फूलों का संसार
शीर्षक - फूलों का संसार
फागुन में फूले है पलाश,
लगे जैसे हो जंगल की आग l
गर्मियों में गुलमोहर फूले,
दहके जैसे लाल लाल अंगार l
मदार फूले है हर मौसम में,
करते इससे देवी का श्रृंगार l
सदाबहार फूले सदा सुहागन,
इसकी करूं क्या कितनी बात l
धतूरे और आंक के फूल से,
सदा प्रसन्न रहते भोलेनाथ l
पीले - पीले फूल कनेर के,
करे भोले का सुंदर श्रृंगार l
फुल प्रतीक है उल्लास का,
जीवन में सुगंध भरी मिठास का l
इनको देख कर खिल जाते हैं,
मुरझाया मुखड़ा उदास का l
फूल खुशियां और सुगंध देकर,
चुपके से झड़ जाते हैं l
इनकी कुर्बानी से ही तो भैया,
स्वादिष्ट फल हमें मिल पाते हैं l
फूलों से हम सब प्रेरणा लें,
जीवन में सदा मुस्कुराने का l
भरें सबके जीवन में हर्ष उल्लास,
प्रेम सुगंध दे अलविदा होने का l
लोकेश्वरी कश्यप
27/04/2023
लगे जैसे हो जंगल की आग l
गर्मियों में गुलमोहर फूले,
दहके जैसे लाल लाल अंगार l
मदार फूले है हर मौसम में,
करते इससे देवी का श्रृंगार l
सदाबहार फूले सदा सुहागन,
इसकी करूं क्या कितनी बात l
धतूरे और आंक के फूल से,
सदा प्रसन्न रहते भोलेनाथ l
पीले - पीले फूल कनेर के,
करे भोले का सुंदर श्रृंगार l
फुल प्रतीक है उल्लास का,
जीवन में सुगंध भरी मिठास का l
इनको देख कर खिल जाते हैं,
मुरझाया मुखड़ा उदास का l
फूल खुशियां और सुगंध देकर,
चुपके से झड़ जाते हैं l
इनकी कुर्बानी से ही तो भैया,
स्वादिष्ट फल हमें मिल पाते हैं l
फूलों से हम सब प्रेरणा लें,
जीवन में सदा मुस्कुराने का l
भरें सबके जीवन में हर्ष उल्लास,
प्रेम सुगंध दे अलविदा होने का l
लोकेश्वरी कश्यप
27/04/2023
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