अंतर्मन
अंतर्मन
कभी सच्चे कभी झूठे जाने कितने सपने सजाता है.
पल में यहां अब पल में जाने कहां की सैर करके आता है.
अंतर्मन.......
क्या सही है और क्या है गलत मुझको सब कुछ बदलाता.
झूठ,फरेब,दिखावा,छलावा सब कुछ तो जाने हैं.
अंतर्मन......
फिर क्यों लोग पर पीड़ा में, दूसरों की बेबसी में खुश होते हैं.
क्या कभी उनको धिक्कारता नहीं है उनका खुद का अंतर्मन......
लाखों चाले चलते लाखों षड्यंत्र रचते रहते हैं.
कैसे खुश हो लेते हैं वे इतना बोझ कैसे सह लेता. अंतर्मन......
अपराधी, गृहस्थ और सन्यासी, बच्चे वृद्ध और जवान
क्या सब के पास एक जैसे होता है उनका
अंतर्मन.......
अगर हाँ तो फिर क्यों करते हैं वे दुसरो पर अनाचार और दुराचार.
पर पीड़क को क्यों नहीं धिक्कारता कभी उनका अंतर्मन.......
क्यों वे निष्ठुर हो जाते हैं खो जाती है उनकी सारी संवेदनाएं.
क्या चुल्लू भर उनको पानी नहीं मिलता, क्यों चुप हो जाता उनका,
अंतर्मन........
एहसास जिनके हो जाते हैं सुप्त पर वेदना देखकर
उन्हें भी उस टीस का एहसास हो जो बेबस का झेल रहे हैं.
अंतर्मन.......
सुना है सबके पास होता है सबका एक जैसा होता है.
एहसास सबका दर्द और खुशी का, फिर जाने कहां छुप जाता उनका,
अंतर्मन.......
कोई किसी का धन छीनता, कोई किसी की जान, तो कोई छीनता सम्मान,
उनके अंदर का जब जागता हैवान, तो क्यों बिक जाता है.
अंतर्मन......
क्या वह भी हो जाता लालची क्या उसको भी स्वार्थ लेता है घेर
देख कर सब की बेबसी, लाचारी और नाउम्मीदी भीतर ही भीतर घुटता
अंतर्मन.......
कभी आत्मा का परमात्मा से अंतर्संबंध कराता,
कभी पंच तत्व के पिंजड़े में पखेरू बन अपने परों को फड़फड़ाता,
अंतर्मन........
मिट जाए सारे वैमनस्य बंद हो जाए सारे षड्यंत्र, आहा कितना सुखद अवसर होगा वह, जब सबका जाग जाएगा,
अंतर्मन........
चहु ओर होगी जब वसुधैव कुटुंबकम की भावना,
होगी शांति और प्रेम जब दीप्त होंगे सब के अंतर्मन...........
ना कहीं पाप होगा ना होगा अपराध और अपमान.
मिले सबको सही संस्कार हो जाएगा सब का उद्धार, आनंदित हो जाए
अंतर्मन..........
ऐसे सुखमय संसार का चलो करे सब मिलकर निर्माण.
ज्ञान, विज्ञान, परंपराओं और संस्कारो से सबके परिपूर्ण हो जाए,
अंतर्मन...........
🙏🙏💐💐💐🙏🙏
लोकेश्वरी कश्यप
12/5/2021
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
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