बदलाव जरूरी है
👌प्रश्न 1. आधारभूत शिक्षा स्तर पर बदलाव लाने के क्या कारण है ?
उत्तर = नई शिक्षा नीति का प्रारूप एक सही कदम के रूप में बच्चों की शुरुआती देख-रेख और शिक्षा के महत्व पर ज़ोर देता है। साथ ही, यह प्राथमिक स्तर पर बुनियादी साक्षरता व गणितीय क्षमता को अविलम्ब दुरुस्त करने की ज़रूरत को रेखांकित करता है – वह स्तर जो आज सीखने के संकट से जूझ रहा है।
सन 2005 से साल दर साल एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट्स (असर) इस बात को लगातार उजागर करती आ रही है कि बच्चों के पढ़ने और गणित करने की क्षमता का स्तर चिंताजनक रूप से नीचे है। इसी प्रकार से विभिन्न सर्वो के रिपोर्टों भी कहते है l
नई शिक्षा नीति का प्रारूप बिलकुल सही तौर पर कहता है कि बुनियादी कौशलों का निर्माण करना कम से कम प्राथमिक विद्यालय की मुख्य गतिविधि होनी चाहिए। "हमारी उच्चतम प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि हम 2025 तक सभी प्राथमिक व इनसे आगे के विद्यालयों में बुनियादी साक्षरता व गणितीय क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लें"
नई शिक्षा नीति का प्रारूप इस मान्यता को स्वीकार करता है कि प्रारंभिक वर्षों (3 से 8 वर्ष आयु) को "बुनियादी चरण" माना जाना चाहिए और इसे सतत होना चाहिए। इस आयु वर्ग के बच्चों की एक "लचीली, बहु-आयामी, बहु-स्तरीय, खेल आधारित, गतिविधि-आधारित, खोज- आधारित शिक्षा तक पहुँच होनी चाहिए"
शोध बताते हैं कि आंगनबाड़ी में प्रारंभिक आयु के बच्चों के साथ "विद्यालय-जैसी" गतिविधियाँ ही की जाती हैं और वे इन बच्चों को लचीली, खेल-आधारित एवं विकास अनुरूप ऐसी गतिविधियाँ नहीं कराते जो नन्हे-मुन्ने मस्तिष्कों के विकास के अनुरूप हों। ये बच्चे विद्यालय-पूर्व शिक्षा में कई वर्ष बिताने के बाद भी कक्षा 1 के लिए "तैयार" नहीं हो पाते।
लोकेश्वरी कश्यप
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