गम को ही खुशी बना डाला

💐शीर्षक - गम को ही खुशी बना डाला 

क्या लिखने बैठी थी मैं,
क्या क्या मैंने लिखा डाला l
भावों की दरिया में बहती गई,
सारा भाव उडेल कर रख डाला


ये भी न सोचा क्या होगा परिणाम,
पी लिया मैंने सारा हाला l
भोले नहीं मैं जिसने पिया हलाहल था,
सबके हित कराल था पी डाला l


मैंने बस इतना ही तो किया,
अपने अरमानों का दमन कर डाला l
कुछ कर गुजरने की जो तमन्ना थी,
अपनी उन तमन्नाओं को दफन कर डाला  l


अपने भावों की मसी में डुबो,
मन को ही लेखनी बना डाला l
उकेरती हूँ कुछ अक्षरों को कागज पर
कम करने वेदना की ज्वाला l


खुश रहती हूं बस सब की खुशी में,
उनकी खुशी को अपनी मुस्कान बना डाला l
तब तक गुम रहती अपने ही गम में,
मैंने गम को ही अपनी खुशी बना डाला  l



लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
21/02/2023

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