प्रतिवेदन श्रंखला 6

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प्रतिवेदन


15/5/2021

ECCE पर विशेष प्रशिक्षण

 प्रेरणा स्त्रोत एवं प्रशिक्षक  :- आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी

 विषय  :- साला पूर्व बच्चों में संज्ञानात्मक योग्यता का विकास.

 मंच संचालन :- आदरणीय दीपेश पुरोहित  सर जी

 मुख्य बिंदु  :-
1 समय की अवधारणा
2. स्थान की अवधारणा
3. माप की अवधारणा


👉 1. समय की अवधारणा:- शाला पूर्व   के बच्चे  मिनट, घंटा,महीना,वर्ष इत्यादि के रूप में समय को नहीं समझ पाते हैं उन्हें सुबह दोपहर शाम रात को भी अच्छे से समझने  की जरूरत होती है. साला पूर्व बच्चे कल अगले व पिछले कल की थोड़ी थोड़ी समझ रखते हैं. आज है कल था कल आएगा ऐसे शब्दों की थी थोड़ी थोड़ी समझ रखते हैं. जैसे कि कोई सामान को कल खरीदेंगे आज नहीं ऐसा कहने पर वह कल की अवधारणा को समझते हैं एवं दूसरे दिन याद दिलाते हैं कि आज उनको खरीदना है. यहां पर बच्चे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंध स्थापित करके आने वाले दिन को याद रखने की और समझने की कोशिश करते हैं. पिछले दिनों अगर कोई रोचक घटना हुई हो कोई दुर्घटना हुई हो तो भी उसे जरूर याद रखते हैं क्योंकि इन घटनाओं के साथ वह कुछ अंतर संबंध स्थापित कर पाते हैं. अतः हमें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को उनकी समय संबंधी अवधारणा को समृद्ध करने की जरूरत है इसके लिए हम विभिन्न गतिविधियां कर सकते हैं जो कि भूत भविष्य वर्तमान उनसे संबंधित हो इसके लिए हम काल्पनिक स्थितियों की भी रचना कर सकते हैं बच्चों से चर्चा परिचर्चा शुरू करने के लिए जैसे सुबह का समय है तो सुबह के समय में हम क्या-क्या काम करते हैं बताओ तो. ऐसी चर्चा से बच्चों में अच्छी आदतों पर उनकी समझ बनेगी एवं अच्छी आदतों के विकास में भी मदद मिलेगी हम बच्चों से आने वाले कल एवं बीते हुए कल पर भी चर्चा कर सकते हैं विभिन्न बातों की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट कर सकते हैं जैसे कि कल आपने कौन सी सब्जी खाई थी आप कल  कहीं जा रहे हो क्या? अच्छा बताओ रात में क्या करते हैं दोपहर में क्या करते हैं. आप लोग गर्मियों की छुट्टी में क्या-क्या करेंगे कल कहां गए थे इत्यादि. इससे बच्चों में यह समझ बनेगी कि समय को भी मापा जा सकता है. समय को माफ करने के लिए बच्चों में कुछ अवधारणा विकसित हो इसके लिए हम और भी बहुत सारी गतिविधियां कर सकते हैं जैसे कि बच्चों को समय का अंदाजा लगाने के अवसर दें उनसे बहुत सारे प्रश्न करें चर्चा करें जैसे कि पहले तुम खाना खत्म करोगे या फिर मैं पहले बर्तन साफ कर लूंगी. से बच्चों को पता चलेगा कि समय  गतिशील होता है. मैं 10 तक गिनती आप तब तक क्या यह काम खत्म कर सकते हैं या नहीं कर सकते? एक बाल्टी के भरते तक आप कौन-कौन से काम कर सकते हैं इत्यादि. ऐसे प्रश्नों से बच्चों के तर्क शक्ति का विकास होगा एवं उन्हें अंदाजा लगाने का भी अवसर प्राप्त होगा साथ ही ऐसी गतिविधियों से बच्चों को अपने पूर्व अनुभव का भी उपयोग करके अंदाजा लगाने के बहुत सारे अवसर मिलेंगे. समय के साथ गति की अवधारणा भी जुड़ी रहती है इसे बच्चे धीरे-धीरे समझेंगे जैसे धीमी गति और तेज गति गति की अवधारणा साथ चलती है हम इसे  अलग नहीं कर सकते. अतः बच्चों में भी समय भगति की अवधारणा सांसद विकसित करने की आवश्यकता है. कुछ इस प्रकार की नई बच्चों को गतिविधि करवाई जा सकती है कि दो बच्चों में से  1 से कहे कि आप इस जगह से धीरे-धीरे चलकर वहां तक जाएंगे  .  दूसरे बच्चे से कहे कि आप यहां से तेज चलकर वहां तक जाएंगे. फिर दोनों को एक ही समय पर एक को धीरे और एक को तेज गति से चलने के लिए कहें और फिर उनसे पूछे कि वहां तक पहले कौन पहुंचेगा. बाकी बच्चों से भी यह पूछ सकते हैं जो उनको चलते हुए देखेंगे उनसे. कि इन दोनों में सबसे पहले वहां कौन पहुंचेगा और बाद में कौन पहुंचेगा.इससे समय और गति की अवधारणा विकसित होगी. साथ ही तुलना करेंगे एवं पूर्व अनुभव पूर्वानुमान लगाने की कौशल का विकास कर पाएंगे.
 बड़े बच्चों के लिए चांद का घटना बढ़ना आकर्षक विषय हो सकता है. समय और गति की अवधारणा को विकसित करने के लिए साथ ही कैलेंडर से संबंधित विभिन्न गतिविधियां करा सकते हैं. बीजों से पौधों तक का सफर की गतिविधि भी करा सकते हैं जिससे कि समय के साथ परिवर्तन को भी बच्चे देख पाएंगे एवं पौधों की गति विकास की गति को भी समझने में उन्हें मदद मिलेगी. दैनिक जीवन की घटनाओं को कार्ड में अंकित करके घटनाओं को करम से जमाने के लिए कहेंगे तो भी यह बच्चों के लिए काफी मजेदार तरीका होगा. ऐसी विभिन्न गतिविधियों के द्वारा समय गति और परिवर्तन की अवधारणाओं को बच्चों में बहुत अच्छी तरीके से पुष्ट किया जा सकता है.


👉 2 स्थान संबंधी अवधारणा  :- कोई भी वस्तु स्थान गिरती है यह विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्पष्ट होना चाहिए बच्चों को. हम बच्चों से स्थान संबंधी अवधारणाओं के लिए बहुत सारी छोटी-छोटी गतिविधि करा सकते हैं. जैसे अंदर आ जाओ आप बाहर जाइए. उसे अंदर ले कर आओ कौन-कौन बाहर गया है. इस तरह से प्रश्न बच्चों के सामने पूछेंगे तो बच्चों को अंदर बाहर की अवधारणा अच्छे से स्पष्ट हो जाती हैं. किसी वस्तु या किसी बच्चे की तरह तरफ इंगित कर के भी हम बच्चों से चर्चा कर सकते हैं कि वह बच्चा मुझसे कितनी दूर में है या वह बच्चा उस बच्चे से कितने पास में है इस तरह से वहां सारे प्रश्न बच्चों से करना चाहिए ताकि उन्हें स्थान संबंधी अवधारणाओं को समझने में मदद मिले. कौन सी किताब किस किताब के ऊपर रखी है कौन सा चित्र किसके ऊपर रखा है पेड़ कहां पर लगा लगा है फल कहां लगे हैं पत्ते कहां गिर रहे हैं इससे भी बच्चों को स्थान संबंधी अवधारणाओं को बहुत अच्छे तरीके से स्पष्ट किया जा सकता है.


👉3.  माफ की अवधारणा :- माफ की अवधारणा गणितीय संकल्पना में अपना विशिष्ट स्थान रखती है वह आपके इकाई की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए. विभिन्न अमानत   इकाइयों द्वारा ली गई माप की तुलना करना संभव नहीं है. इससे बच्चों में मानक इकाइयों और अमानत इकाइयों की समझ विकसित होगी. इसके लिए हम विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे गतिविधि भी करवा सकते हैं एवं चर्चा के माध्यम से भी उनमें माफ संबंधी अवधारणा को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी. जैसे कब से बाल्टी भरने में कप मानक इकाई ना होते हुए भी माप को दर्शाता है. यहां अमानत है. इसी प्रकार का कदम,बित्ता, इत्यादि अमानक इकाई व्यक्ति की ऊंचाई लंबाई पर निर्भर करता है आता है यह माना इकाइयां व्यक्ति विशेष के अनुसार अलग-अलग होंगी यह बच्चों को समझने का पर्याप्त अवसर और गतिविधियां  दें. बच्चों को किसी भी चीज को सेंड से मापने की औपचारिक अवसर प्रदान करें.  बच्चे अक्सर अपने बोलचाल की भाषा में माफ संबंधी विभिन्न शब्दावली यों का प्रयोग करते हैं जैसे मेरी पेंसिल छोटी है मेरी पंच पेंसिल बड़ी है मैं उससे लंबा हूं मेरी दीदी मुझसे बड़ी है. क्योंकि बच्चे आपस में इन चीजों का तुलना किसके द्वारा परस्पर संबंध स्थापित करते हैं. बच्चों को और भी बहुत सारी गतिविधियां करवाई जा सकती है माफ की अवधारणा  स्पष्ट करने के लिए. जैसे कि कमरे की लंबाई मापना, मैदान को कदमों से मापना, बच्चों की ऊंचाई मापने इत्यादि. आप की कॉपी को ढकने के लिए लकड़ी के कितने गुटको की जरूरत होगी क्या आप बता सकते हैं क्या आप कॉपी के ऊपर में गुटके जमा कर देख सकते हैं. इत्यादि प्रश्नों से बच्चों को क्षेत्रफल की अवधारणा एवं चीजें स्थान गिरती है यह अच्छे से समझ में आने लगेगी धीरे-धीरे. बच्चों से खेल खेल में चीजों को तौलनें की गतिविधि कराएं तो बच्चों को यह अनुभव होगा कि यह जरूरी नहीं है कि जो चीजें ज्यादा जगह देती है वह ज्यादा भारी होगी. यह सब चीजें बच्चे अपने अनुभवों से सीखते हैं बच्चों को तुलना करने के पूर्व अनुमान लगाने के तर्क करने के विभिन्न अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए जब बच्चों द्वारा कमरे को कदमों से मारते तो चर्चा करें कि उसे ज्यादा कदम क्यों चलने पड़े आपके भैया को कम कदम क्यों चलने पड़े . दोनों के माप अलग-अलग क्यों आए इससे बच्चों को तर्क करने के साथ-साथ तुलना करने की भी शक्ति का विकास होगा एवं उन्हें किसी मानक इकाई की तरफ सोचने का अवसर मिलेगा.  इस प्रकार से बच्चों के साथ विभिन्न गतिविधिया करने से बच्चों के संज्ञानात्मक विकास मैं गणितीय अवधारणा का विकास होता है. अतः विभिन्न गतिविधियों एवं चर्चा के माध्यम से बच्चों को चैन से सीखने के बहुत सारे अवसर उपलब्ध करवाए जाने चाहिए.



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 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली


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