लता दीदी

💐शीर्षक - लता दीदी

बचपन में देखा पिता को,
करते सुरों की साधना  l
अपने स्तर पर नन्हीं लता,
करने लगी सुर आराधना  l

  उसका  रमता गया फिर मन,
होने लगा सुरों का संगम l
देख कर उसकी सुर आराधना,
गदगद पिता रह गए दंग  l


जाने क्या था किस्मत में उसकी,
रचाया किस्मत ने उसके ऐसा फंद l
छोड़ उनको चले गए उनके पिता,
  रह गई लता भाई बहनों के  संग l


छोटी उम्र में ही जिम्मेदारियों का बोझ लिए ,
लता लड़ने लगी जिंदगी से जंग  l
सुर साधना को बनाकर अपना हथियार,
स्वर आराधना में पड़ने न दिया भंग l


करती रही वह सदा अथक परिश्रम,
सतत अभ्यास कों बनाया जीवन का ढंग  l
उसके मधुर सुरों की जादूगरी का,
दुनियाँ भर पर चढ़ने लगा अद्भुत रंग l



बनाने कई सुन्दर विश्व रिकॉर्ड ,
रचाए उसने नये - नये कीर्तिमान l
स्वर साम्राज्ञी कहलाई लता दीदी,
पर कभी किया नहीं तनिक अभिमान l


" पद्मविभूषण ", " भारत रत्न " जैसे सुंदर,
मिला भारत का  सर्वोच्च नागरिक सम्मान l
संघर्षों भरा रहा सारा बचपन का जीवन,
कड़ी साधना से बढ़ाया खुद का व देश का मान l


क्यों न हो हमें उस लता दीदी पर मान
सर झुकाके विश्व करता जिसका सम्मान  l
मैं करती हूं नमन उस लता दीदी को
लगन से जिसने पाया मां शारदे का वरदान l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
07/02/2023

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