गूढ रहस्य

😊*ऐसा चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है …*

*चार मिले चौंसठ खिले* 
*बीस रहे कर जोड़!*
*प्रेमी सज्जन दो मिले* 
*खिल गए सात करोड़!!*

मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा.... 
काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया, 
तो मैंने कहा – 
"बाबा आप ही बताइए, 
मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा !"

तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे – 
"देखो बेटे, यह बड़े रहस्य की बात है... 
चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है, 
तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं, 
इसलिए कहा, चार मिले.. 
फिर कहा, चौसठ खिले – यानि दोनों के बत्तीस-बत्तीस दांत – कुल मिलाकर चौंसठ हो गए, 
इस तरह “चार मिले, चौंसठ खिले” 
हुआ!"

“बीस रहे कर जोड़” – दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!"

“प्रेमी सज्जन दो मिले” – जब दो आत्मीय जन मिलें – यह बड़े रहस्य की बात है – क्योंकि मिलने वालों में आत्मीयता नहीं हुई तो 
“न बीस रहे कर जोड़” होगा और न "चौंसठ खिलेंगे”

उन्होंने आगे कहा, 
"वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है, 
लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ बताते हैं, बताने वाले ! 
तो कवि के अंतिम रहस्य – “प्रेमी सज्जन दो मिले – खिल गए सात करोड़!” 
का अर्थ हुआ कि जब कोई आत्मीय हमसे मिलता है, 
तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई – जैसे ही कोई ऐसा मिलता है, 
तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!"

भई वाह, आनंद आ गया। 
हमारी कहावतों में कितना सार छुपा है। 
एक-एक शब्द चासनी में डूबा हुआ, 
हृदय को भावविभोर करता हुआ! 
*इन्हीं कहावतों के जरिए हमारे बुजुर्ग, जिनको हम कम पढ़ा-लिखा समझते थे, हमारे अंदर गाहे-बगाहे संस्कार का बीज बोते रहते थे।


🙏🙏🙏

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