नव वधू का आगमन


शीर्षक :- नव वधू का आगमन

हल्दी लगी,सेहरा सजा मेरे बेटे का l
बारात सजी,हुईं शादी, पड़ी भाँवरे l
 रस्मो रिवाजो से हर्षित सबका मन l
हुआ घर मेरे सुभागमन नव वधू  का l


जब घर में इधर-उधर जाया करती थी l
छन- छन छनकती थी उसकी पायल l
खन -खन खनकती थी उसकी चूड़ियाँ l
रुनझुन -रुनझुन बजती थी करधनिया l


घर में हर तरफ बहार सी छा गई ,
जब हुआ घर मेरे वधू का आगमन l
समय मानो पंख लगाकर उड़ने लगा l
उसकी मीठी बोली से घर गुंजनें लगा l


बरस भर में पोते की किलकारियां गूंजने लगी l
समय कब करवट ले ले जानता कौन भला l
जिसके लिए हम भी थे उसके अपने माँ -बाप l
अब हम हो गये उसके लिए बुड्ढे और बुढ़िया l


हमारी जरूरतें अब बोझ बनकर रह गई l
माँ -बाबूजी उसके मुँह से सुनने कान तरस गईं l
जिसे हमने चाहा टूटकर बेटी की तरहा,
जाने क्या अपराध हुआ हमसे, जो वह बदल गईं l


जाने कब हम बरामदे के कोने में सिमट गये l
नन्हा पोता हमारा बहुत बडा हो गया l
बेटियां सब अपने घर ससुराल चली गई l
यमपुरी ले जाने अब यमराज भी आकर खड़ा हो गया l


लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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