आनंद का वास कहां
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*जब रहे स्वस्थ तन और मन
तब ही है जीवन में आनंद*
यह बात सोलह आने सच है की स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन होता है और जब तन मन दोनों ही स्वस्थ हो तभी जीवन में आनंद का वास होता है. स्वास्थ्य ही आनंद की कुंजी है. क्योंकि रोगी तन और रोगी मन में आनंद का वास कहां.
आजकल की इस आपाधापी भरी जीवनशैली में स्वास्थ्य कहीं गुम सा होता जा रहा है. तनाव डिप्रेशन चिड़चिड़ापन इत्यादि की समस्याएं बहुत तेजी से बढ़ेगी साथ ही मोटापा हाई ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर हार्ट संबंधी समस्याएं भी बहुत तेजी से अपने पैर पसार रही है.
निश्चित रूप से इन सब का कारण हमारे पर्यावरण का प्रदूषित होना ही है. इस बात में भी कोई संदेह नहीं की हमारा पेट समस्त विकारों का घर है. कहने का तात्पर्य है कि अगर पेट सही है पेट साफ है तब हमारा पूरा शरीर साफ रहता है लेकिन अगर किसी कारण से पेट और स्वस्थ है तो धीरे-धीरे हमारे शरीर के सभी अंग किसी न किसी बीमारी या डिजीज के शिकार जरूर हो जाते हैं. और पेट की समस्याएं शुरू होती है तला भुना मसालेदार और खासकर डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से. जो खाने में तो लजीज होते हैं लेकिन इनका बहुत ही बुरा प्रभाव हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष रूप से धीरे-धीरे नजर आने लगता है. लेकिन यह हमारे जीभ की लालसा लालच जो भी कहे इसके कारण ही होता है.
अगर हमें स्वस्थ तन और स्वस्थ मन चाहिए तो हमें अपनी प्रकृति को पूर्ण रूप से स्वस्थ और स्वच्छ करना ही होगा. हमें अपने खानपान पर बेहद बारीकी से नजर रखने की जरूरत है. हमें स्वास्थ्य से संबंधित सभी नियमों को फॉलो करना पड़ेगा. तभी हमें मिल पाएगा स्वस्थ तन और स्वस्थ मन. और जब तन और मन स्वस्थ रहेंगे तब हमें मिलेगा स्वस्थ आनंदमय जीवन.
🙏
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली
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