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यह तन्हाई

💐शीर्षक - यह तन्हाई    कभी गम में पहाड़ जैसी लगती है l  तो खुशी में कभी अजीज लगती है l यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है  l  कभी गम में दर्द को बढ़ाती है l  तो खुशी में दिल को धड़काती है l यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है l  हमें कभी हंसती है,कभी रुलाती है l तो कई पुरानी यादें ताजा कर जाती हैl यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है l  किसी को मौत की डगर दिखती है l  किसी को जिंदगी की तरफ ले जाती है l यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है l  कभी खुद को खुद से मिलती है l तो कभी उस रब से बात कराती है l यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है l  कभी भूले बिसरे किस्से सुनाती है l तो कभी अरमानों भरे सपने सजाती है l  यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है l कभी हमें अपनों से दूर ले जाती है l तो कभी हमें अपनों से मिलाती है l यह तन्हाई भी बड़ी अजीब होती है l  लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 08/11/2023

तुझे ही मांगती हूँ दुआओं में

💐शीर्षक - तुझे ही मांगती हूँ दुआओं में तेरे वजूद की खुशबु बस चुकी है मेरी साँसो में, मैं तन्हा होकर भी कभी तन्हा नहीं रही राहों में l तेरे स्पर्श की कोमलता महसूस होती इन हवाओ में, जहाँ देखु तू ही तू नजर आता है इन फ़िजाओ में l जाने कब आप से तुम बन गए बातों ही बातों में, तेरा अहसास कभी जाता नहीं दिल से वीरान रातो में l कैसे कहूँ भूल चुकी, तेरा जिक्र आ ही जाता है बातों में, मुझमें कहीं अब भी तू बसता है तू नहीं सिर्फ यादों में l एक अजीब सा सुकून मिलने लगा है अब तन्हाइयों में, सच कहती हूँ जब से तू ही तू बस गया है इन निगाहों में l दिल भी मेरा रोता है आसमा के साथ इन बरसातों में, मिट्टी की सौंधी महक सा बसा है तू मेरे अहसासों में l बता तो सही क्यों न मरे,हम तेरी नटखट अदाओं पे, तेरा ही जिक्र,तेरी फिक्र,सदा मिलती है इन आहों में l मुझे है बस तेरी ही आरजू तुझे ही मांगती हूं दुआओं में, बस यही तमन्ना दिल की,मेरी जान निकले कृष्णा तेरी ही बाहों में l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 10/10/2023