हाथ जोड़े खड़े
🙏🏻शीर्षक - हाथ जोड़े खड़े
धन्य धन्य वह देश वह धरा है ,
जिस पर तेरे चरण कमल पड़े l
तीनों लोगों को तूने नाप लिया,
बस एक स्थान पर ही खड़े-खड़े l
तुम अनंत तुम हो अंतर्यामी,
तुम ही परमानंद के घन घने l
तुम से बड़ा है कौन भला,
तूने अभिमानियों के अभिमान हरे l
कोई सोच भी ना सके जैसा ,
ऐसे काम किए हैं तूने बड़े-बड़े l
दांव किसी का तुझ पर चलता नहीं,
करते तेरे सामने सब हाथ खड़े l
कट कर गिर जाते हैं वे सारे सर,
जो तेरे सामने अकड़ कर खड़े l
बिना अस्त्र-शस्त्र के ही तूने ,
भृकुटी मात्र हिला कर युद्ध लड़े l
करो हम पर कृपा है दीनदयाल,
तेरे दर पर हम कर जोड़ें खड़े l
वह प्राणी पल में भवसागर तरे l
जिस पर तेरी तनिक दया दृष्टि पड़े l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
07/02/2023
धन्य धन्य वह देश वह धरा है ,
जिस पर तेरे चरण कमल पड़े l
तीनों लोगों को तूने नाप लिया,
बस एक स्थान पर ही खड़े-खड़े l
तुम अनंत तुम हो अंतर्यामी,
तुम ही परमानंद के घन घने l
तुम से बड़ा है कौन भला,
तूने अभिमानियों के अभिमान हरे l
कोई सोच भी ना सके जैसा ,
ऐसे काम किए हैं तूने बड़े-बड़े l
दांव किसी का तुझ पर चलता नहीं,
करते तेरे सामने सब हाथ खड़े l
कट कर गिर जाते हैं वे सारे सर,
जो तेरे सामने अकड़ कर खड़े l
बिना अस्त्र-शस्त्र के ही तूने ,
भृकुटी मात्र हिला कर युद्ध लड़े l
करो हम पर कृपा है दीनदयाल,
तेरे दर पर हम कर जोड़ें खड़े l
वह प्राणी पल में भवसागर तरे l
जिस पर तेरी तनिक दया दृष्टि पड़े l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
07/02/2023
Comments
Post a Comment