बहुत याद आता है बचपन की बारिश का जमाना

💐शीर्षक - बचपन की बारिश का जमाना

बहुत याद आता है बचपन की बारिश का जमाना
ना थी कोई चिंता, न झिझक किसी बात की,
छतरी में पानी भर के फिर  उसे ओढ़ना,
वो रिमझिम फुहारों का गिरना,
गिरती फुहारों में खुश हो के भीगना l
साथ भीगने के लिए साथियों को आवाज देकर बुलाना
बहुत याद आता है बचपन की बारिश का जमाना


पाठशाला जाते समय बारिश में बच कर जाना,
छुट्टी होने पर मजे से भीगते भीगते आना,
रेनकोट का उस समय कहां था बोलबाला,
माँ,दादी,नानी भी तो गाती थी सावन में गाना,
रंग बिरंगी पन्नीयों में दो-दो लोगों का छुपकर जाना l
बहुत याद आता है बचपन की बारिश का जमाना  l

बहते पानी में नन्हें हाथों से बांध का बनाना,
बनाकर कागज की कश्ती पानी में बहाना,
भीगते हुए आंगन गली में खिलखिलाना,
नदी, तालाबों में गिरते पानी में गोते लगाना,
आम, पीपल,बरगद के पेड़ों पर झूला डाल झूलना,
बहुत याद आता है बचपन की बारिश का जमाना l


तब कहां बुरा लगता था कीचड में खेलना,
बड़ा मजा आता था पानी में छपा छप चलना,
हमें तो छतरी भी बोझ लगती थी बारिश में,
भीगने का कोई ना कोई बनाते थे बहाना,
बारिश हमें हर मौसम से लगता था सुहाना l
बहुत याद आता है बचपन की बारिश का जमाना


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
01/07/2023

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