प्रतिवेदन श्रंखला 11

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प्रतिवेदन

19/5/2021

ECCE पर विशेष चर्चा एवं प्रशिक्षण


 प्रेरणा स्त्रोत एवं प्रशिक्षक :- आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी


 मंच संचालन :- आदरणीय ज्योति सक्सेना जी

 विषय   :- शाला पूर्व बच्चों में भाषाई कौशल का विकास


 3 से 6 वर्ष के शाला पूर्व बच्चों  में भाषाई कौशल के विकास  हेतु आज के प्रशिक्षण में निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई.

👉 1.  भाषा कौशल के विकास में पहेलियों का उपयोग 

👉 2.  चित्रों के वर्णन के  द्वारा बच्चों में भाषा कौशल का विकास.

👉  3. आंखों व हाथों के समन्वय के लिए विभिन्न गतिविधि.
 पहेलियां 
👉 4. पठन की तरफ ( लेबलिंग  )

👉🤔  1. पहेलियां :- पहेलियां हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. पहेलियां हर वर्ग के लोगों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान का स्त्रोत भी होती हैं. सहेलियों से हमारा दिमाग सक्रिय रूप से काम करने लगता है. अतः इसका उपयोग बच्चों के भाषाई कौशल के विकास ने भी किया जा सकता है. सहेलियों भाषा विकास के साथ ही बच्चों के दिमाग को भी सक्रिय करने का काम करती हैं. बच्चों को सोचने के लिए तर्क करने के लिए प्रेरित करती है.  बच्चों के लिए पहेलियां बनाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान भी रखना पड़ेगा.1. पहेलियां बच्चों के स्तर के अनुसार हो.
2. पहेली का विषय उनके आसपास एवं उनके दैनिक जीवन से संबंधित हो.
3.  सरल और छोटी हो.
4. उनके आसपास उपलब्ध हो तो ज्यादा बेहतर है.
5. बच्चों के पूर्व ज्ञान से संबंधित हो.
6. ऐसी चीजों को पहेलियों के रूप में शामिल करें जिससे बच्चे जानते हो, देखे हो और जिनका अनुभव किया हो.
7. आस पास उपलब्ध चित्र कार्ड वस्तु चीजें, इत्यादि की पहेलियां पूछे ताकि बच्चों को अंदाजा लगाने में सुविधा हो. और सही उत्तर पर उनका आत्मविश्वास बढ़े.

1. उदाहरण:- गोल गोल है,
लाल लाल है,
भरा हुआ है रस से,
नाम बताओ झट से
उत्तर - टमाटर

2. लंबी है नाक मेरी,
 छोटी है आंख.
 है खूब मोटा ताजा,
नाम बताओ बन जाओ राजा.

उत्तर -  हाथी 

 पहेलियां बनाने व पहेलियां बुझाने के समय बच्चे को निम्नलिखित लाभ होंगे.
1. दिमाग की सक्रियता बढ़ेगी.
2. अपने आसपास की चीजों का बारीकी से अवलोकन करने की क्षमता उत्पन्न होगी.
3. तर्कशक्ति का विकास होगा.
4. अंदाजा लगाने की कौशल  का विकास होगा.
5. अपने विचारों को शब्द बद्ध व क्रमबद्ध करना सीखेंगे. जिससे उनमें वर्णनात्मक व अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास भी होगा.
6. आनंद की अनुभूति होगी.
7.  पहेलियां बुझने व पहेलियां पूछने से उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा.

👉  2. चित्रों के वर्णन के द्वारा बच्चों में भाषाई कौशल का विकास :- बच्चों को चित्र दिखाकर उसका वर्णन करने के लिए प्रोत्साहित करें. यह यह पठन पूर्व की गतिविधि है. अगर बच्चा शुरू में बता नहीं पाता है तो उस से प्रश्न पूछे. जैसे कि इस चित्र में तुम्हें क्या-क्या दिख रहा है? यह दोनों क्या बातें कर रहे होंगे?  कौन सा खेल खेल रहे हैं? तुम होते तो  अपने दोस्त से क्या बात कर रहे होते? इस गतिविधि के लिए विभिन्न अवसरों की चित्र विभिन्न चीजों के चित्र का उपयोग किया जा सकता है. जैसे कि मेले बाजार शादी इत्यादि का चित्र. खेलते हुए बच्चों का चित्र काम करते हुए किसानों या जानवरों के चित्र.  चित्र साले जो बच्चों की रुचि के अनुसार उनके देखे हुए एवं उनके आसपास से संबंधित हो. जो बच्चों के लिए, अर्थपूर्ण एवं उनके संदर्भों से लिए गए हो.  जो रंगों से भरा हो.
 चित्रों का वर्णन करने से बच्चों को निम्नलिखित लाभ होते हैं.
1. उनकी अवलोकन क्षमता में वृद्धि होती है.
2. पठनपूर्व पढ़ने के कौशल का विकास होता है.
3. तर्कशक्ति का विकास.
4. भाषाई कौशल व सृजनात्मकता  का विकास.
5. कल्पनाशीलता का विकास.
6.  पूर्व ज्ञान का उपयोग करना सीखेंगे.
7. अपने विचारों को शब्द बद्ध व क्रमबद्ध करना सीखेंगे.
8.  आनंद मिलेगा.
9. अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करेगा जिससे उनमें जीवन कौशल  धैर्य के गुण का विकास होगा.
10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी.

👉 3. आंखों व हाथों के बीच समन्वय :- यह गतिविधि लेखन पूर्व की गतिविधि है. बच्चों को लिखना सिखाने से पूर्व, पर्याप्त लेखन पूर्व गतिविधि करवाने की जरूरत होती है. जिससे कि बच्चों के हाथों उंगलियों एवं कलाइयों की मांसपेशियों का पर्याप्त व्यायाम हो एवं उनमें लचीलापन बना रहे. जिससे कि आगे चलकर उन्हें लेखन में सहायता मिलेगी एवं उनकी  राइटिंग भी बहुत अच्छी बनेगी. अतः अतः बच्चों को लेखन पूर्व उनकी हाथ और आंखों के समन्वय बिठाने के लिए बहुत सारी गतिविधियां करवाई जानी चाहिए. कुछ गतिविधियां इस प्रकार से हो सकती हैं.

1. विभिन्न आकृतियों के ऊपर बाहरी किनारे पर कंकड़ पत्थर फूल इत्यादि रखनें के लिए कहना.

2. बोतल में ढक्कन लगाने व खोलने की गतिविधि बार-बार करवाना.
3.  शर्ट में बटन लगाना.
4. फलिया या मटर छीलना.
5. फर्श पर बिखरे मोतियों या बीजों को उठाकर डिब्बे में रखने के लिए कहना.
6. चोटी बनाना.
7.  एक हाथ के उपयोग से कागज के गोल लड्डू   बनाना.
8.  जूते के फीते बांधना.
9. एक बर्तन से दूसरे बर्तन मे कप की मदद से पानी डालने के लिए कहना.
 10.गीली मिट्टी से खिलौने बनाने के लिए कहना. इसी प्रकार से और भी छोटी-छोटी गतिविधियां दी जा सकती है जिससे कि बच्चों को आनंद भी आए और उनके हाथों व आंखों के बीच समन्वय भी बहुत अच्छे से हो.
👉 लाभ  :-  1. आनंद की अनुभूति.
2.  एकाग्रता बढ़ती है.
3. हाथों आंखों के बीच बेहतर समन्वय होता है साथ ही मस्तिष्क के साथ भी बेहतर समन्वय बैठता है.
4.  कार्य क्षमता का विकास.
5. कल्पनाशीलता  का विकास.
6. उंगलियों कलाइयों, को मजबूती मिलेगी एवं लचीलापन बढ़ेगा.
7. आगे चलकर लेखन कौशल में, सुंदर अक्षरों को करने में मदद मिलेगी.


👉  4. लेबलिंग :-  इस गतिविधि के माध्यम से बच्चे पठनपूर्व  पढ़ने के कौशल अर्जित करते हैं.  इस गतिविधि के लिए विभिन्न वस्तुओं के ऊपर उनके नाम लिख कर चिपका दिए जाते हैं. चित्रों के नीचे उनका नाम लिख दिया जाता है. जब बच्चे बार-बार इन चीजों के साथ लिखे हुए चित्रों को अक्षरों को शब्दों को  देखता है . तो बच्चे चीजों के साथ-साथ उन अक्षरों व उन शब्दों को भी पहचानने लगते हैं. बच्चे अनुमान से उन अक्षरों, उन शब्दों को पढ़ पाते हैं. इसके लिए लेवलिंग के लिए उन चीजों का चयन करें जो बच्चों के आसपास हर समय होता है जिसके संपर्क में बच्चे हमेशा रहते हैं., जब बच्चे इन चीजों इन चित्रों के नामों को पहचानने और अनुमान से पढ़ने में पारंगत हो जाए तब आगे की गतिविधि करें. आगे की गतिविधि सुविधानुसार अलग अलग तरीके से करवाई जा सकती है. जैसे कि आज तक जितनी भी चीजें हैं उन सब का नाम लिखकर पर्ची बनाकर किसी थैले या डिब्बे में भर देंगे. बारी बारी से बच्चों को बुलाएंगे और एक पर्ची निकालने के लिए कहेंगे तथा उस पर्ची में जो लिखा है, उसे उसके सही चित्र या वस्तु की नीचे चिपकाने के लिए कहेंगे. अगर बच्चे इस गतिविधि को बहुत अच्छे तरीके से कर लेते हैं तब हम समझ लेंगे कि बच्चे 3 अक्षरों को इन शब्दों को बहुत अच्छे तरीके से अर्थ पूर्ण रूप में समझ गए हैं. इसी प्रकार से विभिन्न चीजों के चित्रकार एवं उनके नामों को मिक्स करके रख देंगे और बच्चों को उन को मिलाने के लिए कहेंगे.


 इस प्रकार से हम विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शालापूर्व बच्चों में पठन कौशल, लेखन कौशल  का विकास कर सकते हैं. बच्चों को सुनने वह बोलने से संबंधित पर्याप्त गतिविधियां करवानी होगी.  तभी बच्चे अच्छी तरह से और सही अर्थों में सुनना बोलना पढ़ना और लिखना सीख पाएंगे. बच्चों में इन कौशलों के समुचित विकास के लिए हमें विभिन्न प्रकार की इनसे संबंधित गतिविधियों को अपनाने की जरूरत है. यह सभी गतिविधियां बच्चे के सीखने के लिए आधार का काम करेंगी. जिससे कि आगे चलकर बच्चे में सुनने बोलने पढ़ने और लिखने का पर्याप्त कौशल विकसित होगा,एवं बच्चा सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होगा. इसके लिए हमें बच्चों के स्तर को को ध्यान में रखकर .उनके परिवेश उनके खेल गीत कहानी पहेली चित्र इत्यादि जो भी उनके आसपास हम को उपलब्ध मिले उन सबको संसाधन के रूप में हमें उपयोग करना आना चाहिए.  हमें भी यह कौशल सीखने और अपनाने की जरूरत है.


 इस विशेष प्रशिक्षण के लिए आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी को बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏।  सफल मंच संचालन के लिए आदरणीय ज्योति सक्सेना मैम को बधाई और धन्यवाद🙏.


 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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