गौ /गाय

🙏🏻दोहा
शीर्षक - गाय / गौ

प्रथम निवाला गौ को, देता जो परिवार l
सूखी रहता सदा वह, समृद्ध हो भंडार l


सेवा करे जो गौ की,सदा रहे प्रसन्न मन l
बी पी रहे नियंत्रित, शांत रहता है मन l


गोबर गौ मूत्र छुवे, विकार मिटे मन l
दुग्ध उत्पादों को खाय, पुष्ट होवे तन मन l


कामधेनु है गौ माँ,पूर्ण करे हर काम l
प्रसन्न मन रहे सदा जन, फेरे जब तन हाथ l



खाद बनता गोबर से, धरा करे उपजाऊ l
बढ़े फ़सले खेतों में,सूखी हो किसान l


जीवन भर सेवा करे,खेतों  में गौ पुत्र l
सेवा से सुख मिले, जान मान यह सूत्र l


वेद भी गाय महिमा, कर दौड़े जिनकी l
करो सेवा तन मन से, सब मिल गौ वंश की l


दूध दही माखन खाय, बालक बन जगदीश l
गाय चराये गोपाल ,गौ सेवक बनें ईश l

गौ के हर अंग व उत्पाद, अमित गुणकारी l
गोबर, मूत्र, चर्म व हड्डी, सब हैं हितकारी l


जब धरा धरी गौ रूप,दौड़े आये fझट हरि l
गौ का मान -सम्मान कर, गौ देव पर भारी l

लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
21/05/2022

Comments

Popular posts from this blog

प्रतिवेदन श्रंखला (2)

( ECCE ) बच्चों में भाषा कौशल का विकास कैसे करें?

NEP पर विशेष चर्चा