फागुन की मस्ती

💐शीर्षक - फागुन कि मस्ती 


फिजाओ में मस्तीयाँ घुलने लगी है l
रुखसार पे सबके लाली आने लगी है l
आँखें भी नशीली सी होने लगी है l
कि टेसूओं की बस्तीयाँ दहकने लगी है l


अब आमों पे बौर आने लगे हैं l
बागों में भौंरे गुनगुनाने लगे हैं l
प्यारा बसंत जवा होने लगा हैं l
अरमानों के पर फड़फड़ाने लगे हैं l


आ जाओ कृष्णा गोपी तुझे बुलाने लगी हैं l
अरमानों की मोतियाँ पिरोने लगी हैं l
फागुन की मस्तीयाँ दिशाओं में घुलने लगी हैं l
फाग की खुमारी सब पे चढ़ने लगी हैं l

हुडदंगों की टोलियां सजने लगी है l
नगाड़ों की धुन अब सजने लगी है l
फागुन की रंगीलिया चढ़ने लगी है l
कि होली की तैयारियां होने लगी है  l


थालों में भर के रंग,अबीर,गुलाल,
राधा अपने कृष्णा को बुलाने लगी है  l
मधुर मुस्कान लिए भोली सी गोपियां,
नटखट चितचोर को रिझाने चली है l





लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
20/02/2023

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