आदमी

💐शीर्षक - आदमी

जाने क्या से क्या हो गया आज का आदमी l
मनु की संतान पर मनुष्यता भूल गया आदमी l
जाने क्या सच्चे-झूठे सपने सजाता है आदमी l
झूठ फरेब में उलझा सबको उलझाता आदमी l

अपने मतलब के लिए सबको आजमाता आदमी l
मतलब निकल जाने पर नजरे बचाता है आदमी l
धन के मद में अक्सर हद से बढ़ जाता आदमी l
गैरों की क्या बात अपनों से लड़ जाता आदमी l

रोज जाने कितने चेहरे पे चेहरा लगाता आदमी l
जाने पुण्य छोड़ के पाप क्यों कमाता है आदमी l
बस धन कमाने में दिनभर लगा रहता आदमी l
हर पल जीवन को दाव में लगाता है आदमी l


पड़ोसी को एक मुस्कान के लिए तरसाता जो,
अपने परिवार पर जी भर खुशियां लुटाता आदमी l
होता है कुछ और  जताता है कुछ और ही
सबको अनेकों  तिकड़म करके लुभाता है आदमी l

नियम कानून कायदों को ताक पर रखता है,
करता है मनमानी सबको सताता आदमी l
जब अपनी बारी आती उसका धैर्य टूट जाता है,
जाने कितना हो हल्ला मचाता है यही आदमी l


लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
06/02/2023

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