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Showing posts from November, 2021

पितृ पक्ष में उड़द डाल का वैज्ञानिक पहलू

पितृपक्ष या पितर में उड़द दाल का बड़ा खाने की प्रथा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य यह है कि काली छिलके वाली उड़द की दाल सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं होती, बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है l इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन बी-6, आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम आदि तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं l इसे हार्ट से लेकर नर्वस सिस्टम तक के लिए अच्छा माना गया है l आयुर्वेद में तो इस दाल का प्रयोग औषधि के तौर पर भी किया जाता है l उड़द की दाल में मौजूद पोषक तत्व हड्डियों में मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं l इससे हड्डियों से जुड़े रोगों का खतरा कम होता है l आयुर्वेद में इस दाल का इस्तेमाल पैरालिसिस जैसी समस्या को ठीक करने के लिए भी किया जाता है l ये हमारे तनाव को कम करने वाली मानी गई है l इनसे कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित रहता है और हाई बीपी की समस्या भी नियंत्रित होती है l ऐसे में दिल की तमाम बीमारियों का जोखिम घटता है l यह पाचन तंत्र  रखने के साथ ही लिवर को पुष्ट बनाती है l इसमें आयरन की प्रचुर मात्रा होती है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करती है, साथ ...

कभी खुशी कभी गम

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कभी खुशी कभी गम  कभी खुशी कभी गम, यही तो है जीवन के रंग l जब हो जाता गम से अति व्याकुल मानव, तब उठा ले यदि कोई अनुचित कदम, हो जाता है तब उससे जु ड़ा हर जीवन बेरंग l कभी खुशी कभी गम, यही तो है जीवन के रंग l क्यों एक सतही दुख से दुखी हो अपना आपा खुद से खो देता, हो जाता अनमोल जीवन से हताश, उस परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति ऐ मानव l कर देता पागल हो, खुद के साथ अपनों का भी जीवन बेरंग l कभी खुशी कभी गम, यही तो है जीवन के रंग l यदि जीवन कोई गम ही ना हो तो, हो जाएं तब जीवन पूरा कोरा कागजl यदि हो ना कोई खुशी की चमक किसी आँख में, तब हो जाएं गम से काला हर जीवन l क्यू देख नहीं पाता नादान इंसान मन की आँखों से, श्वेत श्याम रंगों में छुपे जीवन के इंद्रधनुषी रंग l कभी खुशी कभी गम, यही तो है जीवन के रंग l जब घिर जाओ तुम जीवन में नाउम्मीदी की काली रातो में, तब चुप बैठ जाओ एक कोने में, अपनी आँखे मुंद उस अँधेरे में अपनी अश्रुओं की धारा में, विसर्जित कर दो अपनी, सारी पीड़ा, सारे गम l जब तक बरस कर खाली ना जाएं गम के बादल l तब इन्ही रिक्तियों में भर पाओगे तुम पुनः, जीवन में आशाओं के चटक रंग l कभी...

ताजमहल

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 *ताजमहल*  सब महलों से प्यारा एक महल है  l  नाम है जिसका ताजमहल  l  आगरा में सजा प्यारा सा ताज है  l  यह तो महलों का सरताज है  l  कभी रहा यह  शिव  मंदिर, इसकी महिमा बनी अमिट l शिव का जलाभिषेक करती सदा, प्रमाण,अभी भी टपकती बुँदे l नष्ट कर सारे प्रमाण, इसे दिया नया नाम l किसी नें बनवाया और किसी नें कमाया नाम l अब प्रेम का प्रतीक कहलाता ताज l बन गया प्रेमियों के दिल का सरताज l  कहते है बादशाह शहंशाह की,  बेगम थी एक मुमताज महल  l  उसकी मृत्यु पर यह कब्र बनाई,  जिसका नाम अब है ताजमहल  l   विश्व विरासत में शामिल है यह,  सुंदर प्यारा अपना ताजमहल  l  भारत की शान है हमारा अभिमान है,  कहलाए प्रेम प्रतीक ऐ ताजमहल l  चांदनी रात में सौ गुना बढ़ जाती l इसके सुन्दर रूप की सुंदरता l अलग अलग रंगों में है नजर आता, श्वेत संगमरमर से बना  ताजमहल  l (स्वरचित, मौलिक रचना ) लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 07/11/2021

आशाओं का प्रकाश

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शीर्षक - आशाओं का प्रकाश  मेरे जलने में तेरी मुस्कुराहट देख अपनी जलन भूल जाती हूँ मैं l मेरा अस्तित्व है बस मामूली, बहुत ही छोटा सा l पर तेरी प्यारी मुस्कान देख, अनमोल हो जाती हूँ मैं l तुम हो उस अनंत की सबसे सुन्दर, प्यारी अमूल्य रचना l उसी अनंत ज्वाला शक्ति की मात्र एक छोटी सी लौ हूँ मैं l थोड़ा ही सही रौशनी कर, तम को तो हरती हूँ मैं l तन मेरा कपास,मेरी प्राण शक्ति है तेल  और घी l मेरा आधार है कच्ची मिट्टी का पक्का दीया l जलती हूँ  मैं, तब समग्र रूप में दीया कहलाती हूँ मैं l कोई जरूरत तो कोई खुशी के लिए मुझे जला जाता है l उफ़ भी नहीं करती, बस चुप ही रहती हूँ l अपना अस्तित्व मिटा कर तेरे दर पे रौशनी करती हूँ मैं l क्या हुआ जो तेरी खुशी, मुस्कुराहट के लिए जल कर मिट गई l खुद जलकर औरों को रौशनी बाँटने का संदेश देती हूँ मैं l जी हाँ दीया हूँ मैं, अंधकार में आशाओं का प्रकाश भरती हूँ मैं l (स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित रचना )  *लोकेश्वरी कश्यप* *जिला मुंगेली छत्तीसगढ़* 07/11/2021

लौह पुरुष को मेरा शत-शत नमन

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💐कविता💐  लौह पुरुष को सत सत नमन जिसने सन् अटठारह सौ संतावन में जन्म लिया गुजरात में,  अपने अधिकारों के विरुद्ध आंदोलन किया शिक्षा काल में,  उन लौह पुरुष को मेरा शत-शत  नमन........  जो प्रथम गृह मंत्री  नियुक्त हुए नेहरू शासनकाल में,  सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण शामिल है इनके ऐतिहासिक कार्य में,  उन लौह पुरुष को मेरा शत-शत  नमन........ जिसने उल्लेखनीय कार्य किया भारत को आजाद कराने में,  भारत को जिसने विशाल और अखंड बनाने की कल्पना की अपने मन में, उन लौह पुरुष को मेरा शत शत नमन.......  संपूर्ण भारत को अखंड  बनाया जिसने अपने अथक परिश्रम से,  अपने दूरदर्शिता और अटल निश्चय से लौह पुरुष कहलाए इस जहान में,  उन लौह पुरुष को मेरा शत-शत नमन.....  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़