जिंदगी का तन्हा पल
शीर्षक :- जिंदगी का तन्हा पल
कभी जब खुद से बातें करने का मन करता है l
भीड़,शोरगुल से दूर अपने आप में खोने का मन करता है l
अपने भीतर झांकने,खुद को आंकने का मन करता है l
व्यस्त जिंदगी से खुद के लिए दो पल चुराने का मन करता है l
तब हमें सुकून देता है जिंदगी का तन्हा पल...........
कभी जब गला रूंधा और दिल उदास होता है l
खुद से, अपनों से उमड़ा शिकवों का सैलाब होता है l
जब दिल का दर्द धीरे-धीरे अश्कों में पिघल रहा होता है l
कोई अपना हमारे अश्कों से दुखी ना हो, दिल चाहता है l
तब हमें सुकून देता है जिंदगी का तन्हा पल...............
बचपन की शरारतें और यादें ऊर्जा से भर देती है l
लड़कपन की इतराती,इठलाती यादें दिल को गुदगुदाती है l
सखी सहेलियों संग हंसी ठिठोली की बातें जब याद आती है l
दिल में ऊर्जा,उत्साह और खुशियाँ भर देती है l
इन यादों में खो जाने का वक्त है जिंदगी का तन्हा पल.......
कभी हमें गहरी निराशा व अवसाद में धकेल देती है l
जिंदगी खुद की खुद को ही बोझ सी लगने लगती है l
जब कोई हमारा अपना हमारे साथ नहीं होता है l
जिंदगी का दुख भरा पल याद आता और रुलाता है l
तब टीस और पीड़ा से भर जाता है जिंदगी का तन्हा पल...........
जग रूठे हुए प्रियतम को अदाओं से मनाना होता है l
जब अपनों के मन की गांठ धीरे से खोलना होता है l
जब किसी समस्या को समझना और सुलझाना होता है l
जब प्रेमी आत्मा को परमात्मा से मिलाना होता है l
तब लाजमी होता है जिंदगी में तन्हा पल........
🙏🏻🙏🏻
लोकेश्वरी कश्यप
जिला :- मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
25/08/2022
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