प्रतिवेदन श्रंखला 5

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प्रतिवेदन

14/5/2021

ECCE पर विशेष चर्चा

 प्रेरणा स्त्रोत एवं प्रशिक्षक  आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी


 विषय :- शाला पूर्व बच्चों में संज्ञानात्मक योग्यता का विकास.


 प्रशिक्षण की इस कड़ी में आदरणीय श्री मिश्रा सर जी के द्वारा चर्चा की शुरुआतमें बताया गया.छत्तीसगढ़ की संकल्पना ओं के साथ बच्चों का बेहतर ज्ञानात्मक विकास सुनिश्चित करना होगा.

 चर्चा के मुख्य बिंदु इस प्रकार से रहे.

👉 आकृति  :- बच्चों को विभिन्न प्रकार की आकृति को समझने में उनकी मदद करें. इसके लिए बहुत सारे गतिविधियां कराई जा सकती है जैसे कि वर्गीकरण के माध्यम से बच्चों को विभिन्न आकृतियों को पहचानने और उनका वर्गीकरण करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है इसके लिए हम विभिन्न प्रकार के पत्थर पेन पेन के ढक्कन या बोतल वगैरा के ढक्कन मोती कंचे पत्ति फूल इत्यादि की तरफ उनका ध्यान दिला सकते हैं. बच्चों के साथ देती विधि करते समय पहले तो विभिन्न आकृतियों के समूह बनाकर सभी बच्चों को दिखाएं एवं बच्चों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें. हम बच्चों से पूछ सकते हैं कि कमरे में दिखाई देने वाले गोलिया बेलनाकर आकृतियों को ढूंढ कर बताइए कौन-कौन सी चीजों की आकृति गोरिया बेलनाकार है बच्चों से उनका नाम पूछे. यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि बच्चों को आकृति के नाम ना बताएं अगर वह पूछे तो ही बताएं लेकिन आकृति के नाम रटने पर जोर ना दें

👉 आकार :- आकार से यहां पर अर्थ है वस्तु का आकार तुलनात्मक रूप से छोटा बड़ा बीच का मध्यम इत्यादि के बारे में बच्चों को बोलने बताने के लिए प्रेरित करना. इन गतिविधियों के लिए हम बहुत सारी चीजों को ले सकते हैं जो बच्चों के आसपास उपलब्ध होती है जो बच्चों के लिए सार्थक एवं अर्थ पूर्ण हो. जैसे टहनियां, प्याले पत्थर छड़ी, दीदी ना कार के फूल छोटे बड़े. बच्चों से गतिविधि करा सकते हैं कि आंकड़ों की तुलना करके देखें उन्हें क्रम से रखें एवं इस समूह में सबसे बड़ी कौन सी है सबसे छोटी कौन सी है. इस तरह के प्रश्न चर्चा के दौरान बच्चों से करते रहें. यदि बच्चे आंकड़ों की तुलना करते हैं और उन्हें तुलनात्मक रूप से देखते हुए क्रम से रखते हैं बड़ी छोटी लंबी इत्यादि की पहचान करते हैं और उस क्रम में आने वाली आकृति को पहचान कर उसे चुनकर उठाते हैं तो हम कह सकते हैं कि बच्चों में आकार की संकल्पना अर्थात अवधारणा बहुत अच्छे से विकसित हो रही है. उससे लंबा उससे छोटा उससे नाटा सबसे बड़ा सबसे छोटा जैसे तुलनात्मक शब्दों का प्रयोग करें बच्चों से चर्चा करने के दौरान. बच्चों को सेंड से समझ कर देख कर बताने के लिए कहे मिलाने की अगली गतिविधि प्रकार से कर सकते हैं. जैसे सबसे लंबी टहनियां समूह में से ढूंढ़कर निकालिए. इसकी तरह सभी लंबी टहनियां इसकी तरह सभी प्याले इसी तरह सभी लंबी डंडिया इत्यादि को समूह से छांट कर निकालने के लिए कहे. बच्चों का ध्यान गणिती शब्दावली यों की तरह का विशेष रूप से आकृष्ट करें.विभिन्न विभिन्न आकार की वस्तुओं के समूह बनाए वह उन्हें स्वयं ही गतिविधि करने दे बच्चों के द्वारा किए किए गए सामूहिक करण का आधार क्या है इसके बारे में उनसे चर्चा अवश्य करें.

👉  गिनती की अवधारणा :- मिलाना वर्गीकरण करना प्राणी करण करण 11 की संगति में रखना इत्यादि गिनती की पूर्व अवधारणाएं हैं. इसे उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया गया कि शिक्षक ने 10 कंकर को लाइन से जमा कर रख दिया और पंकज को कंकर गिनने के लिए कहा तो तीन बार गिनने पर भी पंकज ने कंकड़ की संख्या हर बार अलग बताएं. इसका कारण था एक-एक की संगति की अवधारणा स्पष्ट नहीं होना. पंकज कहीं किसी पत्थर को छुए बिना गिनती बोलता था तो  किसी पत्थर को छू कर दो बार गिनती बोलता था .बच्चों के साथ गतिविधि करवाते समय उनके दैनिक जीवन के अनुभवों से गति निधि को शामिल कर सकते हैं जैसे दही खाने वालों के लिए एक-एक प्लेट यहां पर बच्चा एक खाने वाले के साथ एक प्लेट की संगति देखते हैं. इसे चित्र द्वारा भी बच्चों के साथ गतिविधि को करवा सकते हैं जैसे कि तीन खरगोश के चित्र के साथ तीन घायलों के चित्र का मिलान करवाया जा सकता है ऐसी गतिविधि से बच्चों को एक गाजर और एक खरगोश की संगति को समझने का अवसर मिलेगा. इस प्रकार से विभिन्न गतिविधियों के द्वारा बच्चों में गणित पुरवा और धारणाओं का गण एवं गणितीय शब्दावली का विकास होगा. जब हम बच्चों को बिना तर्क के गिनती सिखाने की कोशिश करते हैं तो बच्चे यह नहीं समझ पाते कि यह दो क्या है यह तीन क्या है. अतः बच्चों को इसके लिए बहुत सारी गतिविधियां  करवाने की जरूरत है. दूसरी संख्या पहली संख्या से मात्र एक ज्यादा होती है यह स्पष्ट होना बच्चों में बहुत जरूरी है. इसलिए एक-एक की संगति से परिचित कराना बहुत महत्वपूर्ण है.
👉 संख्या की अवधारणा :- विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को यह स्पष्ट करें कि एक में एक और संग कर दिए तब दो हुए यह स्पष्ट करें. एक वस्तु दिखाकर उसके साथ एक लिखें. जैसे एक  एक कंकड़ एक पत्थर इत्यादि उन्हें दिखाकर पूछे कितने फूल है एक फूल है कितने पेन हैं एक पेन हैं. जब बच्चा एक फूल एक पति कहे तो साथ में एक को लिखकर प्रदर्शित करें जिससे कि बच्चा यह समझे कि 1 वस्तु  के लिए हम  एक इस प्रकार से लिखते हैं .  इसी प्रकार एक  फूल के साथ एक फूल और रख दिए तब दो फूल हो गए  यह स्पष्ट करें यहां पर बच्चों को उंगली रखकर गिन कर दिखाएं 1 और 1हो गये 2.  इन संख्या से संबंधित गतिविधियों को विभिन्न चीजों के साथ कई कई बार करवाएं हमेशा अलग-अलग चीजों के साथ विभिन्न प्रकार से गतिविधि कराएं जैसे कभी कंकड़ के साथ कभी मोती के साथ कभी पत्तों के साथ इत्यादि. संख्या लिखते समय उसके साथ में संगत करने के लिए चीजों को दिखाकर गिन कर रखना बहुत जरूरी है. जैसे संख्या 2 लिख रहे हैं तो उसके साथ में दो कंकड रखे. उन से चर्चा करें कि आपको यहां पर 2:00 की संख्या में कौन-कौन सी चीजें दिख रही हैं क्या आप साइकिल में दो चक्के देख पा रहे हैं. आपके शरीर में कौन कौन से ऐसे अंग है जो दो हैं जैसे दो हाथ है दो पैर हैं दो कान हैं इत्यादि. संख्या के साथ काम करते हुए बच्चों का ध्यान आसपास की वस्तुओं की संख्या को गिनना और छूकर बताना इस तरफ आकृष्ट करवाते रहें. इसी प्रकार से आगे की संख्या तरफ  बढ़ते जाएंगे जब बच्चे एक संख्या को पूर्ण रूप से समझ जाए तब.




 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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