मेहरबानी (लघुकथा )



विधा - लघुकथा

शीर्षक - मेहरबानी 


आज रिया की तबीयत सुबह से ही खराब थी l मन बहुत बेचैन सा हो रहा था l आज उसका मन काम पर जाने के लिए तैयार नहीं था l पर काम पर जाना भी जरूरी था l आखिर कितने दिन तक छुट्टी लेती वह l अब तो यह रोज का काम हो गया था l 9 महीने पूरे होने को आए थे l अब तो तबीयत ऊपर नीचे होती ही रहती थी l मन मार कर वह काम पर गई l आज उसकी मालकिन मोहनी की गोद भराई की रसम हो रही थी l काफी मेहमान आए हुए थे l हर तरफ चहल-पहल गहमागहमी का माहौल था l ऐसे में रिया का काम बढ़ना भी लाजमी था l जब से आई थी तब से चार राउंड वह बर्तन मांज चुकी थी l
और बर्तन थे कि फिर से उतने ही आ जाते थे  l मोहिनी की मां रिया की परेशानी को देखकर बहुत व्यथित हो गई l मन ही मन सोचने लगी बेचारी को इस अवस्था में भी  कितने कष्ट उठाने पड़ रहे हैं l मोहिनी को आज के लिए कुछ और लोगों को भी काम पर बुला लेना था l इतना कुछ बेचारी रिया अकेली संभाल रही है l
मोहनी की गोद भराई की रस्म बहुत अच्छे तरीके से संपन्न हो गई  l मोहनी ने अपनी मां से कहा कि शाम को जब रिया जाए तो उसे यह चीजें दे देना उसे भी अच्छा लगेगा उसने आज बहुत मेहनत की है l कमरे के बाहर से गुजरते वक्त रिया ने मालकिन की बात सुनी और वह खुश हो गई और वहाँ से चली गई l मोहिनी की माँ ने कहा " अरे यह तो उसका रोज का काम है l मिठाईयां बस दे दो l ज्यादा मेहरबानी दिखाने की क्या जरूरत है l साड़ी और पैसे देने की क्या जरूरत है l  शाम को घर जाते वक्त रिया ने मालकिन की माँ की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखा l  मोहनी की मां ने रिया को मिठाइयाँ  देते हुए कहा कि रिया अपने बच्चों के लिए मिठाइयां ले जा ,और उसने यह कहते हुए दरवाजा बंद कर लिया कि रिया कल जल्दी आना बहुत सारे काम पड़े हैं l



लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
08/02/2023

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