सुन लो प्रिये (हास्य व्यंग कविता )
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शीर्षक - सुन लो प्रिये
जालिम सुनकर तेरी खड़गती हंसी,
स्कूल में लाज भी लजा जाती है l
चंद्र ग्रहण से तेरे मुखड़े पर,
कुछ उजली कुछ स्याह स्याह सी,
दंत पंक्तियों की सजी लड़ी में,
बादल बिजली एक साथ नजर आती है l
तेरी मस्त निगाहों का जादू,
क्या क्या कमाल दिखाती है l
तेरी नजरों की क्या तारीफ करूं,
तेरी तिरछी तिरछी नजरें प्रिये
एक पूरब तो एक पश्चिम में,
एक साथ दो -दो तीर चलाती है l
कहां से सीखा है यह अंदाज ए बयां,
मुझे भी कुछ बतलाओ प्रिये l
सुना है चांद निकल आया है छत पर,
अपनों से क्या, कैसा शर्माना अब,
सर का ताज जरा सा सरका दो तो,
हम भी चांद का दर्शन कर ले प्रिये l
चलो आज होटल खाना खाने चलते हैं,
एक नहीं तूने कई बार जिद्द की प्रिये l
तू बड़ी भोली है तुझे कैसे समझाऊं,
मुझ में हिम्मत नहीं कि तुझे कुछ बताऊं,
कैसे कह दूं तुम ही बताओ प्रिये कि
जंगल के महाराजा जैसे तु खाती है l
फैशन तेरे अजब-गजब दुनियाँ से निराले हैं,
फैशन के नाम पर तूने जाने क्या पहन डाले है l
तुझे देखकर ऐसा लगता है प्रिये जैसे
ताजमहल पर किसी ने टीन टप्पर डाले हैं l
तेरी आशिकी का बोझ अब उठा नहीं सकता,
तेरी खातिरदारी ने मेरे दम निकाल डाले हैं l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
04/08/2023
जालिम सुनकर तेरी खड़गती हंसी,
स्कूल में लाज भी लजा जाती है l
चंद्र ग्रहण से तेरे मुखड़े पर,
कुछ उजली कुछ स्याह स्याह सी,
दंत पंक्तियों की सजी लड़ी में,
बादल बिजली एक साथ नजर आती है l
तेरी मस्त निगाहों का जादू,
क्या क्या कमाल दिखाती है l
तेरी नजरों की क्या तारीफ करूं,
तेरी तिरछी तिरछी नजरें प्रिये
एक पूरब तो एक पश्चिम में,
एक साथ दो -दो तीर चलाती है l
कहां से सीखा है यह अंदाज ए बयां,
मुझे भी कुछ बतलाओ प्रिये l
सुना है चांद निकल आया है छत पर,
अपनों से क्या, कैसा शर्माना अब,
सर का ताज जरा सा सरका दो तो,
हम भी चांद का दर्शन कर ले प्रिये l
चलो आज होटल खाना खाने चलते हैं,
एक नहीं तूने कई बार जिद्द की प्रिये l
तू बड़ी भोली है तुझे कैसे समझाऊं,
मुझ में हिम्मत नहीं कि तुझे कुछ बताऊं,
कैसे कह दूं तुम ही बताओ प्रिये कि
जंगल के महाराजा जैसे तु खाती है l
फैशन तेरे अजब-गजब दुनियाँ से निराले हैं,
फैशन के नाम पर तूने जाने क्या पहन डाले है l
तुझे देखकर ऐसा लगता है प्रिये जैसे
ताजमहल पर किसी ने टीन टप्पर डाले हैं l
तेरी आशिकी का बोझ अब उठा नहीं सकता,
तेरी खातिरदारी ने मेरे दम निकाल डाले हैं l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
04/08/2023
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