पितृ पक्ष में उड़द डाल का वैज्ञानिक पहलू
पितृपक्ष या पितर में उड़द दाल का बड़ा खाने की प्रथा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य यह है कि काली छिलके वाली उड़द की दाल सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं होती, बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है l इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन बी-6, आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम आदि तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं l इसे हार्ट से लेकर नर्वस सिस्टम तक के लिए अच्छा माना गया है l आयुर्वेद में तो इस दाल का प्रयोग औषधि के तौर पर भी किया जाता है l
उड़द की दाल में मौजूद पोषक तत्व हड्डियों में मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं l इससे हड्डियों से जुड़े रोगों का खतरा कम होता है l
आयुर्वेद में इस दाल का इस्तेमाल पैरालिसिस जैसी समस्या को ठीक करने के लिए भी किया जाता है l ये हमारे तनाव को कम करने वाली मानी गई है l इनसे कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित रहता है और हाई बीपी की समस्या भी नियंत्रित होती है l ऐसे में दिल की तमाम बीमारियों का जोखिम घटता है l यह पाचन तंत्र रखने के साथ ही लिवर को पुष्ट बनाती है l इसमें आयरन की प्रचुर मात्रा होती है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करती है, साथ ही थकान और कमजोरी से राहत दिलाती है l पितृपक्ष के तुरंत बाद चैत्र नवरात्र का महीना शुरू होता है l जिसमें अधिकतर लोग नवरात्रि में 9 दिन का व्रत करते हैं l उस समय की तैयारी स्वरूप पितृपक्ष में उड़द की दाल के बड़े खाए जाते हैं l जिससे कि शरीर हष्ट पुष्ट और बलिष्ट बना रहे एवं नवरात्रि की व्रत के लिए ऊर्जा और ताकत शरीर में एकत्रित रहे l
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