रंग अबीर उड़ाओ कृष्णा
💐शीर्षक - रंग अबीर उड़ाओ कृष्णा
अपनी प्रीत के रंग में रंग के रंगीले
एक बार फिर रास रचाओ कृष्णा,
अपनी मधुर मुरलिया बजा कर ,
गोपियों को अपनी बुलाओ कृष्णा l
फिर वही प्रेम राग बजाओ कृष्णा,
अपनी मधुर मुस्कान से रिझाओ l
नव पल्लव प्रसफुटित हो ठूठो पर,
ऐसा प्रेम रस फिर बरसाओ कृष्णा l
गोपियों सँग प्रकृति भी झूमने लगे,
ऐसी सुर तान लगाओ कृष्णा l
धरती से अंबर तक सब रंग जाये,
वह रंग अबीर उड़ाओ कृष्णा l
जीवन भर कभी न उतरे तन मन से,
वह पक्का प्रेम रंग चढ़ाओ कृष्णा l
नैनों से होकर हृदय में बस जाये,
वही रूप मनोहर दिखाओ कृष्णा l
तुझ बिन ठूँठ सम जीवन मेरा,
आकर नव पल्लव से सजाओ कृष्णा l
चातक हुआ मन मेरा मोहन,
स्वाति की प्रेम सुधा बरसाओ कृष्णा l
तुझ बिन अब न जी पाऊँगी,
आकर कंठ लगाओ कृष्णा l
तुम स्वास तुझ बिन दूजा आस न मेरा,
तुम मेरी धड़कन बन जाओ कृष्णा l
दिग्भ्रमित सा मन डोले मेरा,
हाथ पकड़ पथ दिखलाओ कृष्णा l
ऊब चुकी इस जीवन से,
तुम सँग अपने मूझे ले जाओ कृष्णा l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
20/02/2023
अपनी प्रीत के रंग में रंग के रंगीले
एक बार फिर रास रचाओ कृष्णा,
अपनी मधुर मुरलिया बजा कर ,
गोपियों को अपनी बुलाओ कृष्णा l
फिर वही प्रेम राग बजाओ कृष्णा,
अपनी मधुर मुस्कान से रिझाओ l
नव पल्लव प्रसफुटित हो ठूठो पर,
ऐसा प्रेम रस फिर बरसाओ कृष्णा l
गोपियों सँग प्रकृति भी झूमने लगे,
ऐसी सुर तान लगाओ कृष्णा l
धरती से अंबर तक सब रंग जाये,
वह रंग अबीर उड़ाओ कृष्णा l
जीवन भर कभी न उतरे तन मन से,
वह पक्का प्रेम रंग चढ़ाओ कृष्णा l
नैनों से होकर हृदय में बस जाये,
वही रूप मनोहर दिखाओ कृष्णा l
तुझ बिन ठूँठ सम जीवन मेरा,
आकर नव पल्लव से सजाओ कृष्णा l
चातक हुआ मन मेरा मोहन,
स्वाति की प्रेम सुधा बरसाओ कृष्णा l
तुझ बिन अब न जी पाऊँगी,
आकर कंठ लगाओ कृष्णा l
तुम स्वास तुझ बिन दूजा आस न मेरा,
तुम मेरी धड़कन बन जाओ कृष्णा l
दिग्भ्रमित सा मन डोले मेरा,
हाथ पकड़ पथ दिखलाओ कृष्णा l
ऊब चुकी इस जीवन से,
तुम सँग अपने मूझे ले जाओ कृष्णा l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
20/02/2023
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