प्रतिवेदन श्रंखला 12
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प्रतिवेदन
20/5/2021
ECCE पर विशेष चर्चा एवं प्रशिक्षण
प्रेरणा स्त्रोत एवं प्रशिक्षक :- आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी
मंच संचालन :- आदरणीय श्वेता मैम जी
विषय :- शाला पूर्व बच्चों में भाषाई विकास.
चर्चा के मुख्य बिंदु इस प्रकार से रहे.
👉 1. दृष्टि मुल्क प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण.
👉 2. बोल बोल कर पढ़ना.
👉 3. देर से बोलना शुरू करना.
हमने देखा कि शालापूर्व बच्चों को पठन पूर्व बहुत सारी गतिविधि करवाई जानी चाहिए. जिससे कि बच्चों में भाषाई कौशल का विकास बेहतर तरीके से हो सके. इसी क्रम में आज ऐसी बहुत सारी गतिविधियों की चर्चा की गई जो बच्चों के लिए पठन पूर्व पढ़ना पर आधारित है.
👉 1. दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण :- किसी चित्र या वस्तु के छोटे से छोटे अंश को देख पाना पठन पूर्व पठन है इसे दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण कहते हैं. जब बच्चे किसी चित्र, वस्तु,वर्ण,अक्षर,शब्द इत्यादि में समानता एवं समानता को देख पाते हैं एवं उनको अभिव्यक्त कर पाते हैं तो यह दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण की समझ बच्चों में आ गई है यह मानेंगे. जोकि पठन पूर्व की एक विशेष पठान प्रक्रिया है .बच्चों को ऐसी बहुत सारी गतिविधि दी जानी चाहिए जिनमें कि उन्हें सूक्ष्म से सूक्ष्म अंश को देखकर याद रख पाने एवं उसने अंतर को बच्चा पहचान सके इसके लिए बहुत सारी गतिविधि बच्चों के साथ की जा सकती है. बच्चों में दृष्टि मुल्क प्रत्यक्षीकरण एवं एवं विभेदीकरण का गुण विकसित करने के लिए हमें ऐसी क्रिया करनी चाहिए जिसमें 4 से 5 वस्तुओं का एक समूह बनाए जहां चार चीजें सभी एक दूसरे से संबंधित हो और पांचवा चीज उसमें उन सब से अलग हो. अगर उस समूह में बच्चा इस अलग को पहचान लेता है ढूंढ पाता है तो दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण और विभेदीकरण पर उस बच्चे की पकड़ मजबूत होती जाएगी. इससे बच्चे की तर्क करने की शक्ति विकसित होगी. इस गतिविधि से बच्चे की स्मरण शक्ति भी तीव्र गति से बढ़ेगी.जैसे :-
👉 1. 🌺🌺🌼🌺🌺
2.🍫🍫🍫🍫🍭🍫
3.🤴🤴🤴👸🤴🤴
4.😊😋😊😊😊
5. 🎉🎉🎉🎊🎉
6.🥕🥕🥕🌽🥕
7.😐😶😶😶😶
8.⚾️⚾️🥎⚾️⚾️
9.⏹️⏹🔼⏹️⏹️
10. य य य प य
11. म म म न म
12. ब ब ब व ब
13.🤜🤜🤜🤛🤜
14. च च च ज च
15. 696666
17.8888988
18.👆👇👆👆
19.🐰🐰🐭🐰🐰
20. 🐂🐂🐂🐃🐂
21. 🐪🐪🐫🐪🐪
इस प्रकार की गतिविधियों में बच्चे प्रत्यक्ष रूप से देखते हुए दीदी ने चीजों में समानता एवं असमानता को पहचानेंगे और याद रखेंगे .ऐसी गतिविधियों से बच्चे सामने में इस तरह की अनेक गतिविधियां बच्चों के साथ करें जिससे कि बच्चों में दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण के बहुत से अनुभव हो जाए.
👉 2. बोल बोल कर पढ़ना :- बच्चों को पठान पुरवा पढ़ने के अवसर देने के लिए उन्हें चित्र भरी किताबें देना चाहिए जिसमें कि बच्चे चित्रों को देख देखकर समझ कर पढ़ें और उसका अर्थ गढ़ने की कोशिश करें. जिससे कि उन्हें अंदाजा लगाकर पढ़ने का गुण विकसित होगा साथ ही बच्चों के सामने किताब पढ़ते समय उंगली रख रख कर जोर जोर से बोल कर पढ़ना चाहिए जिससे कि बच्चों को अंदाजा होता है कि देवनागरी लिपि को किधर से किधर पढ़ते हैं एवं उंगली रख रख कर पढ़ते हैं. ऊंची आवाज में पढ़ने से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चों को आकर्षक लगने वाली चित्र भरी कहानियों का संग्रह करके रखना चाहिए हमें. हमारे स्कूलों में मुस्कान पुस्तकालय का उपयोग हम को अधिक से अधिक करना चाहिए. एवं पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों को बच्चे की पहुंच में होना बहुत जरूरी है.
👉 3. देर से बोलना शुरू करने वाले बच्चे :- हमारे स्कूलों में कई बच्चे ऐसे होते हैं जो कक्षा में अधिकतर समय चुप रहते हैं. कई ऐसे बच्चे भी होते हैं जो बोलना बहुत देर से शुरु करते हैं इसके पीछे हमें कारण क्या है इसे समझने की कोशिश करना चाहिए. जैसे कि कई बच्चों को तालु की समस्या होती है. कई बच्चों को श्रवण संबंधी समस्या होती है जिससे कि वे सुन नहीं पाते ठीक से इसलिए बोलना भी जल्दी शुरू नहीं करते. बच्चों को ज्यादा बोलने का मौका नहीं दिया जाता, ऐसे घरों से आने वाले बच्चे भी देश से बोलना शुरू करते हैं या फिर ज्यादातर चुप ही रहते हैं. कई बच्चे डरते हैं इसलिए नहीं बोल पाते. कई बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए भी वह देर से बोलना शुरू करते हैं या बहुत कम बोलते हैं. हमें बच्चों की इस समस्या को पहले समझना होगा उसके बाद उनके परिवार के अभिभावकों से भी बात करनी होगी. ऐसे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता भी है. ऐसे बच्चों को अन्य बच्चों के साथ अंतर क्रिया करने के पूरे अवसर देने चाहिए एवं इनके लिए कुछ विशेष प्रकार की एक्टिविटी भी करनी चाहिए.
ऐसे बच्चों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हमें, इनके स्तर की सरल से सरल गतिविधि करवानी चाहिए ताकि यह बोलने के लिए प्रेरित हो एवं उनमें आत्मविश्वास का संचार हो.
यह विशेष प्रशिक्षण बहुत ही ज्ञानवर्धक और उपयोगी रहा. इस विशेष प्रशिक्षण के लिए आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी को बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏. सफल मंच संचालन के लिए, आदरणीय श्वेता मैम जी को बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद🙏.
लोकेश्वरी कश्यप
शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर
जिला मुंगेली
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