प्रतिवेदन श्रंखला 10

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प्रतिवेदन

ECCE पर विशेष प्रशिक्षण एवं चर्चा

दिनाँक -18/05/2021

प्रशिक्षक -श्री सुनील मिश्रा सर

मंच संचालन - श्रीमती ज्योति सक्सेना

आज का विषय-शाला पूर्व बच्चों में भाषाई विकास

3से 6 वर्ष के बच्चों में भाषा कौशल का विकास करने के लिए बातचीत ,कहानी ,गीत, अभिनय,आदि को कक्षा में पर्याप्त स्थान देना चाहिए ।जब बच्चे अपने विचार, भावनाओ को बिना किसी झिझक के अभिव्यक्त कर पाएंगे ।तब वे सीखने सिखाने की प्रक्रिया का आनंद ले सकते हैं।
शाला पूर्व बच्चों में भाषाई विकास में पहेलियां, चित्र वर्णन की उपयोगिता के साथ ही सूक्ष्म क्रियात्मक समन्वय के लिए गतिविधियां  के बारे में आज के प्रशिक्षण में बताया गया ।वस्तुओं के नाम  के लिखित रूप को पहचानने  के लिए भी अनेक गतिविधियों की  चर्चा हुई।  
पहेलियाँ-
बच्चों का भाषाई विकास कैसे किया जाए  इसकी विवेचना की गई।बच्चों के विकास में कल की चर्चा को आगे बढ़ाते हुये मिश्रा सर ने आज  पहेलियाँ किस प्रकार के भाषा विकास के साथ ही उनके दिमाग को भी सक्रिय करता है यह बताया।पहेलियां  बच्चों को सोचने के लिए प्रेरित करती हैं। पहेली बुझना और पहेली बनाना दोनों ही  उनके लिए अच्छी गतिविधि है।बच्चों की पहेली का विषय उनके आसपास से व पूर्व ज्ञान से सम्बंधित हो ।सरल हो । बच्चे जब पहेली बनाये तो जरूरी नही की वे कविता के रूप में ही हो।बच्चे पहेली को दो छोटे वाक्यो में भी पूछ सकते हैं।बाद में इसका स्तर थोड़ा सा कठिन किया जा सकता है। कुछ पहेलियों के उदाहरण इस प्रकार है-

 1.गोल गोल  हु ,लाल लाल
भरा हुआ हूं रस से, नाम बताओ झट से।

2.  लंबी है नाक मेरी,छोटी है आँख
 खूब हु मोटा ताजा ,नाम बताने वाला बनेगा राजा । 

पहेलियां पूछने के लिए निम्नलिखित गतिविधियां अपनाई जा सकती हैं-

 1.बच्चों के सामने चित्रों के कार्ड रख कर  उनमें से  किसी एक पर पहेली पूछे ।
2. बहुत सारी चीजों के चित्र रख दे और  उनमे से किसी एक चीज के बारे में पहेली पूछे तथा यह कहे कि जिस बच्चे के पास इस पहेली से संबंधित चित्र है वह बताएं।
 बच्चों को पहेली बनाने दे। इससे उनमें अभिव्यक्ति कौशल का विकास  होगा। अपने विचारों को शब्दो  में व्यक्त करना सीख पाएंगे ।
चित्र का वर्णन -
बच्चों को चित्र दिखाकर  उनके बारे में बताने के लिए कह सकते हैं। उन चित्रों को देखकर उनके मन में क्या विचार आता है उसे वे अभिव्यक्त करना सीखेंगे ।अपने विचारों को शब्द देना सीखेंगे। इसके लिए अखबार या मैगजीन के चित्र को काटकर पुट्ठे में चिपका ले ।फल सब्जी जानवर और क्रियाओं के विचित्र ले सकते हैं।   चित्र को दिखाकर उनसे  इससे सम्बंधित प्रश्न पूछे ।इससे अवलोकन क्षमता, वर्णन क्षमता का विकास होगा। किसी बाजार, मेला, स्कूल ,बगीचे आदि का चित्र दिखाकर उनका वर्णन करने के लिए कहे। यह भी पूछ सकते हैं कि इस चित्र में जो बच्चे दिखाई दे रहे हैं उनके आप क्या नाम रखना चाहेंगे। बच्चे क्या कर रहे हैं ?आप अगर इस स्थिति में होते तो आप क्या करते? चित्रों की बाहरी सतह पर कंकड़, इमली के बीज रखें ।चित्रों के आकार और आकृति से परिचित होंगे।
 आंखों और हाथों के समन्वय के लिए गतिविधियां-
  बच्चों को लिखना सीखाने  से पहले  पर्याप्त गतिविधियां कराई जानी चाहिए जिससे बच्चों में आँख और हाथों का समन्वय कर पाने की दक्षता विकसित  हो सके ।  जितना ज्यादा समन्वय कर पाएंगे उनमे लेखन झमता का विकास भी उतनी ही तेजी से होगा।
1. चित्रों की बाहरी रेखा  पर इमली का बीज रखना या उंगली फिराना।
2. एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में पानी डालना।
3.  खाली बोतलों के ढक्कन लगवाना व खुलवाना ।
4. जिक-जैक पजल्स को खाने में बैठाना। 
 5.जूते के फीते बांधना,कपड़ो के बटन लगाना। 
6. गीली मिट्टी से खिलौने बनाना ।
इन गतिविधियों से बच्चों में आंख और हाथों का समन्वय कर पाना, उंगलियों व कलाइयों का विकास होगा। और वे लिखने के लिए तैयार हो पायेंगे।
वस्तु के नाम(लिखित रूप) पहचानना-
 बच्चे अपने आसपास देखी जाने वाली वस्तुओं के नाम और उस वस्तु को जोड़कर देखते हैं तो उन्हें इस बात की समझ बनती है कि वस्तुओं का लिखित रूप भी होता है। और हम उन चीजों को लिखित रूप मे भी व्यक्त कर सकते हैं।इसके लिए मिश्रा सर ने निम्नलिखित गतिविधियों का सुझाव दिया-
1.किसी चित्र के कार्ड पर बनाकर 1 वस्तुओं के नाम लिखें जैसे पेड़ का चित्र बनाकर उसके नीचे लिख दे  पेड़।आम के चित्र के नीचे आम  लिख दे। ऐसे ही स्कूल की विभिन्न चीजों के नीचे उनका नाम लिखा होने पर वे उन वस्तुओं को उसके लिखित मुद्रित रूप को मिला पाएंगे ,समन्वय कर पाएंगे ।जैसे खिड़की के नीचे खिड़की लिखकर चिपका दें ।दरवाजे के पास दरवाजा लिख दे । इसके बाद पर्चियों में   उन वस्तुओ के नाम लिख दे जो कमरे में है।  बच्चों से उन वस्तुओं में से किसी एक का नाम लेकर उसकी पर्ची निकालने को और मिलान करने को कहें ।
2.बच्चों को उनके नाम को लिखकर उनकी पर्ची उन्हें दें । जमीन पर भी उनके नाम लिखकर उन्हें उसी स्थान पर बैठने के लिए कहे जहां पर उनका नाम लिखा है   अपनी पर्ची से मिलान कर वहां पर बैठे।
 भाषा शिक्षण की के चार कौशल सुनना, बोलना ,लिखना व पढ़ना के लिए की जाने वाली गतिविधियां बच्चों में इन कौशलों  के विकास में बहुत ही उपयोगी होती है। जब पर्याप्त गतिविधियों को कराए बिना हम उन्हें पढ़ने लिखने की प्रक्रिया करवाते हैं तो बच्चे के लिए पढ़ना लिखना कठिन हो जाता है।  वे धीरे-धीरे इनसे दूर हो जाते हैं ।सुनना और बोलना इन कौशलों के विकास के लिए बहुत ज्यादा संसाधनों की भी आवश्यकता नहीं है। हम उपयुक्त गतिविधियों को अपनाकर बच्चों में सुनना और बोलना इन कौशलों का विकास बहुत अच्छे से कर सकते हैं। उनके  परिवेश ,खेल उनके द्वारा गाये जाने खेल गीत ,कहानी, पहेली, चित्र का वर्णन , आसपास का वर्णन इन सबके द्वारा इनका विकास किया जाना चाहिए। 
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