आज का इंसान

💐शीर्षक - आज का इंसान



पाप क्या पुण्य  क्या जाने है सकल जहान
फिर भी जाने किस भरम में खोया है इंसान
चेहरे पर चेहरा लगाये फिरता है सारी उमर
ईश्वर को भी छलना चाहे देखो मुर्ख इंसान

मुखिया बना फिरता जमाता  सबपर रौब
जाने किस अकड़ में रहता हरदम नादान
औरों की तारीफ,खुशी से जल भून जाता
चाहता सुनना हरदम अपना ही गुणगान


औरों की खुशी में खुश होने का गुण
भूल बैठा है करने लगा झूठा अभिमान
स्वयं को महान सबसे श्रेष्ठ समझता
अपने मन की करता रहता बनता विद्वान्


औरों को अपमानित करता उडाता मजाक
काम कुछ करना नहीं देखे ऊँचे सपने हजार
खुश होता बनता अपने मुँह मिया मिट्ठू
विनम्रता,सदभाव भूल बैठा आज इंसान


अब भी समय है खुश रहो और खुश रखो
पवित्र मन से दो सबको उनके हक का सम्मान
तुम्हारे जैसे ही तो सबको अधिकार मिले
ईश्वर ने बनाया उनको भी तुम्हारे जैसे ही इंसान


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
29/06/2023

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