झोपडी और महल (बालगीत )

💐शीर्षक - झोपडी और महल

छोटी -छोटी  हैं झोपडी,
बड़ा सा होता हैं महल  l
आंधी कहता झोपडी से,
ओ झोपडी तु जरा संभल l

नन्ही झोपडी सहमी खड़ी l
अकड़कर खड़ा बड़ा महल l
झोपडी में नन्हा दीपक जले l
झुमर से सजा सुन्दर महल l

राजा -रानी रहते  महल में,
झोपडी में रहता हैं मजदूर l
झोपडी से महल का रास्ता,
होता है भैया बड़ा ही दूर  l


सर्दी, गर्मी हो या हो बरसात,
हर मौसम झोपडी को सताये l
हरदम शान से खड़ा रहे महल,
सबको अपनी अकड़ दिखाये l


झोपडी किसी को अच्छी न लगे,
महल तो सबको रिझाये l
महल की खुशी सबको दिखे,
झोपडी अपना दर्द किसे दिखाये l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
14/02/2023

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