नारी

💐शीर्षक - नारी


मेरे भारत देश की नारी,
सदा रहीं है नर पर भारी l
विष्णु के नारी रूप पर मोहे,
काम को जितने वाले त्रिपुरारी l


माँ, बेटी, बहन, पत्नी ,
सारे हैं नारी के ही रूप l
नारी के आगे नतमस्तक रहे,
चाहे रंक हो या हो भूप l


दुर्गा, काली, सरस्वती, रणचंडी,
सभी है नारी शक्ति के रूप l
हर रूप में है आदरणीय नारी,
चंडी या सौम्य,सरल हो स्वरूप l


अपना हर कर्तव्य निभाती है,
दो -दो कुल की लाज बचाती है l
अन्नपूर्णा रूप में भोजन कराती है,
गुरु कभी बनके राह दिखाती है l


सृष्टि के संचालन में यही नारी,
अपना सर्वस्व भी लुटाती है l
ममता के गुणों से ओत -प्रोत हो,
दया- धर्म का पाठ पढ़ाती है l


अधूरे नर को पूर्ण करती है नारी,
उसका व्यक्तित्व निखारती है l
पीहर के कुल के संस्कारो से,
ससुराल के कुल को संवारती है l

लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
15/02/2023

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