिष्य परंपरा, गुरुकुल,विश्वविद्यालय को पूरी तरह से तबाह कर दिया l उन्होंने हमारे विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया l यहां की लाखों श्रेष्ठतम पांडुलिपियों को किताबों को जला दिया गया l इसके पश्चात हमारे देश में व्यापार के लिए अंग्रेजों का आगमन हुआ l जिन्होंने रही सही कसर पूरी कर दी l अंग्रेज हमारे देश में व्यापार के उद्देश्य से आए थे और धीरे-धीरे उन्होंने हमारे पूरे देश को अपने कब्जे में कर लिया l उनका उद्देश्य हम पर आधिपत्य जमाना था, साथ ही अपने धर्म का प्रचार प्रसार करना भी था l
हमारी श्रम शक्ति का फायदा अपने देश व लोगों की तरक्की में लगाना था l इसके लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में श्रमिक शक्ति की आवश्यकता थी l ऐसे में हमारी गुरु शिष्य परंपरा और शिक्षा प्रणाली उनके रास्ते में बहुत बड़ी बाधा रही l उन्हें अपने कार्यों के लिए अपने काम में दक्ष लोगों की आवश्यकता थी l अतः उन्होंने हमारे देश पर आधिपत्य करने के पश्चात हमारी शिक्षा व्यवस्था को अपने तरीके से बदलना शुरू कर दिया l उस समय शिक्षा का मूल उद्देश्य अंग्रेजों को अपने लिए अपने कार्य में दक्ष नौकरों का निर्माण करना था l उन्होंने इस सफाई से समाज में भ्रांति फैलाई की यही शिक्षा प्रणाली वास्तव में सही हैं क्योंकि इससे लोगों को रोजगार प्राप्त हो सकता है l अंग्रेजों की चकाचौंध भरी दुनिया से उस समय के लोग काफी प्रभावित रहे जो आज तक प्रभावित हैं और वही शिक्षा पद्धति वर्तमान समय में भी जारी है l
इस प्रकार से हम देखते हैं कि शिक्षा में समय-समय पर बहुत ही परिवर्तन हुए हैं जो आज तक सतत रूप से जारी है l जहाँ प्राचीनतम शिक्षा पद्धति हमें सभ्यता,संस्कार, ज्ञान,अनुभव, अध्यात्म, व्यवहार की नैतिक शिक्षा प्रदान करती रही है l वही मध्यकालीन एवं आधुनिकतम शिक्षा प्रणाली में इन सभी गुणों का हास हमें स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़
25/02/2022 🕣
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