दर्पण (कुंडलियाँ छंद )

💐विधा -  कुंडलियाँ छंद

शीर्षक - दर्पण

दर्पण दिखाय सच्चाई,करे न झूठी बात l
दिखाये  बस परछाई, जब जाये हम पास l
जब जाये हम पास,सजनी का रूप निखारे l
पिय की आये याद, गुमसुम दर्पण निहारे l
उलझ के गई बैठ, उलझे केश सुलझाये l
अनु ऐसे न तु ऐंठ, दर्पण तुझको बुलाये l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
16/02/2023

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