vवेध उत्सव प्रतिवेदन श्रंखला 1
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🎯 वेद उत्सव 14.0 🎯
दिनांक 23/05/2021
✍️प्रतिवेदन-
🙏🏻 प्रेरणा स्रोत-आदरणीय नंदकुमार सर जी।
🙏🏻 अनुभव शेयर व प्रशिक्षक-आदरणीय श्री दत्तात्रेय वारे सर जी।
🙏🏻 संचालक- आदरणीय श्री निलेश गुघे सर जी।
✍️ आज की अनुभव सेयरिंग वेद उत्सव 14.0 कार्यक्रम में आदरणीय श्री नीलेश सर जी द्वारा वाबलेवाड़ी स्कूल व संचालक आदरणीय श्री दत्तात्रेय वारे सर जी का परिचय देते हुए यह बताया गया कि वाबले वाड़ी स्कूल का ढांचा पूरा बच्चे की रुचि अनुसार तैयार किया गया है, जहां खुला वातावरण हो, खिड़कियां से पूरा प्राकृतिक वातावरण दिखे, खिड़कियां भी शीशे की बनी हुई है, कमरों में कई दरवाजे हो बच्चे जहां से आना व जाना चाहे आ जा सकते हैं हर तरह से स्कूल का वातावरण बच्चे की रुचि पूर्वक अनुकूल है ।तत्पश्चात उस स्कूल के ढांचा तैयार करने वाले व प्रथम शीला रखने वाले दत्तात्रेय सर के बारे में बताया गया। वाबले वाड़ी स्कूल पूरे टीम वर्क के साथ कार्य करते हैं जहां 660 बच्चे व 15 से 20 शिक्षक हैं।
🤔 तत्पश्चात वेद उत्सव में जुड़े सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं से आए हुए सवालों को आदरणीय श्री नीलेश गुघे सर जी द्वारा सवाल किया गया-
❓-करोना कॉल में बच्चों की पढ़ाई कैसे संचालित हुई?
🤔 वारे सर जी ने बताया की पिछला वैद्य उत्सव में उन्होंने जो कहा था कि बच्चों की शाला नहीं खुल रही ,लेकिन फिर भी वह वाबले वाड़ी स्कूल की सभी कक्षाएं संचालित हो रही है ,बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं ।अपने गांव, अपने मोहल्ले ,अपने घरों, में ही स्वयं से, विषय मित्र, गली मित्र,व टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए बच्चे की सिलेबस पूरे एक तिहाई समय में कंप्लीट हो गया।
सर बताएं कि बीच में 2 महीना स्कूल के संचालन में फ्री टाइम मिला था जिसमें उनकी कुछ शिक्षण प्रणाली संपादित हुआ ।उसके बाद कड़ई से लाक डाउन हुआ तो शाला से संचालित होने वाले कार्यक्रम में अवरोध आ गया। तब बच्चों से ही जवाब आया कि अब हम क्या करें ऐसे खाली बैठना ठीक नहीं है। फिर वही कार्यप्रणाली से बच्चे का सिलेबस पूर्व अनुसार तरीके से बच्चे ने अपनी सिलेबस पूरी कर ली ।पूरी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त किए। इस कार्य की संपादन में गली मित्र विषय मित्र व शिक्षकों द्वारा मानिटरिंग भी की जाती रही । शिक्षक के द्वारा बीच-बीच में बच्चों के पालकों से फोन कॉल व डायरेक्ट घर जा कर के भी मानिटरिंग की गईकि बच्चों की पढ़ाई सही तरीके से हो रही है या नहीं इससे बच्चों को भी लगता है की शिक्षक उनके पालकों के सामने कुछ बोलेंगे और पालकों को भी लगता है कि अगर हम अपने बच्चों को सही तरह से ध्यान नहीं देंगे तो शिक्षक सीधे घर ही आकर संपर्क करते हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई पालकों व शिक्षकों दोनों की मानिटरिंग में बहुत अच्छी तरह से संचालित हो रहा है।
सर बताएं कि बच्चों को कभी भी *डर* से शिक्षा नहीं देना चाहिए क्योंकि डर से लिया हुआ शिक्षा गुणवत्तापूर्ण शिक्षण नहीं होता है बच्चों से मित्रवत रहना चाहिए।
❓ सिलेबस कंप्लीट होने के पश्चात आपने किस क्षेत्र में कार्य किया❓
🤔 वारे सर बताएं कि सिलेबस कंप्लीट होने पर बच्चों से ही जवाब आया क्यों उनको कुछ और करना चाहिए ।तत्पश्चात उन्होंने इस वर्ष *स्पोकन इंग्लिश* का कोर्स 16 दिवस में कंप्लीट कराया ।इस कोर्स में पूरे 💯 परसेंट बच्चे लाभान्वित दक्ष हुए हैं। पहले पांचवी से उच्च वर्ग की कक्षाओं को स्पोकन इंग्लिश का कोर्स कराए तत्पश्चात उन्हीं बच्चों के द्वारा कक्षा पहली से चौथी कक्षा की सभी बच्चे स्पोकन इंग्लिश का कोर्स कंप्लीट किए साथ ही बच्चों की पेरेंट्स को भी स्पोकन इंग्लिश कोर्स कराने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
👉 दूसरा महत्वपूर्ण कार्य बच्चों को जपानीज भाषा सिखाने का कार्य हुआ इस कार्य में 76 बच्चों व शिक्षकों ने जापानी भाषा की परीक्षाएं भी देने वाले हैं जिसमें कक्षा एक की बच्चे भी शामिल हैं इस परीक्षाएं में कुछ शिक्षक भी शामिल हैं इस प्रकार वहां बच्चे व शिक्षक एक साथ पढ़ते वपरीक्षा भी देते हैं ।सर बताएं कि जापानी सिखाने का उद्देश्य है कि अभी भारत और चीन की युद्ध चल रहा है तो जाहिर सी बात है कि चीन के साथ हमारा संबंध भी अच्छा नहीं है तो भविष्य में हमें टेक्नोलॉजी से परिपूर्ण ऐसे देश की सहयोग लेने की आवश्यकता पड़ सकती है तू जापान देश भी चीन के जैसा ही टेक्नोलॉजी से परिपूर्ण है और एक देश से संबंध खराब हो जाए तो दूसरा देश जरूर साथ देने को आगे बढ़ता है इस प्रकार से हमने जापानी भाषा सीखने पर बल दिया । अगर हमें जापान देश से सहयोग लेना है तो हमें उस देश की भाषाएं आनी बहुत ही जरूरी है ।इस जपानीस भाषा सीखने के उद्देश्य में हमने बच्चों के पालकों से मीटिंग भी ली और सभी के सहयोग से आज बच्चे जापानी भाषा सीख रहे हैं।
वारे सर बताएं कि अभी वाबलेवाड़ी स्कूल के बच्चे हिंदी व मराठी भाषा को छोड़कर 8 भाषाओं पर कार्य कर रहे हैं अर्थात वहां के बच्चे अभी 10 भाषाओं पर कार्य कर रहे हैं।
❓ क्या अभी टेक्नोलॉजी मोबाइल व लैपटाप की सुविधा सभी बच्चो के पास है❓
वारे सर जी बताएं कि पहले सभी के पास मोबाइल व लैपटॉप की सुविधा नहीं थी ।कुछ बड़े बच्चों के पास ही लैपटॉप थी। विषय मित्रों व गली मित्रों की सहायता से बच्चों तक होमवर्क व क्लास वर्क वसभी मैसेज पहुंचा दिए जाते थे फिर बच्चे स्वयं से अभ्यास करके सभी कार्य समय से पूर्व कर लेते थे ।कुछ बच्चों के पलकों को संपर्क कर उन्हें बच्चे के लिए मोबाइल की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया और तब भी कुछ बच्चे शेष रह गए तो उनके लिए उनके पूरे शाला टीम द्वारा किसी से सहयोग प्राप्त कर सभी बच्चों को मोबाइल की सुविधाएं प्रदान कराई गई। आज सभी बच्चे की ऑनलाइन क्लासेस संचालित है।
वारे सर जी ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही कि हमारे स्कूल के बच्चे की भलाई के लिए अगर हमें किसी से सहयोग लेनी पड़े तो हमें एक शिक्षक होने के नाते किसी से सहयोग मांगने में क कतई संकोच नहीं।
स्कूल एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल स्तर का है और इतना प्रसिद्ध है कि वहां अपना सहयोग देने वालों की कमी नहीं है इस प्रकार सभी बच्चे टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर अपनी सिलेबस समय पूर्व कर रहे हैं।
वाह रे सर जी बताएं कि उनके टीम द्वारा एक व्यवस्थित लाइव डिजाइन किए हैं और उनके बच्चे द्वारा यह बात रखी गई कि उनका एक अलग ही सिस्टम हो इसके लिए उन्होंने अपने बच्चों को सॉफ्टवेयर तैयार करने को कहा है और कुछ दिनों पश्चात वे अपना सॉफ्टवेयर लॉन्च करने वाले हैं इस प्रकार उनके बच्चे अभी करोना महामारी के संकट काल में कार्य चुनौतीपूर्ण व रुचि पूर्वक कर रहे हैं ।आम जनता अभी यह सोच रहे हैं कि जीवन कैसे बचाया जाए लेकिन वारे सर व उनके टीम व उनके बच्चे यह सोचते हैं कि यह कोरोनावायरस आपदा उनके लिए एक सुअवसर है कुछ कर गुजरने की।
वारे सर बताएं कि यह आपदा उनके बच्चों के जीवन में *टेक्नोलॉजी के प्रयोग* में *क्रांतिकारी परिवर्तन* ला दिए हैं ।उनको जितनी सुविधाएं ऑफलाइन क्लासेस संचालित करने में नहीं मिलती थी वह सभी सुविधाएं अभी मिल रही है ।उनके बच्चे टेक्नोलॉजी के प्रयोग से *सी प्लस प्लस* , *कोडिंग* करना बहुत ही आसानी से सीख रहे हैं और कर भी रहे हैं। अलग-अलग सॉफ्टवेयर बच्चे स्वयं तैयार कर रहे हैं।
❓ टेक्नोलॉजी का प्रयोग ऑफलाइन क्लासेस मैं कैसे
करेगे❓
वारे सर बताएं कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग स्कूल खुल जाने पर भी हम वैसी ही करेंगे जैसे आज कर रहे हैं बल्कि हमें बहुत सुविधाएं मिलेगी। सर ने उदाहरण देते हुए बताया कि सर्, मैडम जी द्वारा स्कॉलरशिप की शिक्षण के लिए पलकों को 2 दिन बच्चे के साथ आना पड़ता है ।स्कूलों में गाड़ियों की लंबी कतारें लगी रहती है। चूकि अब टेक्नोलॉजी मोबाइल के प्रयोग से गूगल मीट ,जूम मीट के द्वारा ऑनलाइन क्लास से ली जा सकती है और बच्चे घर में ही आसानी से सीखेंगे।
❓ आपके द्वारा किए गए कार्य का यूनिवर्सलाइजेशन के लिए आपने क्या किया❓
सर बताएं कि हमारे इस कार्य को देखकर सुनकर सभी शिक्षकों के मन में यह भाव जागृत होता है कि हम भी वाबले वाड़ी स्कूल के जैसा अपना स्कूल को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का कार्य करेंगे सर बताएं कि आदरणीय नंदकुमार साहब की प्रेरणा से लक्ष्यवेध की टीम तैयार हुई है और मैं इस टीम के साथ हमेशा सहयोग देता रहूंगा ।इस तरह से इस टीम के माध्यम से आज वारे सर की शिक्षा प्रणाली छत्तीसगढ़ के साथ-साथ भारत के 5 -6 राज्यों में इसका कार्यक्रम संचालित है ।
सर बताएं कि शिक्षकों द्वारा सवाल किया जाता है कि एक तिहाई समय में बच्चे की सिलेबस पूरा कैसे किया जाए। सर ने बताया कि लक्ष्यवेध की जो सभी नुस्खे विषय मित्र ,गली मित्र टेक्नोलॉजी का प्रयोग, कक्षा मित्र, चुनौतीपूर्ण कार्य इन सभी के प्रयोग से चाहे वह एक शिक्षक हो या अधिक, इसका प्रयोग कर सिलेबस पूरा किया जा सकता है। और हमारे स्कूल में सिलेबस एक तिहाई समय में कंप्लीट हो रहा है। यह कार्य सुनकर सभी शिक्षकों को आसान लगता है लेकिन धरातल पर जब कार्य करेंगे तब उसकी असली समझ आएगी ।सर बताते हैं कि हमें सिर्फ अपने कार्यक्षेत्र पर फोकस होनी चाहिए उसमें आने वाली बाधाएं व संकटों को नहीं देखना चाहिए। हम अपने कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ते रहेंगे तो सारी बाधाएं अपने आप टल जाएगी।
❓ आपने जो कार्य किया यह विचार आपके मन में कैसे
आया❓
वारे सर बताएं कि प्रत्येक बच्चा का अधिकार है कि वह एक *अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा* प्राप्त करें और एक शिक्षक होने के नाते हमें यही विचार करना चाहिए कि हम क्या सोचे ,क्या काम करें कि हमारे बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्राप्त करें।
सर बताते हैं कि उनकी टीम के द्वारा कई क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है अभी लॉकडाउन में सभी शालाआए जैसे छोड़कर आए थे वैसा ही पड़ा है लेकिन वाबले वाड़ी के स्कूल में सभी शिक्षक अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं वहां कोई शिक्षक अपने घर में नहीं रहते हैं उनका पूरा टीम वर्क स्कूल से संबंधित होता है ।वहां कई शिक्षक अभी भी पेड़ पौधे रोपड़ का काम कर रहे हैं। एक शिक्षक उनके लैब की निर्माण योजना में लगे हैं जो कि ढाई महीने में पूर्ण करने का योजना बना है लेकिन वे सर चाहते हैं कि यह निर्माण योजना जल्द हो जाए ।कई शिक्षक कोविड-19 में अपनी सेवा दे रहे हैं । कई शिक्षक आसपास की गांव में जाकर *पेड़पौधारोपण* का कार्य कर रहे हैं ।सर बताएं कि वे अपने बच्चे को एग्रीकल्चर का शिक्षा की कार्य पर जोर दे रहे हैं और जब भी स्कूल खुलेगा वह ऑफलाइन क्लासेस शुरू होगी तो सर व उनकी टीम पूरा कार्य योजना तैयार कर लिए हैं कि उनके शिक्षकीय कार्य में इसबार *एग्रीकल्चर मीडियम* भी शुरू होगी, क्योंकि एग्रीकल्चर कोई साधारण कार्य नहीं है और इस पर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होना बहुत ही जरूरी है।
❓ कक्षा पहली का सिलेबस कैसे पूरा किए❓
वाह रे सर बताएं कि लॉकडाउन के बाद कक्षा पहली के बच्चे की पेरेंट्स परेशान हो गए कि कक्षा पहली में जो सिलेबस पढ़ना है छोटे बच्चे कैसे पढ़ेंगे ।तो सर ने बताया कि 1 दिन फ्री टाइम में हमने सभी पेरेंट्स को बुलाया व उन्हें बताया कि कक्षा पहली का सिलेबस देखिए आपके बच्चों द्वारा पूरा सिलेबस नर्सरी, एलकेजी ,यूकेजी क्लास में पूरा करा लिया गया और आपके बच्चे पूर्ण रूप से दक्ष है ।अब आपको बच्चों के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है ।अभी बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज चलती है आवश्यक दिशा निर्देश दिया जाता है व बच्चे रुचि पूर्वक सीखते हैं सर बताएं कि छोटे बच्चे को विशेषकर ऑनलाइन क्लास में अपने शिक्षक जरूर दिखना चाहिए। वह रोज उनसे बातचीत करें तो बच्चे सहज महसूस करते हैं। आगे जैसे ही ऑफलाइन क्लासेज शुरू होगी बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर लेंगे।
❓ बच्चे टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए ऑनलाइन क्लासेस रुचि पूर्वक कैसे अटेंड करते
हैं❓
वारे सर बताएं की जूम मीटिंग या गूगल मीट में 1 घंटे की ऑनलाइन क्लासेस में ब्लैक बोर्ड चाक, डस्टर व टेस्ट बुक से ऑनलाइन क्लासेस संचालित करना रुचि पूर्वक नहीं हो सकता है। इसके लिए हमारी पूरी टीम द्वारा एक कार्य योजना तैयार किया गया है जिसमें ऑनलाइन क्लासेज के दौरान कुछ वीडियो, कुछ टेस्टबुक, कुछ टेस्ट लिए जाते हैं जिसमें 10 में 1सही हो तो भी ठीक है और बच्चों के द्वारा भी सवाल लिए जाते हैं इस प्रकार ऑनलाइन क्लासेज संचालित होती हैं वह बच्चे रुचि पूर्वक प्रतिदिन ऑनलाइन क्लासेस अटेंड करते हैं।
वारे सर जी ने एक और बहुत ही महत्वपूर्ण बात बताई कि वहां शिक्षक भी बच्चों से पढ़ते हैं जिन शिक्षकों को कोडिंग, सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी लेनी होती है व बच्चों से ही अपनी पूरी जानकारी ले लेते हैं मतलब वहां बच्चे व शिक्षक दोनों साथ-साथ पढ़ते वह पढ़ाते हैं । वहां शिक्षक व बच्चों का संबंध सहज व पवित्र है ।बच्चे मित्रवत रहते हैं और सभी एक दूसरे के साथ मजाक मस्ती भी करते हैं एक दूसरे के साथ मनोरंजन भी करते हैं।
*वेद उत्सव 14.0 को सुनने के पश्चात वाबलेवाड़ी स्कूल की पूरी शिक्षण प्रणाली* में मेरा यह विचार है कि-
🟣 हमें भी पूरे टीम वर्क के साथ कार्य करना चाहिए।
🟣 पूरे समुदाय से जुड़कर ही आपसी सहयोग से ही कार्य संभव है।
🟣 शिक्षा केवल स्कूल की चारदीवारी ,ब्लैकबोर्ड ,डस्टर व टेस्ट बुक में ही नहीं है हमें इन सब से बाहर निकल कर बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
🟣 पुस्तक से बाहर निकल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर का ज्ञान बच्चों को दिलाना है।
🟣 हमें भी अपने बच्चों को वैश्विक स्तर पर अपेक्षित प्रस्तुत करना है। ताकि वह हर चुनौती का सामना आसानी से कर ले।
🟣 हमें भी लक्ष्यवेध के सभी ने उसको का प्रयोग करते हुए अपने बच्चों को वैश्विक स्तर तक अपेक्षित लाना है।
🟣 हम प्रयासरत रहेंगे।
🙏 धन्यवाद सर जी 🙏
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