दर्द जो टीसते है
दर्द जो टीसते है हिंदू मुस्लिम भाई भाई यह पाठ पढ़ाया हमको किसने? पीठ में खंजर भोकना या गद्दारी है, यह क्यों नहीं बताया उनको उसने? धर्म की रक्षा करना क्या ठेका बस हमारा है? अपनों को अनदेखा करके हरदम गद्दारों पर जान निसार करते रहे हैं क्या किसी ने गहराई से ये विचारा है? शांति, अहिंसा की आड़ में हम को भीरु बनाते रहे महाराणा पद्मावती के शौर्य को हमसे छुपाते रहे तुम भी जानते थे असली गद्दार तो तुम ही थे चुपके चुपके दिमको को घर में घुसाते रहे l क्यों औरों को बंदूक की गोलियां,फांसी मिलती रही तुम्हें बस क्यों जेल की आड़ में सुविधा मिलती रही तुम सदा ही गोदड़ी ओढ़ कर घी खाते रहे असली देशभक्ति की बलि चुपके चुपके चढ़ाते रहे शर्म नहीं आई तुम्हें कभी अपने को हिंदुस्तानी कहते प्रयोग की आड़ में अपनी बेशर्मी का जलवा दिखाते रहे सौ सौ धिक्कार तुझे और तुझ जैसे लोगों को जो सदियों से वर्तमान तक जयचंद का किरदार निभाते रहे अब भारत में पुनः जाग रही है वीरता जाग रहे हैं लोग तुम साबित हुए मेरे प्यारे भारत के लिए कोढ़ का रोग लोगों के दिल दिमाग से सदा तुम खेलते रहे मन में नफरत भरे सबसे